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दलितों के नाम पर देशद्रोही षड्यंत्र

दलितों के नाम पर देशद्रोही षड्यंत्र

विकास पथ पर तेजी से दौड़ते भारत में इन दिनों देशद्रोही ताकतों द्वारा जातिगत आधार पर हिन्दुस्तान को तोडऩे और कमजोर करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। हिन्दुस्तान में हर जाति वर्ग के युवाओं द्वारा सर्वाधिक उपयोग की जा रही फेसबुक और वॉट्सअप जैसी सोशल साइटों पर अनेक ऐसे मोहरे सक्रिय हैं, जो आर्थिक व भ्रामक ऐश्वर्यवादी प्रलोभनों के माध्यम से दलित वर्ग के शिक्षित युवाओं को जातिगत भेदभाव की झूंठी कहानियां और वीडियो परोसकर भडक़ाने और जातिगत विद्वेष को हवा देने का काम कर रहे हैं। चोरी,डकैती जैसी घटनाओं में आम जनता द्वारा पकड़े गए आरोपियों की पिटाई के वीडियो को सोशल साइटों पर डालकर इसे सवर्णों का दलितों पर अत्याचार बताया जाता है। इसी प्रकार सवर्ण समाज के युवाओं को दलितों द्वारा पीटे जाने के फर्जी वीडियो तैयार कर समाज में खाई पैदा करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। खास बात यह है कि इस तरह के अधिकांश षड्यंत्रकारी समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कट्टर विरोधी हैं। इन फोटो या वीडियो के साथ आने वाले कमेंट में इन दोनों का ही विरोध दर्शाया जाता है। देश की जनता को बताने की आवश्यकता नहीं है कि विश्व के सबसे बड़े राष्ट्रभक्त संघटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना ही सामाजिक समरसता और एकता के ध्येय को आधार बनाकर हुई है। आजादी के बाद जब समाज में एक वर्ग को अस्पृश्य और ह्येय की दृष्टि से देखा जाता था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही एक ऐसा संगठन था जहां समाज में दलित और सवर्ण की खाई में पटे विभिन्न जातियों और समाजों में एक दूसरे को भोजन परोसते, सहभोज करते, साथ खेलते, कसरत करते तथा समाजहित और राष्ट्र कल्याण की योजना तैयार करते थे। संघ स्थापना के साथ शुरू हुआ यह क्रम आज भी जारी है। यही कारण है कि देशद्रोही शक्तियों को संघ फूटी आंख नहीं सुहा रहा है। इन देशद्रोही ताकतों द्वारा संघ और भारतीय जनता पार्टी को दलित समाज का विरोधी बताने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि संघ और भाजपा ने इन दिनों देश में सामाजिक समरसता का आंदोलन छेड़ रखा है। आज संघ और भाजपा का कोई भी कार्यक्रम सामाजिक समरसता के भाव से अछूता रहकर आयोजित नहीं किया जा रहा है, क्योंकि संघ की सोच है कि जब तक समाज में सामाजिक समरसता नहीं आएगी जातिगत भेदभाव समाप्त नहीं होगा, तब तक राष्ट्रोत्थान और हिन्दुस्तान को विश्व शिखर पर पहुंचने का सपना बेमानी होगा। सोशल साइटों पर स्वयं को दलित बताकर फर्जी सोशल साइट अकाउंट तैयार कर देशद्रोही ताकतें दलित समाज के युवाओं को अपने फरेबी जाल में फंसाने का चक्रव्यूह तैयार किए हैं। यह भी सच है कि स्वयं को दलित उल्लेखित करने वाले यह युवा इन देशद्रोहियों के जाल में फंसे भी हैं तथा सामाजिक समरसता को खंडित करने वाले वीडियो और संदेशों को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। जातिगत मतभेदों को मिटाने, सामाजिक दूरियां कम करने के साथ-साथ हमें यह समझना होगा कि हिन्दुस्तान सभी का है। आजादी की लड़ाई में जिन युवाओं ने हंसते हुए अपने प्रांण न्यौछावर किए थे उन्होंने स्वयं को कभी किसी जाति विशेष का नहीं बताया फिर आज निहित स्वार्थों के लिए समाज को तोडऩे वाली शक्तियों को हम खुलकर समर्थन दे रहे हैं। स्वयं को दलित उल्लेखित करने वाले युवाओं को भी देशद्रोहियों की चालों को समझना होगा। क्योंकि चीन या पाकिस्तान भारत पर हमला करेगा तो वह दलित या सवर्ण की पहचान कर गोले नहीं बरसाएगा। राष्ट्रद्रोहियों के लिए यह सुअवसर ही होगा कि भारत जातिगत और सामाजिक आधार पर खंडित रहे, जिससे अंतर्कलह की स्थिति बनी रहे और हिन्दुस्तान कमजोर हो। इतिहास गवाह है कि जिस राष्ट्र की जनता में एकता, अखंडता, अपनी संस्कृति के प्रति लगाव कम हुआ। सीमा पर युद्धों में अखंड विजय प्राप्त करने वाले ऐसे राष्ट्र गृहयुद्धों में खंडित होकर बिखर गए, स्वयं का अस्तित्व खो बैठे। जबकि हिन्दुस्तान ने सैकड़ों वर्षों तक गुलामी झेली, लेकिन हिन्दुस्तान ने अपनी संस्कृति और संस्कारों को विस्मृत नहीं होने दिया। जाति या कर्म के आधार पर समाज कभी खंडित नहीं हुआ। इसी कारण सैकड़ों वर्षों की गुलामी और अत्याचारों के बाद आज हिन्दुस्तान फिर विश्व में अपने ऐश्वर्य की पताका फहरा रहा है। कन्हैया और हार्दिक पटेल जैसे युवा सिर्फ निहित स्वार्थों के लिए इन देशद्रोही ताकतों के मोहरे बन रहे हैं। मोहरों को चेहरा बनाकर ही जातिगत भेदभाव का बीज प्रस्फुटित करने का प्रयास जारी है। समाज को जातिगत आधार पर तोडऩे का प्रयास करने वाले राष्ट्रद्रोहियों और उनके सहयोगियों से सरकार को सख्ती से निपटना होगा। ऐसी सोशल साइटों को चिन्हित कर इन्हें बैन करना होगा साथ ही सोशल साइटों या अन्य माध्यमों से समाज में भ्रांति और विद्वेष फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी

Updated : 18 July 2016 12:00 AM GMT
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