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सावधान! रात में सड़कों पर जाएं जरा संभलकर

सावधान! रात में  सड़कों पर जाएं जरा संभलकर
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बेखौफ हुए आवारा कुत्ते, बेफिक्र निगम अमला
ग्वालियर|
रात हो गई है तो जरा संभलकर सड़क और गली से निकलें ,यहां किसी चोर से अधिक भय कुत्तों का रहता है। मुख्य शहर ही नहीं यहां प्रत्येक गलियों में भी आवारा कुत्तों का आतंक है। सुबह छात्र-छात्राओं के स्कूल जाने का समय हो या बाजार से खरीदारी करने जा रही महिलाओं को, इनका भय हर समय सताया ही करता है। नगर निगम की ओर से फिलहाल इस पर रोक के कोई ठोस उपाय नहीं हैं।

शहर में घूमती कुत्तों की टोलियों ने आम जनता का चैन छीन लिया है। शहर के साथ कई गलियों में भी कुत्तों का आतंक है। रात के आठ बजते ही आवारा कुत्तों के भय से सड़क पर निकलना कठिन हो जाता है। गलियां ही नहीं मुख्य सड़क पर भी यह बेधड़क घूमते रहते हैं।

शहर में आवारा कुत्ते कितने आक्रामक हो गए हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब किला पर एक युवक को कुत्ते ने काट लिया था। उसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना ने नगर निगम की मुहिम की पोल भी खोल दी है।
आवारा कुत्ते रोजाना कर रहे हमला
शहर में रोजाना आवारा कुत्तों के शिकार लोग हो रहे हैं। आवारा कुत्तों के भय के कारण लोग सुनसान इलाकों से गुजरने से कतराने लगे हैं। रात का समय हो या दिन का, सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्ते बच्चों से लेकर बड़े लोगों पर अचानक आक्रामक होकर हमला कर रहे हैं।

हर तरफ पिल्ले दिखाई दे रहे हैं:- शहर में हर तरफ कुत्तों के पिल्ले दिखाई दे रहे हैं। इसकी वजह से ये इन दिनों ज्यादा आक्रामक हैं, उन्हें लगता है कि वाहन चालक उसके पिल्लों को नुकसान पहुंचा सकते हैं इसलिए वो काटने के लिए दौड़ते हैं। रात में तो सड़कों पर निकलना दूभर हो गया है। रात के समय 20 और 25 की संख्या में एक-एक स्थान पर कुत्ते सड़क पर बैठे रहते हैं। उनके अचानक से दौड़ने या इधर-उधर भागने से सड़क पर दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

नगर निगम सिर्फ खाली गाड़ी लेकर घूमता है
आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर निगम के पास एक विशेष गाड़ी है। जो इन आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए होती है। लेकिन यह गाड़ी सिर्फ पूरे दिन शहर का चक्कर काटकर वापस आ जाती है।

इनका कहना है
कुत्ते का का काटना एक खतरनाक बीमारी है। कुत्ते के काटने के बाद 10 दिनों के अंदर बैक्सीन लगवाना अनिवार्य होता है। प्रथम व द्वितीय स्टेज पर बैक्सीन लगती है। जिसमें टीटनेस और एंटीवैक्सीन शामिल होती है। एक माह में 6 इंजेक्शन मरीज को लगाए जाते है।

प्रशांत नायक
स्वास्थ्य अधिकारी
सिविल अस्पताल

Updated : 8 Feb 2017 12:00 AM GMT
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