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हमने न जाने कितनी ही रातें बिता दीं पर कभी चिंतन नहीं किया, हम सोए हुए हैं

हमने न जाने कितनी ही रातें बिता दीं पर कभी चिंतन नहीं किया, हम सोए हुए हैं
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ग्वालियर| आज त्रिभुवनेश्वर यानी शिवरात्रि का दिन है। हमने न जाने कितनी रातें बिता दीं, लेकिन उस पर कभी चिंतन नहीं किया क्योंकि हम सोए हुए हैं। रात्रि का समय काल प्रकृति के सभी तत्वों को विश्राम देता है। रात्रि दो और तीन बजे के बीच नदी के तट पर बैठ जाओ तो वह भी धीमी गति से बहती है। प्रकृति के सभी तत्व विश्राम करते हैं। दिन में पेड़ पौधे झूमते हैं तो रात में वायु भी मंदगति से चलती है, जिससे वृक्ष भी विश्राम करते हैं। प्रकृति का अग्नि तत्व वह भी रात के समय सितारों तथा चांद में परिवर्तित कर शैल्य की वर्षा करता है। यह बात फूलबाग स्थित चित्रकूट धाम में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन शुक्रवार को संत मोरारी बापू ने श्रावकों से कही।

कथा में रस वर्षा के अनंत-अपूर्व प्रवाह से उत्साहित मोरारी बापू ने शुक्रवार को मानस महेश की कथा को मीरा के चरणों में समर्पित किया। चित्रकूट धाम में आज श्रावकों की तादाद इतनी थी कि कथा की शुरुआत के नियत समय से पूर्व ही पूरा धाम खचाखच भर चुका था। मोरारी बापू ने व्यासपीठ से जनमानस, समाज, देश और पूरे पृथ्वी के जीवों के कल्याण की कामना की तथा सबको सन्मति दे भगवान कहकर प्रभु से प्रार्थना की।

बापू ने कहा कि कोई रात में गगन की ओर देखे और अहसास करे तो ईश्वर तत्व जीव के निकट आता है। रात में जल, थल, वायु सभी तत्व शांत हो जाते हैं, सभी इबादत में लग जाते हैं। रात्रि प्रकृति के सभी विभागों को विश्राम प्रदान करती है। सुबह सब तैयार होकर नदी, वायु, सूर्य, पृथ्वी भी अपने काम पर लग जाते हैं। रात्रि में नींद की मात्रा में मन थोड़ा अधिक शांत होता है। मन का शांत होना ही हमे निद्रा प्रदान करता है। जिसका मन शांत नहीं होता, उसे रात्रि में नींद कम आती है।

रात्रि काल सृष्टि के विस्तार का कार्य है
बापू ने कहा कि रात्रि काल सृष्टि के विस्तार का कार्य है। रात में जिनकी क्रिया अच्छ: नहीं होती, वह जागते हैं। शराबी, चोर, निंदक जैसे बुराई वाले लोगों को रात जगाए रखती है। रात में अंधेरे का विशेष उजाला प्रकट होता है। बापू ने कहा कि रामायण-महाभारत में सूर्य अस्त होते ही युद्ध विराम हो जाता था क्योंकि रात्रि युद्ध के लिए नहीं बल्कि बुद्ध के लिए होती है। बुद्ध भी रात को अपने घर से निकले थे। रात में जब आदमी को नींद आती है तो वह न जाने कितने पापों, बुराइयों से बच जाता है, इसीलिए महाशिवरात्रि को कल्याणकारी शिवरात्रि माना गया है।
ग्वालियर में कथा होना
नौ दिन का अभिषेक
बापू ने कहा कि यह शिवरात्रि साधुओं के लिए 24 घण्टे की रात्रि होती है। कोई भी कल्याणकारी कार्य करो, वह अभिषेक है। दान में पात्र-अपात्र मत देखो, वह उस दान का क्या करता है, यह वह जाने। शिवरात्रि के दिन ग्वालियर में कथा होना नौ दिन का अभिषेक है।

