दुनिया के शीर्ष मुकाम पर पहुंचा इसरो
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*अमित सेंगर
करीब अड़तालीस साल पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले रॉकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल तक पहुंचाया था। चूंकि इस मिशन का दूसरा रॉकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे इसरो के वैज्ञानिकों ने बैलगाड़ी की मदद से रॉकेट को लॉचिंग पैड तक पहुंचाया। इससे भी रोमांच कर देने वाली घटना ये थी कि भारत के पास लॉचिंग पैड भी नहीं था। भारत ने पहले रॉकेट के लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था। आज इसरो के पास विश्व के सबसे बेहतरीन लॉचिंग पैड भी उपलब्ध हैं।
15 अगस्त 1969 में जब विक्रम साराभाई के नेतृत्व में इसरो ने अपना आगाज किया और पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट बनाया था, जिसे सोवियत यूनियन ने 19 अप्रैल 1975 को लॉन्च किया था। तब किसी ने सोचा नहीं होगा कि यही इसरो आगे चलकर दुनिया भर में भारत का झंडा बुलंद करेगा। उस वक्त और आज के समय में इसरो को इस मुकाम तक पहुंचाने में दो लोगों का सबसे बड़ा योगदान है पहला नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डा. विक्रम साराभाई थे और दूसरा नाम डा. अब्दुल कलाम का है। भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी-3 को 18 जुलाई 1980 को लांच किया था। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति कलाम थे। इसरो यहीं नहीं रुकने वाला था। वह अमेरिकी राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष प्रशासन से भी आगे निकलना चाहता था सन1990 में पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी तैयार कर लिया था। उसे भारत ने पहली बार पीएसएलवी के जरिए 1993 में पहला उपग्रह कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा भारत ने 2008 में चंद्रयान को अंतरिक्ष में भेजा। इसरो का यह मिशन भी सफल रहा इस मिशन की सबसे खास बात थी कि यह विश्व का सबसे सस्ता चंद्रमा पर भेजा जाने वाला यान था। इसका अंदाजा इस बात से ही लगया जा सकता है कि नासा ने अपने चंद्र मिशन को इससे 40 गुना अधिक लागत में चंद्रमा पर भेजा था। भारत के चंद्रयान के नाम एक खूबी तब जुड़ गई जब उसने चांद पर पानी खोज निकाला। इसरो इस सफलता के बाद यहीं नहीं रुकने वाला था। इसरो ने एक और कदम आगे बढ़ाकर मंगल पर यान भेजने का निश्चय किया। इस मिशन में भी इसरो सफल रहा। इस मिशन की सबसे बड़ी बात यह थी कि इसरो पहले प्रयास में इसे सही सलामत मंगल तक पहुंचाने में सफल रहा। जबकि अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह तक पहुंचने में सफलता मिली।
इसरो ने बुधवार 15 फरवरी, 2017 को एक बार में एक साथ 104 सैटेलाइ्ट्स को अंतरिक्ष में भेजकर रूस और अमेरिका के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। इससे पहले रूस ने एक बार में एक साथ 37 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा था। वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब तक एक बार में एक साथ 29 सैटेलाइट ही भेज पाया है। हालांकि आज से पहले इसरो ने एक बार में एक साथ 20 सैटेलाइट अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेजा था। अब इसके चलते भारत से सैटेलाइट लॉन्च करना दुनिया में अब सबसे सस्ता और भरोसेमंद माना जा रहा है, इसलिए भारत सैटेलाइट लॉन्चिंग के बाजार में तेजी से उभर रहा है। इससे अंदाजा आप लगा सकते हैं कि अमेरिका, जापान, चीन और यूरोप की तुलना में सैटेलाइट लॉन्चिंग भारत में 66 गुना सस्ता है। लेकिन सैटेलाइट लॉन्चिंग के अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब भारत महाशक्तियों को टक्कर देने में लगा है। अन्य देशों की तुलना में इसरो कम कीमत पर सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजता है। पिछले कुछ सालों में भारत सैटेलाइट लॉन्चिंग के बाजार में भरोसेमंद देश बनकर सामने आया है। इसरो ने दुनिया के 21 देशों के 79 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है, जिसमें गूगल और एयरबस जैसी बड़ी कंपनियों के सैटेलाइट शामिल भी रहे हैं। इसरो को अमेरिकी निजी स्पेस कंपनियों जैसे स्पेस एक्स से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। जून, 2016 में जब इसरो ने 20 सैटेलाइट लांच की थी तब अमेरिकी विमानन विभाग ने कहा था कि भारत का कम दाम में मिसाइल लांच करना उनका बाजार तबाह कर सकता है। मगर इसरो की उन ऐतिहासिक उपब्धियों पर, जिससे कदम दर कदम भारत का कद अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ता चला गया और अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में इसरो ने इस तरह कामयाबी पाई कि भारत को अमेरिका और रूस से भी आगे खड़ा कर दिया है। आज इसरो ने एक रॉकेट से एक बार में 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करने की इसरो की इस कामयाबी का डंका पूरी दुनिया में बज गया ।
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