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सार्वभौम संकल्पना है हिन्दुत्व: शर्मा

सार्वभौम संकल्पना है हिन्दुत्व: शर्मा
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ग्वालियर। हिन्दुत्व एक सार्वभौम संकल्पना और सार्वभौम दृष्टि है। हमारे यहां हमेशा से राजा भोज की परम्परा रही है। हमारे यहां परस्पर हितों की रक्षा को ही धर्म कहा गया है। हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा लिखे गए वेद शास्त्र सम्पूर्ण मानवता की शासी विरासत हैं, जिनमें अथाह ज्ञान-विज्ञान भरा पड़ा है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने ऋग्वेद को विश्व की धरोहर में शामिल किया है।

यह बात राष्ट्रोत्थान न्यास द्वारा हमारी सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़े विषयों पर आयोजित तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधिनी व्याख्यान माला के द्वितीय दिवस रविवार को ‘हिन्दुत्व-एक वैज्ञानिक जीवन दृष्टि’ विषय पर पेसीफिक विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक भगवती प्रकाश शर्मा ने मुख्य वक्ता की आसंदी से अपने व्याख्यान में कही। तराणेकर सभागार, राष्ट्रोत्थान न्यास भवन, नई सडक़, लश्कर में आयोजित व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता श्री शर्मा ने कहा कि यूरोपीय देश जिस विज्ञान की बात करते हैं, वह विज्ञान हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने वेद शास्त्रों के माध्यम से पूरी दुनिया को हजारों वर्ष पहले ही दे दिया था। उन्होंने कहा कि हमारे यहां वेद मंत्रों का संकलन पांच हजार वर्ष पूर्व ही हो चुका था। हमारे वेदों में आज का सम्पूर्ण विज्ञान, आविष्कार आदि का पूर्ण विवरण मिलता है।

श्री शर्मा ने कहा कि हमारे धर्म गं्रथ कल्पना नहीं, सत्य कथाएं हैं, जिनमें सम्पूर्ण भू और सौर्य मंडल का विस्तृत विवरण है। इससे पता चलता है कि हमारे ऋषि-मुनियों को कितना अथाह ज्ञान था। उन्होंने कहा कि हमारे ऋषियों ने सार्वभौम तिथि क्रम पूरी दुनिया को दिया, जो सम्पूर्ण भू मंडल पर एक साथ बदलती है। इसी प्रकार पूरी दुनिया को गणित और अंक ज्ञान भी भारत ने ही दिया। उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन विज्ञान काफी उत्कृष्ट था, जिसका आज का विज्ञान पांच प्रतिशत ही पता लगा पाया है। श्री शर्मा ने कहा कि प्राचीन समय में हिन्दुत्व का प्रभाव कितना विस्तृत था। यह आज भी दक्षिण और मध्य एशिया के देशों में देखने को मिलता है, जहां सूर्य, गणेश, हनुमान मंदिरों के अलावा हिन्दू संस्कृति के अनेक अवशेष आज भी मौजूद है।

विलुप्त हो रहा है हमारा ज्ञान-विज्ञान

मुख्य वक्ता भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि हमारे धर्म-ग्रंथ सम्पूर्ण मानवता की विरासत हैं, जिन्हें साम्प्रदायिक कहकर पंथ निरपेक्षता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इधर हमारी नई पीढ़ी ने भी धर्म-गं्रथों को पढऩा बंद कर दिया है। इससे हमारा प्राचीनतम ज्ञान-विज्ञान विलुप्त हो रहा है। इसे बचाने के लिए सभी प्रदेशों में संस्कृत सेवा केन्द्र स्थापित किए जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं से धर्म-गं्रथों का अध्ययन करने की बात भी कही। इससे पहले अतिथियों ने भारत माता के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र बांदिल ने मुख्य वक्ता श्री शर्मा का पुष्पमाला, शॉल व श्रीफल से स्वागत किया। न्यास के सचिव सुरेश गुप्ता ने न्यास के सेवा कार्यों पर प्रकाश डाला तथा आज के विषय की प्रस्तावना रखी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नरेश त्यागी ने एवं अंत में आभार प्रदर्शन डॉ. देवेन्द्र सिंह गुर्जर ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्ध नागरिक, महिलाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

राष्ट्रोत्थान न्यास द्वारा हमारी सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़े विषयों पर आयोजित तीन दिवसीय ज्ञान प्रबोधिनी व्याख्यान माला के अंतिम दिवस 26 सितम्बर सोमवार को शाम छह बजे से तराणेकर सभागार, राष्ट्रोत्थान न्यास भवन, नई सडक़, लश्कर में ‘भारतीय परिवार की संकल्पना’ विषय पर व्याख्यान होगा, जिसमें मुख्य वक्ता महर्षि अभय कात्यायन, अध्येता एवं चिंतक, वराह, जिला भिण्ड होंगे।

Updated : 26 Sep 2016 12:00 AM GMT
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