Home > Archived > अरूण जेटली ने कहा - कम हो सकते है जीएसटी स्लैब, विकास चाहते हो तो टैक्स भी दो

अरूण जेटली ने कहा - कम हो सकते है जीएसटी स्लैब, विकास चाहते हो तो टैक्स भी दो

अरूण जेटली ने कहा - कम हो सकते है जीएसटी स्लैब, विकास चाहते हो तो टैक्स भी दो
X



फरीदाबाद/नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने संभावना जताई है कि आनेवाले दिनों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के स्लैब की संख्या घटाई जा सकती है। वर्तमान में जीएसटी 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी के चार स्लैब में है। जेटली ने कहा कि आनेवाले दिनों में छोटे कारोबारियों के लिए सरकार टैक्स सरलीकरण के और प्रयास करेगी, जिससे छोटे कारोबारियों को और राहत मिल सके। साथ ही जेटली ने जीएसटी और मौजूदा सरकार के वित्तीय फैसलों के खिलाफ बोलने वालों को सीधे शब्दों में कहा कि जो विकास चाहते हैं, उन्हें देश के प्रति अपनी टैक्स जिम्मेदारियों का निर्वहन भी करना चाहिए। जेटली रविवार को दिल्ली से सटे फरीदाबाद में नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम, एक्साइज एंड नॉर्कोटिक्स (एनएसीईएन) के स्थापना दिवस समारोह में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों के 67वें बैच को संबोधित कर रहे थे।

केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक कर' की संकल्पना पर शुरू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और सरकार के तमाम हालिया वित्तीय कदमों से राजस्व में बढ़ोतरी होने पर जीएसटी के स्लैब कम किए जा सकते हैं। जेटली ने कहा कि जीएसटी प्रणाली में सुधार एवं परिवर्तन की जगह बची है, और छोटे करदाताओं की सहुलियत के लिए भविष्य में ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं।

जेटली ने सपाट शब्दों में कहा कि एक ऐसे समाज में जहां टैक्स नहीं चुकाने को गलत नहीं माना जाता हो, लोगों को टैक्स अनुशासन में आने में वक्त लगेगा। इसीलिए एक कर की संकल्पना को लाया गया है। सफल होने पर छोटे करदाताओं को राहत दी जाएगी। जेटली ने कहा कि हमारी कोशिश है कि आम लोगों की जरूरतों की वस्तुओं पर सबसे कम टैक्स हो। साथ ही यदि हम देश का विकास चाहते हैं, तो हमें अपनी टैक्स जिम्मेदारियों का भी ईमानदारी से निवर्हन करना होगा। वहीं टैक्स कलेक्शन से जुड़े विभागों के अधिकारियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि पूरी ईमानदारी से कर संकलन हो एवं जो लोग कर दायरे में नहीं आते, ऐसे लोगों पर बेमतलब का कर-बोझ ना लादा जाए।

Updated : 1 Oct 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top