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कभी भी ढह सकती है जयारोग्य की इमारत

कभी भी ढह सकती है जयारोग्य की इमारत
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*लोनिवि ने एक हिस्सा तुरंत खाली करने के लिए कहा
*वर्षों पहले किया जा चुका है कण्डम घोषित
*अस्पताल प्रबंधन भी साधे बैठा है चुप्पी


ग्वालियर|
अंचल के सबसे बड़े अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक, भर्ती मरीज और उनके परिजन इन दिनों सुरक्षित नहीं हैं। यह चेतावनी लोक निर्माण विभाग की उस रिपोर्ट में दी गई है, जिसमें इस अस्पताल की प्रमुख इमारत पत्थर वाले भवन को खतरनाक बताया गया है। लेकिन उसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन चुप्पी साधे किसी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है।

जानकारी के अनुसार पिछले 12 वर्षों से लोक निर्माण विभाग सहित तमाम सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जयारोग्य चिकित्सालय के पत्थर वाले भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है, जिसका प्रमाण एजेंसियों द्वारा अस्पताल प्रबंधन को कई बार दिया जा चुका है। लेकिन इमारत को असुरक्षित घोषित करने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन इसकी अनदेखी कर रहा है। उल्लेखनीय है कि इमारत के अलग-अलग हिस्सों के दरकने और गिरने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। कुछ वर्षों पहले एक मरीज पर पंखा गिर गया था ,जिसमें उसकी जान जाते-जाते बची थी, वहीं कुछ वर्ष पहले स्वास्थ्य मंत्री के भ्रमण के दौरान भी पत्थर गिरा था। इतना ही नहीं अभी पिछले वर्ष पहले भी इमारत के आगे की ओर का एक छज्जा टूट कर गिर पड़ा था, लेकिन लगातार घटनाएं सामने आने के बाद भी प्रबंधन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। जबकि लोक निर्माण विभाग द्वारा इमारत का निरीक्षण कर छज्जा गिरने वाले हिस्से को खाली करने की बात भी कही थी। लेकिन आज दिन तक उसी हिस्से में मरीज भर्ती हैं।

एक शताब्दी से अधिक पुरानी है इमारत
इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण सन् 1898 में किया गया था तथा इस इमारत को वर्षों पहले ही असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस इमारत के निर्माण में चूना पत्थर का उपयोग किया गया था। इमारत में फंसे पत्थर भी अपनी जगह छोड़ चुके हैं। विभाग ने यह भी कहा है कि दीवारों में कोई ठोस चिनाई नहीं है ,जिस कारण पत्थरों के बीच 2 से 5 एम.एम की दरारें भी आ गई हैं, इस कारण इमारत कभी भी ढह सकती है। अस्पताल प्रशासन द्वारा एक हजार बिस्तर की नवनिर्मित इमारत का प्रस्ताव भी प्रशासन को दिया जा चुका है, लेकिन यह भी कागजों में ही सिमट कर रह गया है।

अस्पताल पर लगा है चेतावनी का बोर्ड
अस्पताल का भवन लगभग सौ वर्ष पुराना है। इस भवन के कई छज्जे गिर चुके हैं। अभी भी यहां पर कई हिस्से जर्जर हैं और इनके पास से कोई नहीं निकले, इसके लिए चेतावनी बोर्ड तो लगा दिया गया है लेकिन इसे अब तक ठीक नहीं कराया गया।

300 मरीज रहते हैं 24 घण्टे भर्ती
पत्थर वाले भवन में तीन विभाग संचालित होते हैं, जिसके धरातल पर मेडिसिन विभाग, प्रथम तल पर सर्जरी व तृतीय तल पर आर्थोपेडिक विभाग हैं। जिसमें मेडिसिन विभाग में लगभग 130 से अधिक, सर्जरी में 140 एवं आर्थोपेडिक विभाग में लगभग 70 मरीज भर्ती रहते हैं। लेकिन इन मरीजों को नहीं पता कि जहां वे उपचार करा रहे हैं, वह उनके लिए खतरे से खाली नहीं हैं।

इन्होंने कहा
हम कई बार ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी आज दिन तक कुछ नहीं किया गया। इमारत में लगभग 30 चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ व मरीज बड़ी संख्या में रहते हैं, हमसे ऐसी जगह पर काम कराया जा रहा है, जो असुरक्षित है।

डॉ. श्याम राजपूत
जूडा अध्यक्ष


कण्डम घोषित होने की रिपोर्ट का हम अवलोकन कर कार्रवाई करेंगे।

शरद जैन
चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री

Updated : 3 Feb 2017 12:00 AM GMT
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