आनंदीबेन को मप्र का राज्यपाल बनाने की सुगबुगाहट तेज

आनंदीबेन को मप्र का राज्यपाल बनाने की सुगबुगाहट तेज
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-प्रदेश में नहीं है पूर्णकालिक गवर्नर
नई दिल्ली। गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन को मप्र का राज्यपाल बनाने की चर्चा फिर जोर पकड़ गई है। कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद कई राज्यों में खाली राज्यपाल के पदों को भरा जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा आनंदीबेन को मप्र का गर्वनर बनाने की है। गुजरात चुनाव अब पूरे चरम पर पहुंच गया है। भाजपा की सरकार बनना लगभग तय है, वहां भाजपा सीट बढ़ाने के लिए लड़ रही है।

चुनाव के बाद केन्द्रीय स्तर पर व्यापक फेरबदल की संभावना है, जिसमें सबसे अहम मुद्दा राज्यपालों की नियुक्ति का है। सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने वाली आनंदीबेन को राज्यपाल बनाने की सुगबुगाहट फिर तेज हो गई है। हालांकि पहले भी आनंदीबेन को राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा सुनी गई थी। तब ये भी चर्चा थी कि आनंदीबेन राज्यपाल बनने की इच्छुक नहीं है, इसलिए नियुक्ति नहीं हो पाई थी। यद्यपि आनंदीबेन को तब राज्यपाल बनाने से परहेज करने का कारण चुनाव था। मोदी चुनाव तक बेन को गुजरात में रखना चाहते थे। क्योंकि वह जानते थे कि आनंदीबेन का चुनाव में सही उपयोग किया जा सकेगा। राज्यपाल बनने के बाद बेन को चुनाव से दूर रहना पड़ेगा। लिहाजा, माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के बाद आनंदीबेन को राज्यपाल बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। आनंदीबेन को मप्र का राज्यपाल बनाने के पीछे रणनीति है। अगले साल मप्र में चुनाव होना है। अमूमन हर सरकार चाहती है कि जिस राज्य में चुनाव हो, वहां रणनीतिक समझ रखने वाला गर्वनर रखना फायदेमंद रहता है। अभी मप्र में पूर्णकालिक राज्यपाल नहीं है। गुजरात के राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली प्रभारी हैं। बताया जाता है कि मोदी मप्र को इसलिए खाली रखे हुए हैं कि वह आनंदीबेन को राज्यपाल बनाने के इच्छुक हैं। मप्र के राज्यपाल का पद सात सितंबर 2016 से खाली है। वर्तमान में मप्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली देख रहे है। ओड़िशा के राज्यपाल एस सी जमीर को वक़्त से पहले मुक्त किया जा सकता है। ओड़िशा के राज्यपाल एस. सी. जमीर का का कार्यकाल 20 मार्च 2018 को समाप्त हो रहा है। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल नरिंदर नाथ वोहरा का कार्यकाल भी अगले साल 24 जून 2018 को समाप्त हो रहा है।

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