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क्रेशरों की उडऩ धूल से हजारों जान खतरे में

भगवान भरोसे है जिंदगी, वातावरण प्रदूषित, प्रशासन मौन!
- रामकिशोर भार्गव- झांसी। सांस के माध्यम से फेंफड़ों में जमकर लोगों को बीमार बहुत बीमार कर देने वाली उडऩ धूल आजकल भेल, खैलार और आसपास के ग्रामीणों को मुसीबत में डाल रही है। इतना ही नहीं इसके कुप्रभाव से लोग बीमार भी होने लगे है यहां तक की बच्चों पर भी इसका असर दिखना शुरू हो गया है। लेकिन झांसी प्रशासन कुम्भकरणी नींद में सोया हुआ है या नींद का बहाना बनाकर अपनी जेबें भरकर नींद का नाटक कर रहा है। यह बताना अभी जल्दबाजी होगी है।

आपको बता दें कि हवा में हवा के साथ आक्सीजन बनकर लोगों की सांसों के जरिये फेफड़ों के अन्दर तक घुसने बाली उडऩ धूल ने खैलार भेल के साथ आसपास के दर्जनों गांवों में कहर बरपा रखा है। हजारों लोगों की सांसे फूलने लगी है लोग दमा के शिकार होने लगे है। यह हाल अकेले खैलार ही नहीं वरन झंासी जनपद के गोरामछिया, बरूआसागर रोड़ पर भगवंतपुरा, विजौली क्षेत्र, में भी यही हाल है इतना ही नहीं इससे पर्यावरण पर भी भारी खतरा मण्डराने लगा है। क्षेत्र के कई बृक्षों की नश्लें खत्म होने की कगार पर है। लेकिन प्रसासन के पास शायद यह सब देखने की फुर्सत ही नहीं है। या फिर बंदरबांट के जरिये लोगों की जानों के साथ जानवूझ कर खिलवाड़ किया जा रहा है। क्षेत्र में इस उडऩ धूल ने लागों की नाक में इतना दम कर रखा है कि रात को भी लोग ठीक से सो नहीं पाते। जो सक्षम और जानकार लोग है वे मास्क लगाने को मजबूर है। लेकिन मास्क भर से कोई खास असर देखने को नहीं मिलता इसे स्वीकार भी किया जा रहा है। बाकी बचे हजारों लोगों का यहां भगवान ही मालिक है।
मामले पर एैसा भी नहीं है कि जिला प्रसासन के साथ खनन विभाग और पर्यावरण विभाग को इसकी भनक न हो। बल्कि कई वार ग्रामीणों ने इसकी लिखित शिकायत कर धरना प्रर्दशन भी किया लेकिन शायद प्रसासन की नजर में आम लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। इसलिये उनकी आज तक सुनी ही नहीं गयी। और लोगों की माने तो यह सारी व्यवस्था भ्रष्टाचार की भेंट चढ चुकी है। इसपर अंकुश लगाने वाला शायद जनपद में कोई सक्षम अधिकारी मौजूद ही नहीं है।

आपको यह भी बता दें कि समूचे उत्तर प्रदेश में क्रेसरों की सबसे बड़ी मण्ड़ी जनपद चित्रकूट के कबरई में है उसके बाद दूसरी सबसे बड़ी मंण्डी झांसी जनपद के खैलार में स्थित है।

खैलार में शासन के सभी मानकों को ताक में रखकर निरंकुश तरीके से लोगों की जानों के साथ खेल खेला जा रहा है इतना ही नहीं पत्थर तोड़कर उनकी डश से लोगों को बीमार करने का शडयंत्र सामूहिक तरीके से किया जा रहा है वर्ना इतने बड़े पैमाने पर मनमानी की अनदेखी वर्दाश्त करना लोगों के हित में तो नहीं है।
इस मामले पर क्षेत्र के चिकित्सक भी इस डस्ट यानि उडऩ धूल को काफी खतरनाक मान रहे है। एक चिकित्सक ने इसे फैफड़ों, नाक और गले के लिये जहर बताते हुये इस पर तुरन्त लगाम लगाने की बात कही है।

खनन अधिकारी ने कहा गलत तो है ही

भंयकर तरीके से उड़ रही खैलार की इस उडऩ धूल के बारे में झांसी के खनन अधिकारी आर वी सिंह से जानकारी चाही गयी तो उन्होने बताया कि मैने भी कई वार इस धूल पर नाराजगी जताई है चारों तरफ गलत तो हो ही रहा है लेकिन इसे पर्यावरण विभाग को देखना चाहिये। यह विभाग क्यों सोया रहता है। उन्होने क्रेसरों के अमानक तरीकों पर नाराजगी जाहिर की है। वहीं इस मामले पर प्रदूषण विभाग से सम्पर्क नहीं हो सका है।
क्रेशर संचालक ने कहा हम सही दूसरे गलत

लोगों के लिये जान पर वन रही खैलार की धूल के उड़ते सैलाव के बारे में क्रेसर संचालक संजय परेचा से बात करने पर उन्होने बताया कि हमारे यहां तो पत्थर को पानी ड़ालकर पीसते है और इसकी डस्ट के लिये खनन विभाग ने डिब्बे भी लगवा दिये थे लेकिन दूसरे क्रेसर बाले एैसा नहीं करते और गलत तरीके से पत्थर पीसते है इसलिये हवा के जरिये पत्थर के कण लोगों को नुकसान पहुचा रहे है यह सच भी है।

Updated : 7 March 2017 12:00 AM GMT
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