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अवैध खदानों में धड़ल्ले से जारी हैं डी-फोर धमाके

अवैध खदानों में धड़ल्ले से जारी हैं डी-फोर धमाके
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कौन पहुंचा रहा है हजारों क्विंटल विस्फोटक?

ग्वालियर, न.सं.। ग्वालियर जिले में चहुंओर वैध एवं अवैध खदानों से खनिज चोरी कर खनन माफिया प्रतिवर्ष शासन को अरबों रुपये राजस्व की चोरी कर रहा है। विस्फोटक के बिना इन खदानों से पत्थर निकालना संभव नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस अवैध खदानों के लिए हर साल हजारों टन विस्फोट आखिर कौन उपलब्ध करा रहा है। कौन इन खदानों में विस्फोटक लगाकर धमाके कर रहा है तथा इस खतरनाक विस्फोटक से आसपास के गांव, कॉलोनी और बस्तियां कितनी सुरक्षित हैं। नयागांव-छौंड़ा के क्रेशरों पर कार्रवाई के बाद भी प्रशासन ने इस धमाकों के सौदागर का गिरेवान पकड़ने की कोशिश नहीं की।
ग्वालियर जिले में नयागांव-छौंड़ा में चल रहीं अवैध खदानों के लिए माल पीसने वाले 28 क्रेशर संचालकों पर जिला प्रशासन ने विगत शनिवार को बड़ी कार्रवाई कर खूब वाहवाही लूटी, लेकिन न तो उन खदान संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जिनकी खदानों में अथवा जिनके द्वारा अवैध रूप से वन क्षेत्र में खनन किया जा रहा था और न ही यह जानने की कोशिश की कि इन अवैध खदानों से पत्थर उखड़ने के लिए विस्फोटक आखिर कौन उपलब्ध कराता है। सूत्र बताते हैं कि यहां विस्फोटक की सप्लाई करने वाले चार लायसेंसधारी कंपनियों में से एक-दो लायसेंसधारी द्वारा धड़ल्ले से ग्वालियर-चम्बल संभाग में अवैध विस्फोटक पहुंचाया जा रहा है। ग्वालियर में मऊ, बेरजा, भितरवार, नयागांव आदि स्थानों पर चल रहे अवैध खनन कारोबार के लिए यह अवैध खदान संचालक थोक में हजारों क्विंटल विस्फोटक पहुंचा रहे हैं। वैध और अवैध खदान संचालक अप्रशिक्षित स्थानीय ग्रामीणों (खनेतिया) को धमाकों से लेकर खदान से माल निकालकर क्रेशर तक लाने का ठेका देते हैं।
कंम्पनी के विशेषज्ञ नहीं, खनेतिया कर रहे हैं धमाकें
खदान संचालकों को खनन अनुमति के लिए पहले किसी विस्फोटक कंपनी से अनुबंध करना होता है। इसी क्रम में बिलौआ सहित अन्य कुछ क्रेशर संचालकों का अनुबंध तो थर्मेक्स कंपनी से है। लेकिन यह अनुबंध सिर्फ कागजों तक सीमित है। खदानों में 50 फीट तक गहरा हॉल करने से लेकर, इसमें विस्फोटक भरने एवं धमाकाकर पत्थर निकालकर, इसे तोड़कर क्रेशर तक पहुंचाने का काम स्थानीय ग्रामीणों (खनेतिया) द्वारा किया जा रहा है। काले पत्थर के लिए यह ठेका 100 रुपये प्रति टन बजन के हिसाब से होता है। ग्वालियर में 500 किलो से अधिक विस्फोटक लगाकर धमाका करने की अनुमति किसी भी खदान संचालक को नहीं है। जबकि खदान संचालक प्रतिदिन की बजाय 15 दिन के लिए इकट्टा पत्थर निकालने के लिए बड़ा विस्फोट खदानों में कराते हैं। इससे कम खचर् और अधिक समय की बचत तो होती है। लेकिन पर्यावरण और आसपास के क्षेत्रों को खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है।
गड़बड़ा रहा है भू-जल स्तर
म.प्र.खनन अधिनियम में खदान संचालकों को समतल क्षेत्र में 6 मीटर और पहाड़ी क्षेत्र में 8 मीटर से अधिक खनन की अनुमति सिया अथवा डिया द्वारा नहीं दी जाती है। इसी प्रकार भू-जल स्तर और समुद्र तल से अधिक गहराई तक खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। अनुमति नहीं होने के बाद भी ग्वालियर के खनन क्षेत्रों में वैध और अवैध खदान संचालक 200-250 फीट गहराई तक खनन कर चुके हैं और आज भी इन खदानों के तल में विस्फोटक लगाकर धमाके जारी हैं। इससे भूजल स्तर भी गड़बड़ा रहा है। इसी प्रकार कुछ स्थानों पर समुद्रतल स्तर के करीब गहराई पहुंच जाने से भी बड़ा खतरा होने की संभावना है।
इन्होने कहा
‘अवैध खनन की शिकायत मिलती हैं तो हम कार्रवाई भी करते हैं। हाल ही में जिन पर कार्रवाई की गई है, उन पर न्यायालयीन प्रकरण दर्ज किए गए हैं। सुनवाई के दौरान सारे पक्ष सुना जाएगा। उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।’
संजय गोयल
जिलाधीश ग्वालियर

Updated : 13 April 2024 1:06 PM GMT
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