ईरान के चाबहार पोर्ट का हुआ उद्घाटन, भारत-ईरान-अफगान संबंधों की नई इबारत
नई दिल्ली। ईरान के राष्ट्रपति हुसैन रूहानी ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के प्रथम चरण का रविवार को उद्घाटन किया। साथ ही अब भारत-अफगानिस्तान के बीच समुद्री व्यापार की सभी कठिनाइयां दूर हो गई। चाबहार पोर्ट के पहले लैंडलॉक देश अफगानिस्तान को सामान भेजने के लिए भारत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर निर्भर होना पड़ता था। चाबहार बंदरगाह के शुरू होने से अब अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर समुद्री व्यापार के लिए निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो गई है।
ईरान विदेश मंत्रालय के मुताबिक ईरान के राष्ट्रपति हुसैन रूहानी ने रविवार को चाबहार बंदरगाह के प्रथम चरण का उद्घाटन किया। साथ ही भारत को इस बंदरगाह को चलाने के पूरे अधिकार दे दिए। अब भारत ईरान के चाबहार पोर्ट का प्रबंधन संभालेगा। ये जिम्मेदारी भारत को डेढ़ साल पहले ही मिल गई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मई, 2016 को ईरान की यात्रा पर गए थे।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चाबहार बंदरगाह के उद्घाटन के पहले शनिवार को ईरान के विदेश मंत्री डॉ जावेद जारिफ से मुलाकात की। दोनों ही नेताओं ने भारत-ईरान द्वीपक्षीय संबंधों को लेकर विस्तार से चर्चा की। दोपहर के खाने पर हुई इस मुलाकात में सुषमा स्वराज का जोर भारत-ईरान के संबंधों को और बेहतर करने के प्रयासों पर रहा। स्वराज ने कहा कि भारत और ईरान पारंपरिक रूप से एक-दूसरे के करीब रहे हैं और दोनों देशों के बीच मानव सभ्यता के समय से संबंध रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की ये मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के खत्म होने पर हुई। स्वराज शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस की यात्रा पर थीं। एससीओ के शिखर सम्मेलन के खत्म होने पर भारत लौटते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ईरान की राजधानी तेहरान गई।
चाबहार बंदरगाह के खुलने से अब भारत अफगानिस्तान को सीधे सामान भेज सकेगा। इससे पहले भारत-अफगानिस्तान को अपने द्वीपक्षीय व्यापार के लिए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था। ईरान का चाबहार बंदरगाह, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 72 किलोमीटर दूर है। भारत से जाने वाले जहाजों को अब केवल 72 किमी और दूरी तय करनी पड़ेगी।
भारत-ईरान-अफगानिस्तान के बीच मई, 2016 में चाबहार बंदरगाह को लेकर त्रिपक्षीय समझौता हुआ था, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ईरान यात्रा पर गए थे। तब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और ईरान के राष्ट्रपति रूहानी के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। चाबहार दक्षिण-पूर्वी ईरान में एक बंदरगाह है, जिससे भारत पाकिस्तान को बाईपास कर सकता है और अफगानिस्तान के लिए जमीन खोल सकता है क्योंकि लैंडलॉक देश होने के चलते अफगानिस्तान के पास समुद्र तट नहीं है। चाबहर से, मौजूदा ईरानियाई सड़क नेटवर्क अफगानिस्तान में ज़ारंज तक जोड़ सकते हैं, बंदरगाह से लगभग 883 किलोमीटर दूर।
2009 में भारत द्वारा निर्मित ज़ारंज-डेलाराम रोड अफगानिस्तान के गारलैंड राजमार्ग तक पहुंच सकता है, जिससे अफगानिस्तान के चार प्रमुख शहरों तक पहुंच का रास्ता तय किया जा सकता है- हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ। चाबहार बंदरगाह के विकास पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के अलावा, भारत ईरान से तेल के आयात को दोगुना करने की कोशिश कर रहा है, जो कुछ साल पहले दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, साथ ही एक विशाल गैस क्षेत्र के विकास के अधिकार भी प्राप्त कर रहा था।