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अवैध खनन के लिए एकजुट हुए राजनीतिक विरोधी, खदानों के सीमांकन की जानकारी देने से बच रहे हैं खनिज अधिकारी

अवैध खनन के लिए एकजुट हुए राजनीतिक विरोधी, खदानों के सीमांकन की जानकारी देने से बच रहे हैं खनिज अधिकारी
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बिलौआ की अधिकांश खदानों पर काबिज हैं राजनेता
कैसे होगी अवैध खदानों के सीमांकन की कार्रवाई

ग्वालियर| मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में सक्रिय खनिज माफिया पर सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दे रहे हैं। वहीं बात-बात पर विरोध की राजनीति करने वाले विभिन्न दलों के कई राजनेता अवैध खनन पर एकजुट दिखाई देते हैं। बिलौआ में संचालित खदानों में अधिकांश पर राजनेता ही काबिज हैं।

यहां भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य दलों के लोग अपरोक्ष रूप से वैध व अवैध रूप से खदानें और क्रेशर संचालित कर रहे हैं। खास बात यह है कि खदानों और क्रेशरों के कारोबार के बीच अवैध खनन और परिवहन में जब भी गड़बड़ी पर कार्रवाई होती है तो सत्तापक्ष की राजनीति करने वाले खनिज कारोबारी सक्रिया हो जाते हैं और जब भी विपक्ष की ओर से आवाज उठती है तो विपक्ष की राजनीति करने वाले नेता इस आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं। जब भी खनन के अवैध कारोबार पर खतरा दिखाई देता है, तब सभी एकजुट होकर मैदान में उतर जाते हैं। यहां तक कि ईमानदार अधिकारी पर राजनीतिक दबाव डालने की बात हो अथवा उसे स्थानांतरित कराने की बात हो। खनिज माफिया अपने प्रभाव और पैसे के दम पर सब कुछ कराने में सक्षम हैं। डबरा के पूर्व अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) द्वारा बिलौआ के खनिज माफिया के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की गई तो उनका रात भर में स्थानांतरण कराकर खनिज माफिया ने प्रशासन को अपनी ताकत का अंदाजा करा दिया था।

परिक्षेत्र निर्धारित, बिलौआ की खदानों का सीमांकन आज से
बिलौआ में संचालित खदानों के सीमांकन की कार्रवाई खनिज विभाग और जिला प्रशासन की टीम बुधवार को भी शुरू नहीं कर सकी। गुरुवार को खनिज विभाग के अधिकारी सामान्य जानकारियां जुटाकर खनन क्षेत्र में निशान लगाकर इसे निर्धारित करती रही। शुक्रवार से खदानों के सीमांकन की प्रक्रिया आरंभ होने की संभावना है। हालांकि खनिज विभाग के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी उजागर करने से बच रहे हैं। इससे पहले मंगलवार को सीमांकन की तैयारी करने बिलौआ पहुंचे जिला खनिज विभाग की टीम सिर्फ क्रेशरों के मॉडल, क्षमता आदि की जानकारी दर्ज कर वापस लौट आई थी।

10 वर्षों से नहीं हुआ खनिज और गहराई का आंकलन
खनिज अधिनियम के अनुसार खदानों के लिए लीज आवंटन के दौरान लीज धारक को दी जाने वाली पहाड़ी अथवा भूमि में खनिज की स्थिति, लम्बाई, ऊंचाई, भूमि में खनिज की अनुमानित मात्रा, वर्ष भर में खनिज उत्खनन हेतु निर्धारित लक्ष्य आदि तय किए जाते हैं। नियमानुसार प्रतिवर्ष राजस्व और खनिज विभाग को खदानों की नाप और सीमांकन कर लीज धारक द्वारा निकाली गई खनिज की मात्रा को आंका जाना चाहिए। इसी प्रकार लीजधारक द्वारा उसे आवंटित लीज भूमि से अतिरिक्त भूमि पर उत्खनन की भी जांच की जानी चाहिए, लेकिन खनिज माफिया से सांठगांठ कर खनिज विभाग के अधिकारी न तो खदानों की गहराई माप उजागर कर रहे हैं और न ही इस बात का आंकलन कर रहे हैं कि उनके द्वारा स्वीकृत खदानों और अवैध खदानों से कितना खनिज निकालकर वैध अथवा अवैध रूप से बेच गया है। इस संबंध में जानकारी लेने पर खनिज विभाग के अधिकारी पहाड़ी और जमीन की सहत से गहराई को लेकर गोलमोल बातें कर भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। नियमानुसार इन खदानों को छह मीटर तक गहरा किया जा सकता है, जबकि यह खदानें जमीन की सतह से भी करीब दो-ढाई सौ फीट गहरी हो चुकी हैं।

सीमांकन के बाद होगी सख्त कार्रवाई
जिला प्रशासन की बात पर भरोसा किया जाए तो बिलौआ की खदानों पर सीमांकन से आरंभ हुई कार्रवाई अंतिम छोर तक जाएगी। सीमांकन के बाद प्रशासन प्रत्येक खदान और उसके द्वारा संचालित क्रेशर की स्थिति की जांच पर विचार कर रहा है। इसी प्रकार खदान से निकाले गए खनिज की मात्रा, गहराई और क्रेशरों द्वारा खनिज को बेचकर शासन को दी गई रॉयल्टी (राजस्व) का आंकलन कर इसे क्रॉस चैक कर यह जांचा जाएगा कि निकाले गए खनिज की मात्रा में कितना अंतर है। लगता नहीं कि 10 वर्षों से अवैध खनन कारोबार में जुटा खनिज माफिया प्रशासन की इस तरह की कार्ययोजना आसानी से सफल होने देगा।

माफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
जीवाजीगंज निवासी संजीव चौरसिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर शिकायत की है कि ग्वालियर के वन मंडल अधिकारी और खनिज अधिकारी के संरक्षण में ग्वालियर वन क्षेत्र से साढ़े सात सौ ट्रक फर्सी पत्थर अवैध रूप से निकालकर बाजार में बेचा गया है। इससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।

इन्होंने कहा
‘ग्वालियर-चम्बल अंचल में माफिया खुलेआम खनिज दोहन में जुटा है। मैं सब कुछ मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया हूं, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है। चम्बल को जितना डाकुओं ने नहीं लूटा, जितना कि खनिज, राजस्व और पुलिस के अधिकारियों द्वारा लूटा गया है। भिण्ड-दतिया की जीवनदायिनी सिन्ध नदी सूख चुकी है। करीब 40 फुट तक गहरे गड्ढे हो चुके हैं। अवैध खनन कारोबार से जुड़ा नेता किसी भी राजनीतिक दल का हो, जेल जाना चाहिए।

गोविन्द सिंह पूर्व मंत्री एवं विधायक लहार

‘बुधवार को खनन क्षेत्र में राजस्व दल द्वारा की गई मापने की कार्रवाई भी सीमांकन का हिस्सा है। हालांकि खदानवार उनके परिक्षेत्र का सीमांकन गुरुवार से होगा। सीमांकन से शुरू हो रही यह कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी। 10 वर्षों से पट्टे लेकर संचालित इन खदानों और क्रेशरों का विभिन्न बिन्दुओं के आधार पर भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। एक माह की इस कार्रवाई में सब कुछ साफ हो जाएगा।’

अमनवीर सिंह वैश्य, एसडीएम, डबरा

Updated : 9 Feb 2017 12:00 AM GMT
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