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क्यों बौखलाया पाकिस्तान?

क्यों बौखलाया पाकिस्तान?

कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के पाले हुए हिज्बुल मुजाहिद्दीन संगठन के आतंकवादी बुरहान वानी की भारतीय सेना से मुठभेड़ में मौत के बाद जहां आतंकवादियों में शोक की लहर दौड़ गई, वहीं पाकिस्तान भी छाती पीट-पीटकर चीख उठा। कश्मीर घाटी में पाकिस्तान के पाले हुए हजारों आतंकवादी अब तक भारतीय सेना की गोलियों का शिकार हुए हैं, लेकिन पाकिस्तान के चमचे अलगाववादियों ने इस तरह के प्रदर्शन नहीं किए। बुरहान वानी में ऐसा क्या था जिसने आतंकियों और पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया। बुरहान वानी हाल ही में तैयार हुआ आतंकी नहीं था बल्कि पिछले कई वर्षों से यह आतंकियों के शिविरों में खुद भी प्रशिक्षण ले रहा था और भोले-भाले युवाओं को धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर बरगलाकर आतंकवादी बनाने का काम कर रहा था। मनमोहन सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों के प्रभाव के चलते आतंकी गतिविधियां चलाने वालों और आतंकवादियों के शरणदाताओं पर स्वयं कार्रवाई के अधिकार सेना और सीसुब को नहीं दिए थे। इसी कारण सेना का मनोबल निरंतर गिरता रहा और जम्मू-कश्मीर पाकिस्तानी आतंकवादियों की शरणस्थली और प्रशिक्षण केन्द्र बन गया था। बताने की जरूरत नहीं है कि हिन्दुस्तान के विभिन्न शहरों में आतंकियों द्वारा दिन-प्रतिदिन किए जाते रहे धमाके अभी मौन हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तान से भारत की ओर आयातित होने वाली आतंकियों की खेप जो पहले देशभर में आसानी से पहुंचा दी जाती थी, अब सीमा पर ही ढेर कर दी जाती है। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सीमा पर दुश्मन की हरकत का जवाब देने के लिए सेना को अब दिल्ली से अनुमति नहीं लेनी पड़ती। देश के दुश्मनों की किसी भी हरकत पर अब सेना की बंदूकें जवाब देती हैं। परिणाम यह रहा कि पाकिस्तान की फैक्ट्रियों में तैयार होने वाले आतंकवादी भारत की सीमा में प्रवेश करते हुए धराशायी होने लगे तो सीमा पार बैठे आतंकियों के आकाओं की धड़कनें बढ़ गईं। आतंकियों ने पहले पाकिस्तानी सरकार पर दबाव बनाकर इन सपोलों को हिन्दुस्तान में घुसाने का प्रयास किया, लेकिन पाकिस्तानी सरकार द्वारा हथियार डाल देने के बाद बुरहान वानी जैसे आतंकियों के सहारे हिन्दुस्तान की जमीन पर ही आतंक की फैक्ट्रियां तैयार करने का षड्यंत्र रचा गया। मोदी सरकार ने आतंकियों के इस षड्यंत्र को भी ध्वस्त करने की शुरूआत बुरहान वानी से की तो आतंकियों और पाकिस्तानी सरकार में भय, बेचैनी और वेदना दिखाई पडऩा स्वाभाविक थी। 15 दिन पूर्व आतंकवादी बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद से कश्मीर घाटी में आतंकियों ने जिस तरह माहौल खराब करने की कोशिश की है, पाकिस्तान के इशारे पर भारत को बदनाम करने की साजिश मात्र थी। यह प्रदर्शन कश्मीर में बैठे पाकिस्तानी प्रतिनिधियों द्वारा किया गया। हिन्दुस्तान में कांग्रेस की सरकार होती तो निश्चित ही अब तक इन आतंकियों के आगे शरणागत हो गई होती, लेकिन मोदी सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कश्मीर में अमन और शांति के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी, लेकिन आतंकवाद से समझौता किसी भी कीमत पर नहीं किया जाएगा तथा आतंकियों से सख्ती से निपटा जाएगा। हिन्दुस्तान को बदनाम कराने के लिए पाकिस्तान द्वारा अलगाववादियों के माध्यम से जिस तरह का प्रदर्शन सरकार और सेना के खिलाफ कराया। उससे झुकने की अपेक्षा सरकार ने इनसे सख्ती से निपटने की समझदारी दिखाई, अन्यथा सरकार और सेना पर हावी होते इन्हें देर नहीं लगती। अब पाकिस्तान भले दुनिया में चीख-चीखकर आतंकियों की मौत को कश्मीरी युवाओं की मौत दिखाने का प्रयास कर रहा है। पाकिस्तान के दुष्प्रचार की ङ्क्षचंता किए बिना भारत सरकार का प्रयास है कि कश्मीर में शांति और सद्भाव का माहौल स्थापित हो। कश्मीर घाटी पूरी तरह आतंकवादियों एवं पाकिस्तान के हस्तक्षेप से मुक्त हो। देशद्रोहियों और राजनीतिक विरोधियों के अनर्गल बयानों को नजरअंदाज कर मोदी सरकार कश्मीर से आतंक के सफाए के लिए पूरे मनोयोग से काम कर रही है।

Updated : 25 July 2016 12:00 AM GMT
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