पैसे देने पर दूध की जगह मिल रहा है पानी
-नहीं मिल रहा है शुद्ध दूध और बच्चों का आहार
-ट्रेनों में परेशानी की लगातार शिकायतें
-अधिकारी कर रहे झूठे दावे
ग्वालियर| रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण असफल होती नजर आ रही है। ग्वालियर स्टेशन में किसी भी स्टॉल पर दूध उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसके कारण ट्रेनों में यात्रा के दौरान जरूरतमंदों को परेशानी उठानी पड़ रही है। सीपीआरओ का कहना है कि उन्होंने सभी ए-1, ए क्लास और बी क्लास स्टेशनों में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। रेलवे अधिकारियों के स्टेशन पर गर्म दूध मिलने के दावे झूठे साबित हो रहे हैं। कुछ दिन तक स्टाल संचालकों ने अधिकारियों के निर्देश का पालन किया। इसके बाद उन्होंने ये सामान रखना बंद कर दिया।
स्टेशन पर इन दिनों जरूरतमंदों को प्लेटफॉर्म के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। एक्सप्रेस और लोकल ट्रेनों में सवार यात्री जब दुकानदारों से बच्चों के लिए शिशु आहार मांगते हैं तब उन्हें यहीं सुनना पड़ रहा है कि शिशु आहार नहीं है। प्लेट फार्म नंबर एक पर स्टाल संचालकों के पास मिल्क पाउडर उपलब्ध है, पर वह भी गरम पानी से इसे देने के एवज में 20 रुपए की मांग करते हैं।
दूध की जगह पानी दे रहे हैं वेंडर
छोटे बच्चों के लिए यात्रा में सबसे ज्यादा समस्या दूध और वह भी गर्म दूध की होती है। परिजन जो दूध ले जाते हैं, वह कई बार रास्ते में ही खराब हो जाता है। प्लेटफॉर्म पर जो दूध मिलता है, वह महंगा रहता है और गुणवत्ता वाला भी नहीं होता। इसके लिए रेलवे ने कुछ एक्सप्रेस ट्रेनों में इस सुविधा को शुरू किया था। लेकिन इन दिनों हालत यह है कि ट्रेनों में दूध की जगह सफेद पानी यात्रियों को बेचा जा रहा है।
उत्कल में नहीं मिल रहा है दूध
ग्वालियर से गुजरने वाली उत्कल एक्सप्रेस में शुरू की गई सुविधा अब बंद होती नजर आ रही है। इस ट्रेन में बच्चों के साथ यात्रा करने वाले परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस ट्रेन में यात्रियों द्वारा गर्म दूध मांगे जाने पर या तो वेंडर अधिक दाम वसूलता है या फिर दूध की जगह सफेद पानी देता है।
इनका कहना है
रेलवे ने स्टेशनों व ट्रेनों में गर्म दूध व गर्म पानी रखने की गाइड लाइन जारी की है। अगर स्टॉलों व ट्रेनों में यह सुविधा नहीं मिल रही है तो जांच कराई जाएगी।
विजय कुमार
सीपीआरओ इलाहाबाद रेलवे