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तड़पती रही प्रसूता, चिकित्सक ने नहीं किया भर्ती

तड़पती रही प्रसूता, चिकित्सक ने नहीं किया भर्ती
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*लापरवाही: सुबह के इंतजार में खुले आसमान के नीचे रात भर बैठी रही गर्भवती महिला
*तमाम अव्यवस्थाएं, प्रसूताएं परेशानसमस्याएं कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही हैं

ग्वालियर|
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों द्वारा बरती जा रही घोर लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है। चिकित्सकों द्वारा आए दिन नए-नए कारनामे किए जा रहे हैं। उसके बाद भी वरिष्ठ अधिकारी चिकित्सकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इसी के चलते चिकित्सकों की लापरवाही और मानमानी का एक और मामला सामने आया है, जिसमें अस्पताल में पहुंची गर्भवती महिला को पूरी रात ठंड में खुले आसमान में तड़पना पड़ा, लेकिन चिकित्सकों को उस पर दया नहीं आई और उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया।

मामला शनिवार की देर रात का है, जब कटोराताल के पास झुग्गी झोपड़ी में रह रही द्रोपती अपने परिजनों के साथ मुरार स्थित जिला अस्पताल के जच्चा खाने में प्रसव के लिए पहुंची थी। द्रोपती को रात लगभग 10 बजे प्रसव पीड़ा उठी तो उसके परिजन उसे रात 11 बजे जच्चा खाने लेकर पहुंचे। अस्पताल में उपस्थित डॉ. दीपाली माथुर द्वारा द्रोपती की जांच कर बताया गया कि उसके प्रसव का समय अभी नहीं है, इसलिए उसे सुबह तक इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन मरीज के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह वापस अपने घर लौट सके, इसलिए वह अपने परिजनों के साथ पूरी रात जच्चा खाने के बाहर खुले आसमान में सुबह होने का इंतजार करती रही, लेकिन चिकित्सकों द्वारा उसे भर्ती नहीं किया गया। पूरी रात ठंड में गुजारने के बाद प्रसूता को रविवार सुबह लगभग 7 से 8 बजे के बीच भर्ती किया गया। तत्पश्चात डॉ. गीता अहिरवार द्वारा उसका दोपहर 2.30 बजे के बीच आॅपरेशन किया गया और उसने बच्चे को जन्म दिया। इस संबंध में द्रोपती के परिजनों का कहना था कि चिकित्सक द्वारा सुबह प्रसव होने की बात कही गई, लेकिन हमारे पास पैसे नहीं थे, हमने चिकित्सकों से भर्ती करने की बात भी कही थी, लेकिन उन्होंने सुबह आने के लिए कहा, जिसके चलते हमने यहीं सुबह होने का इंतजार किया।

आॅपरेशन की कहकर डराया जाता है परिजनों को
जच्चा खाने में व्याप्त अव्यवस्थाएं और चिकित्सकों की लापरवाही यहीं नहीं थमती। इन दिनों चिकित्सक अपने काम से बचने के लिए प्रसूता को आॅपरेशन की बात कहकर डरा देते हैं। बताया गया है कि मुरार जच्चा खाने में जब कोई प्रसूता पहुंचाती है तो चिकित्सकों द्वारा उसका परीक्षण कर सबसे पहले आॅपरेशन की बात कही जाती है, जिससे प्रसूता और उसके परिजन डर जाएं और किसी अन्य अस्पताल में चले जाएं। शनिवार व रविवार की रात लगभग 1.30 बजे हजीरा निवासी हरवेश भदौरिया अपनी बहू को जच्चा खाने लेकर पहुंचे थे। अस्पताल में उपस्थित महिला चिकित्सक द्वारा प्रसूता का परीक्षण किया और आॅपरेशन की बात कहते हुए परिजनों से सहमति मांगी, तो वह डर गए और उन्होंने समान्य प्रसव कराने की बात कही, लेकिन चिकित्सक द्वारा आॅपरेशन की सहमति न देने के लिए पर्चे पर उनके हस्ताक्षर करा लिए, जिससे वह डर गए और रविवार को सुबह चार बजे अपनी बहू को लेकर गांधी नगर स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे, जहां उनकी बहू का सुबह 5.50 बजे सामान्य रूप से प्रसव हो गया।

समय पर नहीं पहुंची108, आॅटो में हुआ प्रसव
मरीजों व प्रसूताओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए शासन द्वारा 108 व जननी एक्सप्रेस सहित अन्य आपातकालीन सेवाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन मरीजों को इन आपातकालीन सेवाओं की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसके चलते महिला का रास्ते में ही प्रसव हो गया। जानकारी के अनुसार महाराज पुरा निवासी सज्जन सिंह की पत्नी नीलम को रविवार शाम लगभग पांच बजे के बीच प्रसव पीड़ा उठी, जिसके चलते सज्जन सिंह ने 108 को फोन किया, लेकिन चार से पांच बार फोन लगाने के बाद भी 108 पर सम्पर्क नहीं हो सका, जिसके चलते सज्जन सिंह अपनी पत्नी को आनन-फानन में आॅटों में बिठालकर मुरार स्थित जच्चा खाने के लिए निकले, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही महिला का प्रसव आॅटो में ही हो गया। इतना ही नहीं जब महिला जैसे-तैसे आॅटो से अस्पताल के गेट पर पहुंची तो करीब 10 से 15 मिनट के बाद चिकित्सक उसे देखने पहुंचे और तब महिला को भर्ती कराया गया।

बिजली नहीं होने से चिकित्सक व मरीज हुए परेशान

मुरार जिला अस्पताल एवं जच्चा खाने में शनिवार-रविवार की रात 1.30 बजे से लेकर तीन बजे तक बिजली आती-जाती रही। इस कारण लेबर रूम में पहुंचीं गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। अस्पताल की बिजली हर 10 से 15 मिनट के बीच गुल होती रही, लेकिन अस्पताल में जनरेटर या इन्वर्टर न होने के कारण चिकित्सक लेबर रूम में भर्ती महिलाओं का परीक्षण ठीक से नहीं कर पा रहे थे। यहां तक कि जांच के लिए पैथोलॉजी विभाग में पहुंचे मरीजों के परिजन भी जांच रिपोर्ट के लिए परेशान होते रहे। बिजली के बार-बार चले जाने से जांच मशीन ठीक से काम नहीं कर रही थी। इसके चलते जांच रिपोर्ट देर से मिली।

इनका कहना है
मैं सुबह आठ बजे जब अस्पताल पहुंची थी तो मुझे वह महिला भर्ती मिली थी। महिला के परिजन आॅपरेशन के लिए तैयार नहीं थे। दोपहर 2.30 बजे महिला के परिजनों ने आॅपरेशन की बात कही, तब उसका आॅपरेशन किया गया। महिला रात भर बाहर क्यों बैठी रही। इसकी मुझे जानकारी नहीं है।

डॉ. गीता अहिरवार, जिला अस्पताल मुरार

Updated : 16 Jan 2017 12:00 AM GMT
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