प्रकाश जावड़ेकर ने कहा - पर्यावरण संरक्षण से जुड़े प्रयासों को समय चाहिए

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा - पर्यावरण संरक्षण से जुड़े प्रयासों को समय चाहिए
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नई दिल्ली। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े प्रयासों को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए समय चाहिए। नदियों के पुनरुधार कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पेरिस और अन्य देशों की नदियां केवल 5 साल में ही साफ नहीं हो गई हैं, उन्हें स्वच्छ और निर्मल बनाने में 20 साल लगे हैं।

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(एनजीटी) की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन के समापन सत्र में शनिवार को केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकारी हस्ताक्षेप के तहत नई व्यवस्था और तकनीक लाने से पहले उद्योगों और हितधारकों से बातचीत करनी पड़ती। उनसे पूछा जाता है कि क्या वह नए उपायों के लिए तैयार हैं अगर वह मानते हैं कि 50 प्रतिशत तैयार हैं तो सरकार उन्हें लागू कराती है और 60 से 70 प्रतिशत लक्ष्य हासिल हो पाता है।

इस अवसर रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल सरकार की ओर से पर्यावरण को बचाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि केवल सरकार के एलईडी बल्ब के प्रयोग को प्रोत्साहन देने के कार्यक्रम से ही 8 करोड़ टन कार्बन का उत्सर्जन हर साल कम हुआ है और स्ट्रीट लाइट को एलईडी में बदलने से 112 अरब यूनिट बिजली की खपत में कमी आई है। उन्होंने कहा कि सरकार के इन छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि टोल के लिए गाड़ियों में फास्टटैग लगाये जाने से लोगों का समय और धन बच रहा है वहीं गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में भी कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी आने से ट्रांसपोर्ट के ज़रिए माल की आवाजाही 35 प्रतिशत बेहतर हुई है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मदन बी लोकूर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ज्यादातर प्रयास न्यायपालिका की ओर से ही हो रहा है। ऐसे में विधायिका की ओर से भी प्रयास होने चाहिए। सरकार को नए नियम और व्यवस्था बनानी चाहिए जो सभी दृष्टिकोण से बेहतर व्यवस्था तैयार करे। इसके अलावा उनका जमीनी स्तर पर सही पालन हो यह भी सुनिश्चित होना चाहिए।

एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हो रहे प्रयासों में न्यायपालिका का हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उच्च्तम न्यायालय भी एनजीटी के काम ज्यादा हस्ताक्षेप नहीं करता क्योंकि वह उसके कार्य के महत्व समझता है। इन प्रयासों से पर्यावरण की बेहतरी की दिशा में काफी कुछ हासिल किया जा चुका है। उन्होंने आहवान किया कि हम अपनी सोच को बदलें और भविष्य को हरित बनाने के लिए मिलकर प्रयास करें क्योंकि प्रकृति को हमारी जरूरत नहीं है बल्कि हमें प्रकृति की जरूरत नही है।

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