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सीपीआर से बचाई जा सकती हैं 60-70 फीसदी जानें

आगरा। यदि दुर्घटना या हार्ट अटैक के दौरान सही समय पर सही तरीके से मरीज को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रीससीटेशन) दिया जाए तो हम 60-70 फीसदी लोगों की जान को बचा सकते हैं। इसके लिए रेनबो हॉस्पीटल शहर को युवाओं को ट्रेंड कर रहा है। शुक्रवार को आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज के 200 विद्यार्थियों को इसकी डमी पर ट्रैनिंग दी गई।

डॉ. वंदना कालरा व डॉ. पंकज भाटिया ने ट्रेनिंग देते हुए विद्यार्थियों व शिक्षकों को बताया कि किसी भी तरह की दुर्घटना के बाद का एक घंटा गोल्डन घंटा होता है। इस समय में यदि मरीज को सही तरीके से बेसिक लाइफ सपोर्ट मिल जाए तो मरीज की जान को बचाया जा सकता है। यहां तक की हृदय के काम करना बंद करने के 3-4 मिनिट के अंदर यदि सीपीआर मिल जाए तो मरीज की न सिर्फ जान बचाई जा सकती है बल्कि ब्रेन डेड होने से भी रोका जा सकता है। डॉ. वंदना ने बताया कि दुर्घटना के बाद का हर एक मिनिट महत्वपूर्ण होता है। एक मिननिट की देरी होने पर मरीज के 10 प्रतिशत के अनुपात में बचने के बचने की सम्भावना कम होती जाती है। यानि यदि 10 मिनिट की देरी मरीज को बचाने में 50 पीसदी सम्भावना को कम कर देती है।

युवा आसानी से सीख लेते हैं और दुर्घटना के समय अक्सर सड़क पर मौजूद भी होते हैं। इसी उद्देश्य के साथ युवाओं को सीपीआर व बेसिक लाइफ सपोर्ट के लिए ट्रैनिंग देकर तैयार किया जा रहा है। ट्रैनिंग देने वाली टीम में डॉ. स्वाति, डॉ. कनिष्क भी मौजूद थे।

Updated : 4 March 2017 12:00 AM GMT
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