Home > Archived > राजनाथ सिंह ने कहा - भारत देगा विश्व को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का संदेश

राजनाथ सिंह ने कहा - भारत देगा विश्व को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का संदेश

राजनाथ सिंह ने कहा - भारत देगा विश्व को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का संदेश
X

नई दिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि विश्व को शांतिपूर्ण सह अस्तित्व का संदेश केवल भारत ही दे सकता है। भारतीय समाज प्राचीनकाल से ही ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत का न केवल प्रतिपादन करता आया है बल्कि उसका अनुपालन भी करता है। यह भावना हमारे संविधान में भी अन्तर्निहित है। इसलिए भारत ही विश्व को शांति और सहअस्तित्व के लिए एकजुट कर सकता है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात आज नई दिल्ली में आयोजित विश्व के न्यायाधीशों के 18वें समारोह में कही। चार दिवसीय यह समारोह 10 से 14 नवम्बर तक लखनऊ के सिटी मोन्टेसरी स्कूल में आयोजित होगा। दुनिया भर के प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेने आज दिल्ली पहुंचे। इन सबने पहले राजघाट जाकर गांधी समाधि के दर्शन किए।

इसके बाद नई दिल्ली के ली मेरिडियन होटल में इसका विधिवत पहला सत्र हुआ। इसमें गृहमंत्री ने 60 देशों से आए 270 प्रतिनिधियों का भारत में स्वागत किया। समारोह में गुयाना के उप राष्ट्रपति खेमराज रामजतन, तुवालु के गवर्नर जनरल लकोवा ट इटालेली, क्रोशिया के पूर्व उप राष्ट्रपति स्टेजपन मेसिक, लेसोथो के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. पाकालिथा बी मोसिसली प्रमुख रूप से शामिल हुए। इसके साथ ही मारिशस और घाना की संसद के सभापति, अनेक देशों के मंत्री, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश सहित लगभग 60 देशों के न्यायाधीश या कानून विशेषज्ञ शामिल हुए। दुनिया भर में अपनी तरह का यह अकेला आयोजन है जिसे लखनऊ का सिटी मोन्टेसरी स्कूल आयोजित करता है। यह उसका 18 वां आयोजन है।

इस आयोजन के संयोजक व सिटी मोन्टेसरी के संस्थापक-प्रबंधक डॉ. जगदीश गांधी ने बताया कि हम विश्व की एक संसद, विश्व का एक न्यायालय और विश्व की एक सरकार के विचार को प्रोत्साहित करने की योजना पर काम कर रहे है। देश-विदेश के कानूनविद् ही इस विचार को वैश्विक मंच पर उठा सकते हैं। डॉ. गांधी ने कहा कि हमारी चिंता विश्व के ढ़ाई अरब बच्चों के भविष्य से जुड़ी है। दो-दो विश्व युद्ध होने के बावजूद जिस प्रकार आज भी अनेक देशों में युद्धोन्माद छाया है, वह एक बड़ा खतरा है। हमारी वर्तमान और आने वाली संतति उससे बचे इसके लिए जरूर है कि वैश्विक स्तर पर एक निष्पक्ष न्यायालय व अन्तरराष्ट्रीय संसद बने। अभी जो अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय है, वह नाकाफी है क्योंकि वहां शक्तिशाली देशों के पास ही शक्ति संचित है। जरूरी है कि सभी छोटे से छोटे देशों को मिलाकर एक संसद और न्यायालय की स्थापना हो। यह बिना किसी भेदभाव के न्याय करे तो देशों के बीच संघर्ष समाप्त होगा और हमार भावी पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित होगा।

Updated : 9 Nov 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top