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लाल किले का संदेश

लाल किले का संदेश

पंद्रह अगस्त के दिन लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा दिए जाने वाले भाषण का हर किसी को इंतजार रहता है। इंतजार इस बात का नहीं होता है कि प्रधानमंत्री बोलेंगे, बल्कि इस दिन देश की जनता प्रधानमंत्री के मुंह से यह सुनना चाहती है कि वह देश की जनता के लिए क्या करने वाले हैं और क्या उनकी योजनाएं हैं? देश की सुरक्षा के लिए वे क्या कदम उठा रहे हैं या उठाने जा रहे हैं। कुछ इसी तरह के अन्य विषय भी होते हैं जिसके बारे में देश की जनता इस दिन का इंतजार करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले से दिया गया भाषण शायद जनता की इन्हीं कसौटियों पर था।

जनता जो जानना चाहती थी, शायद उनके भाषण में वह सब कुछ था। जनता के हर सवाल का जवाब उनके भाषण में था। यही वजह है कि लाल किले से हर साल दिया जाने वाला प्रधानमंत्री का भाषण कितना भी लंबा हो, जनता उसे सुनती जरूर है और अपने-अपने तरीके से उसका हर कोई विश्लेषण भी करता है। लाल किले से प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा उसका सार्थक असर जनता में देखने को मिला। अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने तकरीबन हर ऐसे विषय को छू लिया, जो आम लोगों की जिंदगी और देश के भविष्य से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री ने सिर्फ आश्वासन ही नहीं दिए, बल्कि अभी तक जारी प्रगति को आगे बरकरार रखने का भरोसा भी दिलाया। प्रधानमंत्री के भाषण में सबसे ज्यादा जोर सुराज पर रहा। उन्होंने पूरे भाषण में कई तरह से यह बताया कि सरकार सुराज के लिए किस तरह कदम बढ़ा चुकी है, और लगातार बढ़ा रही है। चाहे वह भ्रष्टाचार मिटाने का मामला हो, लोगों को रोजगार देने का मामला हो, स्किल डेवलपमेंट का मामला हो या गांवों में बिजली पहुंचाने का मामला हो।

सरकार को इस बात का भी पूरा एहसास है कि जब महंगाई बढ़ती है, तो तरह-तरह के विकास, तरह-तरह की कोशिशें लोगों को बेकार नजर आने लगती हैं, खासकर गरीब लोगों को। इसलिए सरकार ने मुद्रास्फीति यानी महंगाई की दर को चार फीसदी तक ले आने का लक्ष्य रखा है। पूरा भाषण बताता है कि सरकार कितने मोर्चों पर किस तरह से सक्रिय है। इस तरह के भाषण अगर जनता में उम्मीद जगाते हैं, तो सरकार के सामने उन उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती भी पेश करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है पाकिस्तान के बारे में दिए गए उनके बयान की।

उन्होंने अपने भाषण में आतंकवाद को शह देने के प्रयासों की निंदा करने के साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के साथ ही गिलगित और बलूचिस्तान का भी जिक्र किया। यह जिक्र दरअसल पिछले कुछ दिनों में भारत के रवैये में आई आक्रामकता का परिणाम है, जिसने विदेश नीति को एक नया तेवर दिया है। प्रधानमंत्री का संबोधन फिर इस बात को बताता है कि भारत अब पाकिस्तान के कश्मीर राग को चुप रहकर नहीं सुनेगा, बल्कि उसे बराबर का जवाब दिया जाएगा।

Updated : 17 Aug 2016 12:00 AM GMT
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