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लेखन मानव को सकारात्मक जीवन जीने का संदेश देता हैं : माया सिंह

लेखन मानव को सकारात्मक जीवन जीने का संदेश देता हैं : माया सिंह
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ग्वालियर। साहित्यिक रचनाओं से समाज को सही दिशा मिलती है। रचनाएँ सकारात्मक जीवन जीने का संदेश देती हैं। इसीलिए लेखन को मानव का श्रेष्ठ गुण माना जाता है। यह विचार प्रदेश की नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह ने शनिवार को "मन की रुनझुन" पुस्तक के विमोचन समारोह में व्यक्त किए। अंशु सिंह द्वारा रचित इस पुस्तक का विमोचन समारोह शनिवार को जीवाजी क्लब में मध्यप्रदेश लेखक संघ के बैनर तले आयोजित हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संत कृपाल सिंह ने की। इस अवसर पर महापौर विवेक नारायण शेजवलकर, राज्य शासन के अतिरिक्त सचिव डॉ राजीव शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दिवाकर विद्यालंकार , जगदीश तोमर व अन्नपूर्णा भदौरिया मंचासीन थीं।

माया सिंह ने "मन की रुन झुन" पुस्तक की सराहना की। उन्होंने कहा रचनाकार ने स्त्री के मनोभावों को कविताओं के माध्यम से बखूबी ढंग से प्रस्तुत किया है। उन्होंने मन की रुनझुन पुस्तक की एक कविता "कुछ कहने की चाहत..." पढक़र सुनाई। साथ ही रचनाकार अंशु सिंह को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा शासकीय सेवा में रहकर रचनाकार ने स्त्री मन की पीड़ा को बड़े अच्छे ढंग से बयां किया है।

महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा वर्तमान में महिला सशक्तिकरण का युग है। रचनाकार ने अपनी पुस्तक में दर्शाया है कि वह मन की रुन झुन ही नहीं जरूरत पडऩे पर उसे अनहद नाद में भी तब्दील कर सकती है। संत कृपाल सिंह ने दृष्टांतो के माध्यम से पुस्तक का विश्लेषण किया और कहा यह पुस्तक सभी को कुछ न कुछ देती हुई प्रतीत होती है।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दिवाकर विद्यालंकार व जगदीश तोमर ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे। मन की रुन झुन पुस्तक के विमोचन के साथ ठाकुर उदय सिंह भदौरिया स्मृति समारोह भी आयोजित किया गया। इस समारोह के उपलक्ष्य में साहित्यकार एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डॉ राजीव शर्मा,वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ राकेश पाठक व डॉ सरिता सिंह सिसोदिया को अतिथियों ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में काव्य गोष्ठी हुई जिसमें कवियों ने एक से बढक़र एक रचनाएँ पढ़ीं।

Updated : 5 Nov 2017 12:00 AM GMT
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