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लश्कर-ए-तैयबा के 8 आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, 11-11 लाख रुपए का लगाया जुर्माना

लश्कर-ए-तैयबा के 8 आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, 11-11 लाख रुपए का लगाया जुर्माना
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जयपुर। लश्कर-ए-तैयबा संगठन के आठ आतंकियों को आज आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सभी आतंकियों पर 11-11 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। राजधानी जयपुर में एडीजे कोर्ट-17 पवन गर्ग की अदालत ने इन आठों को धारा 13, 18, 18 (बी) और 20 के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया। कोर्ट ने सात साल बाद यह फैसला सुनाया है।

हम आपको बता दें कि सजा पाने वाले आतंकियों में तीन पाकिस्तानी और पांच भारतीय है जो कि लश्कर ए तैयबा संगठन से जुड़े हुए थे। सजा पाने वाले आरोपियों में असगर अली, शकर उल्लाह और मोहम्मद इकबाली पाकिस्तानी है, वहीं निशाचंद अली, पवन पुरी, अरुण जैन, काबिल खां और अब्दुल मजीद भारतीय है। कोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के इन सभी आठ आतंकियों को देश में अांतक फैलाने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में दोषी करार देते हुए अपना फैसला सुनाया। सजा का ऐलान करने के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों पर 11-11 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कहा कि सभी आरोपी देश में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी नेटवर्क तैयार कर रहे थे ताकि देश में आतंकी हमले किए जा सके। इससे पहले एटीएस की टीम सभी आरोपियों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच कोर्ट में लेकर आई और उन्हें पेश किया।

गौरतलब है कि इससे पहले सभी आरोपियों के खिलाफ सजा का ऐलान चार दिसंबर को किया जाना था। लेकिन वकील ने सभी आरोपियों के आर्थिक हालात का हवाला दिया और कम सजा की मांग की। लेकिन दूसरे पक्ष के वकील ने राष्ट्र की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सख्त से सख्त सजा की मांग की। लेकिन बाद में दो पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने 6 दिसंबर को सजा सुनाने का ऐलान किया था। बता दें कि साल 2010 अक्टूबर में एसओजी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आठ आतंकियों को आतंकी साजिश रचने आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई। जांच के दौरान एटीएस ने पाया कि सभी आरोपी लश्कर ए तैयबा आतंकी संगठन से जुड़े हुए हैं। और यह मामला सात साल से चलता आ रहा है। मामले को लेकर एटीएस करीब तीन हजार पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इसके बाद कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं बचाव पक्ष ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही।

Updated : 6 Dec 2017 12:00 AM GMT
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