आतंकवाद पर घिरा पाकिस्तान

भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले में पाकिस्तान पूरी तरह दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। इधर इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र्र मोदी ने जी-20 के मंच से एक बार फिर विश्व को आतंक के प्रति चेताया है। हालांकि यहां अधिकतर विश्व के आर्थिक मसलों पर चर्चा की अपेक्षा की जा रही थी लेकिन श्री मोदी ने यहां दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 की शिखर बैठक में मुख्य रूप से अपना फोकस आतंकवाद और उसके प्रायोजक देश अर्थात पाकिस्तान की घेराबंदी करने पर रखा। उनके इस रुख के चलते शिखर बैठक का अंतिम सत्र आते-आते यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि उनके निशाने पर कौन और क्यों है। इस सत्र में श्री मोदी ने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो कि आतंकवाद का उपयोग राजकीय नीति के रूप में करते हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण एशिया में एक ऐसा देश है जो हमारे क्षेत्र में आतंकवाद और दहशत के एजेंटों को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने बैठक में उपस्थित विश्व के नेताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं,उनका समर्थन करते हैं उन्हें पूरी तरह अलग-थलग कर देना चाहिए। चीन के हॉगझाऊं शहर में हुए जी 20 के इस सम्मेलन में श्री मोदी की विभिन्न देशों के नेताओं से इस दौरान द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इन सभी में उन्होंने आतंकवाद और दहशतगर्दी के सवाल को प्रमुखता से उठाया। इसमें सबसे अधिक ध्यान उनकी शी-जिनपिंग के साथ हुई वार्ता ने खींचा, वह इसलिए कि चीन की धरती पर उन्होंने चीन के राष्ट्रपति से असामान्य दो टूक बातचीत की और आतंकवाद पर खुलकर अपना पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान के प्रति चीन के नरम रुख और पाक अधिकृत कश्मीर में चीन द्वारा आर्थिक गलियारे के निर्माण से जुड़ी भारत की चिंता को भी जाहिर किया। इसके साथ ही श्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की धरती से सक्रिय आतंकवादियों को चीन से मिल रहे समर्थन का भी खुलकर जिक्र किया। इसे लेकर प्रधानमंत्री का मंतव्य स्पष्ट था कि भारत की पुरानी नीति है जिसके अनुसार आतंकवाद तो आतंकवाद है, उद्ेदश्य या निशाने के आधार पर इसमें अंतर नहीं किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत हमेशा से इस बात पर जोर देता रहा है कि इस सिद्धांत को अपनाकर आतंकवाद के खिलाफ एक अन्तर्राष्ट्रीय संधि की जाए। हालांकि इसमें तो फिलहाल सफलता नहीं मिली लेकिन शिखर बैठक के अंत में जारी लगभग 7 हजार शब्दों की विज्ञप्ति में जी 20 ने यह संकल्प अवश्य जताया कि इस समूह में शामिल देश आतंकवाद को धन मुहैया कराने के सभी स्रोतों, तकनीकों और रास्तों का एकजुट होकर मुकाबला करेंगे। इन सभी देशों ने दहशतगर्दी और आतंकवाद सम्बन्धी जानकारियों के आदान-प्रदान, आतंकवादी गुटों की सम्पत्ति जब्त करने और आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने को अपराध बनाने के प्रति भी स्वयं को वचनबद्ध किया। इस तरह यह बात भारत को सुकून देने वाली कही जा सकती है। यदि इस पर ध्यान दें और बारीकी से देखें तो यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत धीरे-धीरे ही सही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद विरोधी माहौल बनाने में लगातार सफलता हासिल कर रहा है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है चंूकि एनडीए सरकार ने अपनी कूटनीति में इसे उच्च प्राथमिकता दी है तो इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि अपने इस मकसद की ओर भारत अब तीव्र गति से आगे बढ़ सकेगा। वहीं पाकिस्तान को इस मुद्दे पर अलग-थलग करना इस दिशा में बड़ी प्रगति होगी। इसमें अमेरिका से बढ़ती भारत की दोस्ती और चीन के खिलाफ बनता माहौल भारत के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि भारत अब आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को बेनकाब करने में लगातार सफल हो रहा है। जो कि भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लिए आतंकवाद के खिलाफ जंग में एक सफल हथियार साबित हो सकता है।