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जातीय समीकरणों के आगे मंद पड़ी नागरिक सुरक्षा और विकास की ब्यार

जातीय समीकरणों के आगे मंद पड़ी नागरिक सुरक्षा और विकास की ब्यार
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ताला नगरी में रोमांचक दौर में पहुंचा विधानसभा चुनाव-2017
* मुकेश उपाध्याय
अलीगढ़। ताला नगरी के नाम से प्रसिद्ध अलीगढ़ को देश में अलीेगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कारण भी ख्याति प्राप्त है। जनपद में सात विधानसभा सीट हैं, जिनमें दो सीटे सुरक्षित है। जनपद ने चन्द्रभान गुप्त और कल्याण सिंह जैसे मुख्यमंत्री दिये, बावजूद इसके जनपद का उतना विकास नहीं हुआ। गत 2012 के चुनाव पर नजर डाले तो सात में से चार सीटों पर सपा और तीन सीटों पर रालोद ने कब्जा किया था। इस चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और बसपा को एक भी सीट नहीं मिल पाई थी। इस बार यह तीनों पार्टियां पूरे जोश और खरोश से चुनाव मैदान में उतर रहीं। हर बार की तरह इस बार विकास, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव लडने की बजाय जातीय आधार पर सभी पार्टीयों ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
दिग्गजों की प्रतिष्ठा लगी दांव पर
जनपद में जहां अलीगढ़ शहर, कोल, छर्रा, अतरौली और बरौली विधानसभा सीट सामान्य है वहीं जाट बाहुल्य खैर और इगलास सीट सुरक्षित है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का अतरौली गढ़ रहा है। इस सीट पर इस बार कल्याण सिंह का और दो बार उनकी पुत्र वधु प्रेमलता वर्मा का कब्जा रहा है। जातीय आंकडे की बात करेंगे तो यह सीट परिसीमन से पूर्व लोधे बाहुल्य थी लेकिन अब यह सीट यादव और लोधे बाहुल्य है। इसको देखकर सपा ने जहां अपने विधायक वीरेश यादव को पुनः प्रत्याशी बनाया वहीं भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाती संदीप सिंह उर्फ संजू को प्रत्याशी घोषित किया है। इस सीट पर कल्याण सिंह की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। बसपा ने दलित और मुस्लिम गठजोड़ करते हुए हाजी इलयास चैधरी को मैदान में उतारा है। अन्य पार्टियों के प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। छर्रा विधानसभा सीट जहां पहले यादव बाहुल्य थी और परिसीमन के बाद यह ठाकुर बाहुल्य हो गई है।
2012 में इस सीट से सपा के ठा. राकेश कुमार सिंह विधायक बने थे। सपा ने इस बार पुनः राकेश सिंह को ही अपना प्रत्याशी घोषित किया। भाजपा ने कल्याण सिंह के नजदीक रहे रविन्द्र पाल सिंह को और बसपा ने मौ. सगीर को अपना उम्मीदवार बनाया है। कोल विधानसभा सीट पहले सुरक्षित थी लेकिन परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य हो गई। इस सीट से सपा के जमीरउल्ला विधायक चुने गये लेकिन इस बार सपा ने उनको शिवपाल यादव के गुट का होने के कारण प्रत्याशी नहीं बनाकर अज्जू इशाक को प्रत्याशी बनाया है। मुस्लिम बाहुल्य सीट होने पर भी भाजपा ने इस बार ब्राहम्ण प्रत्याशी अनिल पाराशर को और बसपा ने रामकुमार शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। इस पर 2012 में कांग्रेस के विवेक बंसल करीब छह सौ मतों से पराजित हुए थे और इस बार वह फिर दावेदारी कर रहे है।
अपने-अपने समीकरणों को साधनें में लगे प्रत्याशी
अलीेगढ़ शहर सीट की बात करें तो हर चुनाव यहां साम्प्रदायिकता के आधार पर हो रहा है, और इस बार भी ऐसे ही आधार नजर आ रहे है। देखा जाय तो मुस्लिम वोट यहां निर्णायक होता है। मुस्लिम मतों में यदि धुर्वीकरण होता है तो भाजपा चुनाव में बाजी मार लेती है और एकजुट होने पर मुस्लिम प्रत्याशी विजयी होता है। पिछले 2007 और 2012 के चुनाव में इसी सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। बसपा इस सीट को आज तक नहीं जीत पाई है। इस बार सपा ने अपने विधायक जफर आलम को पुनः मैदान में उतारा है, वहीं बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए आरिफ अब्बासी को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने मुस्लिम के बाद दूसरे नम्बर वैश्व मतदाता होने पर संजीव राजा को उम्मीदवार बनाया है। इस बार आसार ऐसे बन रहे है कि मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण हो जाये और भाजपा को जीत मिल जाय, लेकिन मतदान से चैबीस घंटे पूर्व मुस्लिम मत निर्णय लेता है। खैर विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित है और जाट व ब्राहम्ण बाहुल्य है। इस सीट पर भाजपा ने अनूप बाल्मीकि को और समाजवादी पार्टी ने प्रशांत बाल्मीकि को उतारा है वहीं बसपा ने राकेश मौर्य को और रालोद ने ओमपाल सूर्यवंशी को प्रत्याशी बनाया है।
समय की चाल करेगी प्रत्याशियों के भविष्य का निर्णय
जनपद की बरौली सीट इस बार भी दो वीरों के बीच प्रतिष्ठा की बन गई है। इस सीट पर कई चुनावों में ठाकुरों का कब्जा रहा है क्योकि यह ठाकुर बाहुल्य सीट है। गत 2001 और 2007 में बसपा के ठा. जयवीर सिंह चुनाव जीते और मंत्री बने, जबकि 2012 के चुनाव में रालोद से ठा. दलवीर सिंह ने जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार ठा. दलवीर सिंह रालोद छोडकर भाजपा में शामिल हुए और उन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है, वहीं बसपा ने फिर ठा. जयवीर सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, इस पर रालोद ने जहां नीरज शर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो सपा ने सुभाष लोधी को मैदान में उतारा है। यहीं सभी प्रत्याशी जातिय समीकरण को देखकर बनाये गये है। इगलास विधानसभा सीट जाट बाहुल्य है और दूसरे नम्बर पर ब्राहम्ण है लेकिन ज्यादातर इस पर जाट प्रत्याशी ही चुनाव जीते है। इस सीट पर चै. चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी व पुत्री डा.ज्ञानवती सिंह प्रतिनिधित्व कर चुकी हंै। इस सीट पर भाजपा ने राजवीर सिंह दिलेर को, बसपा ने राजेन्द्र कुमार को, सपा ने पप्पू प्रधान और रालोद ने सुलेखा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा, बसपा और सपा सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार कर सभी सीट जीतने का दावा कर रही है लेकिन, यह तो समय की चाल ही निश्चित करेगी कि चुनावी परिणाम में किसे राज और किसे वनवास मिलेगा।

Updated : 28 Jan 2017 12:00 AM GMT
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