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दवा घोटाले में फंसे चिकित्सक पर कार्रवाई क्यों नहीं

दवा घोटाले में फंसे चिकित्सक पर कार्रवाई क्यों नहीं
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हमीदिया में तो हुई कार्रवाई पर जयारोग्य में कब होगी


ग्वालियर।
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में अव्यवस्थाओं के चलते मुख्यमंत्री द्वारा बड़ी कार्रवाई करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रभांशु कमल, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. अल्का श्रीवास्तव एवं अधीक्षक डी.के. पाल को हटा दिया गया था। इसके साथ ही नवनियुक्त प्रमुख सचिव गौरीसिंह ने भी हमीदिया अस्पताल में कैंसर उपकरण खरीदी के टेण्डर में गड़बडिय़ों को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. जी.एस. पटेल को भी निलम्बित किया गया था, लेकिन अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य चिकित्सालय के ऐसे चिकित्सकों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो करोड़ों के घोटालों में फंसे हुए हैं।

गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.एन. अयंगर द्वारा वर्ष 2013 में हुए मैरोपेनम इंजेक्शन खरीदी घोटाले में निर्धारित दरों से अधिक भुगतान किया गया था, जिसका खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ था। उस समय डॉ. जी.एस. पटेल महाविद्यालय के अधिष्ठाता और डॉ. अयंगर जयारोग्य चिकित्सालय के अधीक्षक पद पर थे, लेकिन डॉ. अयंगर ने अपने राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए अपनी पदोन्नति करवा ली थी, जिसके चलते इंजेक्शन खरीदी घोटाले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और डॉ. अयंगर वर्तमान में भी अधिष्ठाता पद पर जमे बैठे हैं। इतना ही नहीं पूर्व चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने डॉ. अयंगर की नोट शीट पर यह भी लिखा था कि उन पर कई मामले चल रहे हैं, जिसके चलते डॉ. अयंगर को अधिष्ठाता नहीं बनाया जा सकता, लेकिन उसके बाद भी वह अधिष्ठाता बने। इससे स्पष्ट है कि डॉ. अयंगर अपने ऊपर लगे आरोपों के सबूतों को अपने पद का दुरुपयोग कर मिटाने में लगे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो डॉ. अयंगर पर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के भी आरोप लगे थे। डॉ. अयंगर द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से लगभग पांच कर्मचारियों को पदोन्नत किया गया था, जबकि लम्बे समय से पदोन्नति की आस लगाए बैठे कर्मचारियों को लूप लाइन में लगा दिया गया।

लोकायुक्त में भी पहुंच चुका है मामला
गजराराजा चिकित्सा महाविद्वालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.एन. अयंगर के खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी भी दर्ज हुई थी। अधिष्ठाता द्वारा किए गए भ्रष्टाचारों की शिकायत करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने कहा था कि डॉ. अयंगर ने मार्च 2013 से जून 2014 की अवधि में इंजेक्शन मेरोपेनम की खरीदी टेंडर के जरिए तय कीमत से ज्यादा में की थी, जिससे शासन को 1 करोड़ 15 लाख रुपए का नुकसान हुआ। इसके साथ ही डॉ. अयंगर ने गरीबों के इलाज में उपयोग होने वाले ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट के आयटमों को 5 से 20 गुना महंगे दाम पर खरीदा था।

यह है पूरा मामला
जयारोग्य चिकित्सालय में वर्ष 2013 से जून 2014 के बीच अस्पताल के तत्कालीन संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक द्वारा मेरोपेनम इंजेक्शन की खरीदी टेंडर के जरिए की गई थी। टेंडर में मेरोपेनम इंजेक्शन की एक वायल की कीमत 211.90 रुपए थी, जबकि डॉ. अयंगर ने एक इंजेक्शन की वायल 385 रुपए में खरीदी। इससे शासन को 1.15 करोड़ रुपए की हानि हुई, जिसमें डॉ. अयंगर के साथ कार्यालय के अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल थे।
इसके साथ ही डॉ. अयंगर ने अधीक्षक पद पर रहने के दौरान गरीबों के इलाज में उपयोग होने वाले ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट के आयटमों को 5 से 20 गुना महंगे दर पर खरीदा, जिसमें स्क्रू-पेचकस जैसे आयटम महंगे दाम पर किराए पर लिए गए थे, जबकि यह नि:शुल्क मिलना थे। इसमें शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंची।

इनका कहना है
इस मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उस पर उचित कार्यवाही होगी।

शरद जैन
चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री

Updated : 9 Jan 2017 12:00 AM GMT
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