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डेढ़ सैकड़ा मांसाहारी दुकानों में लटके ताल

महंगे दामों में चोरी छिपे बिक रहा मांस

झांसी। प्रदेश में अवैध रूप मांस बेचने तथा बूचडखानों पर प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने से पूरे प्रदेश के मीट विक्रेताओं में हडकम्प मचा हुआ है। इसके चलते मांसाहारी भोजन करने वालों को मनपसंद डिश सुलभ न होने से लोगों में मायूसी है। शहर में कई स्थानों पर तलाश करने के बाद भी उन्हें मांसाहारी व्यंजन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है। यहां संचालित करीब 161 दुकानों पर ताले लटके हुए है। दुकाने न खुलने से मांस की बिक्री ठप हो गई है। वही कुछ लोग चोरी छिपे अधिक दामों में इसकी बिक्री कर रहे है।

अवैध मांस बेचने की दुकानों तथा बूचडखानों पर प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने से पूरे उत्तर प्रदेश में जहां मीट के विक्रेताओं में हडकम्प मचा हुआ है। वहीं नानवेज खाने के शौकिनों को मनपंसद व्यंजन के लिए भटकना पड़ रहा है। नगर क्षेत्र में मांस की करीब 300 से अधिक दुकाने चल रही है। जिसमें 161 दुकानें नगर निगम के संज्ञान में हैं। बाकि चोरी छिपे चलने वाली दुकानों की जानकारी ननि को नहीं हैं। इसके अलावा फुटपाथी मीट मछली की दुकाने अलग हैं जो शहर के बाहरी क्षेत्र में शाम को फुटपाथ पर दुकाने सजाते हैं और रात आठ बजे तक अपने तामझाम समेट कर घर चले जाते हैं। इधर भाजपा की प्रदेश में सरकार बनने के बाद जारी फरमान से मांसाहारों पर शामत आ गई है। नगर निगम के अधिकारियों की माने तो सभी 161 दुकानों पर ताले लटके हैं। उसका असर भी शहर में दिखाई पड रहा है। शहरी सीमा क्षेत्र के विभिन्न चौराहों, बाजारों में रेस्टोरेटों को छोड़ कबाब, बिरयानी की ठेलों पर सैकड़ों सचल दुकाने चलती रही हैं। अब वहां भी सन्नाटा है। दुकानदारों का कहना है कि मीट की बिक्री न होने से माल जुगाड़ करके शहर के बाहर से लाना पड़ रहा है जो मंहगा पड़ रहा है। मुर्गा का मीट 250 रूपये किलो मिलता था अब वह तीन से लेकर 350 रुपये किलो मिल रहा है।

Updated : 27 March 2017 12:00 AM GMT
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