चीन के खिलाफ बुलंद होती आवाज भारत को ताकतवर देशों का मिला साथ
नई दिल्ली। भारत-आसियान संबंध भारतीय विदेश नीति के ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का आधार स्तंभ है। आसियान यानी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह, जिसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है। अभी इसके 10 सदस्य इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, ब्रुनेई, वियतनाम, म्यांयामार, कंबोडिया और लाओस हैं। इस बार फिलीपींस की राजधानी मनीला में 31वें आसियान शिखर सम्मेलन, 15वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और 12वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। भारत दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र की उन्नति का पक्षधर है। आर्थिक गलियारों से लेकर निवेश जैसे मामलों में वह सदस्य देशों के साथ मजबूती से बढ़ रहा है। आसियान के मनीला बैठक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत, आॅस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका एक साथ आए हैं।
भारत, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया और जापान को मिलकर चतुष्कोणीय संगठन बनाने का विचार 10 वर्ष पूर्व आया था, लेकिन अब जाकर यह अस्तित्व में आ पाया है। इस पहल को दक्षिण चीन सागर में चीन की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिहाज से अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की वियतनाम और न्यूजीलैंड के अपने समकक्ष पदाधिकारियों और ब्रुनेई के सुल्तान से भी अलग-अलग मुलाकात हुई, जिसे हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को देखते हुए अहम मानी जा रही है। साथ ही अब इसकी प्रबल संभावना है कि भारत-अमेरिका-जापान के बीच होने वाले नौसैनिक अभ्यास में आॅस्ट्रेलिया को जल्द शामिल कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान के मंच से पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश दिया। दोनों ही देशों का नाम लिए बिना उन्होंने जहां आतंकवाद और चरमपंथ को क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती करार दिया, वहीं पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करने वाले चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था का पक्षधर है।
भारत के लिए दक्षिण चीन सागर का अति विशिष्ट महत्व है। हमारा भी 55 फीसद से अधिक व्यापार दक्षिण चीन सागर के माध्यम से होता है। यही कारण है कि भारत समुद्री कानून से संबंधित 1982 के संयुक्त राष्ट्र समझौते समेत अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में परिवहन की आजादी और संसाधनों तक पहुंच का समर्थन करता है। भारत-आसियान संबंधों की ऊंचाइयों को इससे भी समझा जा सकता है कि भारत ने पूर्व की परंपरा को तोड़ते हुए 26 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस समारोह में एक मुख्य अतिथि देश के स्थान पर सभी आसियान देशों को आमंत्रित किया है।
साथ ही 25 जनवरी 2018 को भारत-आसियान शिखर सम्मेलन भी प्रस्तावित है। आसियान भारत का चौथा बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2015-16 में दोनों पक्षों के बीच 65 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जो कि भारत के कुल वैश्विक बाजार का 10.12 फीसद है। 2016-17 में यह बढ़कर 70 अरब डॉलर हो गया है। भारत ने आसियान से 2015-16 में 25 अरब डॉलर का आयात किया था, जो 2016-17 में बढ़कर 30 अरब डॉलर हो गया। भारत और आसियान देशों की अनुमानित संयुक्त जीडीपी 3.8 लाख करोड़ डॉलर है। 2050 तक यूरोपीय संघ, अमेरिका और चीन के बाद आसियान के चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था होने का अनुमान है।