मीरा का नर्दन कोई नहीं रोक सकता
बापू ने कहा कि मीरा बहुत ही सीधी-साधी है। मीरा के नर्दन को स्वयं श्रीकृष्ण भी नहीं रोक सकते। जिस मीरा के पैर में स्वयं श्रीकृष्ण घुंघरू बांधते हों, उसके बाल संवारते हों, उसे बिंदी लगाते हों। ऐसी मीरा के नर्दन को कौन रोक सकता है। बापू ने कहा कि मीरा अंदर से स्थिर थी। ऐसी महिला को खोजना काफी मुश्किल है। मीरा के पास इतना समय नहीं था कि वह स्वयं को संवारे, वह तो सांवरे में लीन थी।

अद्भुत है तानसेन की समाधि
बापू ने कहा कि हम गुरुवार को तानसेन की समाधि पर गए थे। उनकी समाधि अद्भुद है। वहां जाकर मैंने जाना कि इस समाधि पर विदेशों से भी संज्ञीतज्ञ आते हैं। बापू ने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम के संगीत में कोई अंतर नहीं है। दोनों में एक ही खुशबू है। बापू ने कहा कि तीर्थ सदा ही पवित्र होता है। मगर हम लोग इधर-उधर गंदगी फैलाकर उसे गंदा कर देते हैं।

नौ प्रकार की होती है भक्ति
बापू ने बताया कि भक्ति नौ प्रकार होती है, जिनमें संत का संग, इतिश्री, मंत्रजाप, निवृत्ति, दोषदर्शी, गूढ़ दृष्टि, संतुष्ट भक्ति, सरलता और सहजता शामिल हैं।
हमारा चित्त विक्षेप है बापू ने कहा कि हमारा चित्त विक्षेप है, इसलिए राममय नहीं हो पाता है, जबकि शिव का चरित्र राम मय है।

शिव का अहंकार निर्माण करता है
बापू ने कहा कि हमारा अहंकार घातक होता है, जो हमारा ही नाश करता है, जबकि शिव का अहंकार नव निर्माण करने वाला होता है। बापू ने कहा कि कीड़े-मकोड़ों में भी अहंकार होता है। किसी भी जीव का स्वभाव अहंकारमय होता ही है। बापू ने अहंकार को लेकर मक्खी और कुत्ते की कहानी भी सुनाई।

तीन प्रकार के होते हैं सत्संग
बापू ने बताया कि सत्संग तीन प्रकार के होते हैं। पहला सत्संग आत्मीय सत्संग होता है, जिसका उद्देश्य सदा अच्छा ही होता है। दूसरा मानसिक सत्संग होता है, जिसमें अपने मन के विचार को सामने वाले को सुनाया जाए और तीसरा सत्संग कायिक सत्संग होता है। बापू ने कहा कि पवित्र भाव, मोहब्बत भरी निगाहों और करुणामयी आंखों से देखना ही सत्संग होता है।
संगीत महफिल का आयोजन
मोरारी बापू की कथा के दौरान सातवें दिन शुक्रवार शाम को चित्रकूट धाम में श्रीरंग संगीत एवं कला संस्थान द्वारा मोरारी बापू के आतिथ्य में संगीत महफिल के अंतर्गत शास्त्रीय संगीत की का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कलाकरों द्वारा शास्त्रीय संगीत की दस प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम की शुरूआत गुरूवंदना से की गई। कार्यक्रम में उमेश कंपूवाले, रंजना टोणपे एवं शरद रिषी ने रांग हंस ध्वनि, बंदिश, दादरा एवं ढुमरी की प्रस्तुति की जो रसिकों और मोरारी बापू को बहुत पसंद आर्इं। इस दौरान मोरारी बापू मंच से नीचे भक्तों के बीच शांत मुद्रा में बैठे हुए शास्त्रीय संगीत का आनंद लेते रहे और तालियों की गड़गड़ाट से कलाकारों का प्रोत्साहन करते रहे। इस दौरान भक्त भी बापू के श्रीचरणों में बैठे रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अशोक आनंद ने कहा कि जब तक विधाता की कृपा न हो आप संगीत और कथा का आनंद ही नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान को कला के साथ सरोकार होना चाहिए। कार्यक्रम में तबले पर विकास विपट, हारमोनियम पर शरद तथा वायलिन पर अंकुर ने शिरकत की।

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Updated : 25 Feb 2017 12:00 AM GMT
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