आलोक संजर कार्यकर्ता की जीवंत परिभाषा

आलोक संजर कार्यकर्ता की जीवंत परिभाषा
ग्वालियर। राजनीति या समाज जीवन के किसी भी क्षेत्र में छोटा सा पद, प्रतिष्ठा मिल जाए तो यह एक स्वाभाविक सी बात हो चली है कि वह व्यक्ति विशिष्ट दिखाई देने लगता है। पांव उसके जमीन पर नहीं टिकते। एक कृत्रिम आभा मंडल की वह रचना करता है, जिसमें बड़ी-बड़ी गाडिय़ां होती हैं, कार्यकर्ताओं के नाम पर चमचों की फौज रहती है, सुरक्षा का जबरिया घेरा होता है। आज जिसके पास यह जितना ज्यादा हो वह उतना बड़ा नेता पर इसके अपवाद भी हैं। राजधानी भोपाल से भारतीय जनता पार्टी के सांसद आलोक संजर से जो भी मिलता है वह देखकर सहज ही कहता है, सांसद ऐसे भी होते हैं। जवाब में आलोक संजर कहते हैं, मैं तो कार्यकर्ता हूं।
जी हां आलोक संजर वाकई में एक आदर्श कार्यकर्ता की स्वयं एक जीवंत परिभाषा है। श्री संजर ने स्वदेश से एक बेहद अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वे संगठन के आजन्म ऋणी हैं, ऋणी रहेंगे। मूलत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक आलोक संजर ने विद्यार्थी परिषद से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। आपने कहा कि उन्हें माननीय शालिगराम जी, शिवराज जी, का सानिध्य मिला मार्गदर्शन मिला शिवराज जी उनके आज भी मार्गदर्शक हैं। भारतीय जनता पार्टी में सहजता प्रामाणिकता एवं संगठन का पाठ उन्हें केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का मिला। आलोक संजर ने कहा कि भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है, जहां कार्यकर्ताओं को तराशा जाता है, सम्मान दिया जाता है। राजनीति में वार्ड के चुनाव से लेकर सांसद तक के सफर में आलोक संजर ने राजनीति में एक-एक पायदान पर कदम रख कर यह ऊंचाई प्राप्त की है। आलोक संजर इसे ऊंचाई न कह कर कार्यकर्ता एवं आम आदमी की सेवा का एक माध्यम मानते हैं।
देहदान की घोषणा कर चुके देश के संभवत: इकलौते सांसद आलोक संजर रात में खाना सामान्यत: घर पर नहीं खाते। भोपाल शहर में या संसदीय क्षेत्र के किसी ग्रामीण इलाके के कार्यकर्ता के यहां भोजन करना आलोक संजर की नियमित जीवनचर्या का हिस्सा है। कार्यकर्ताओं एवं आम जनता के बीच चौपाल पर उन्हीं के साथ जमीन पर बैठना एवं संवाद करने की उनकी अपनी एक विशेष शैली है । एक पालक की भूमिका में वे अपने क्षेत्र में नशे से दूर रहने के लिए युवाओं, बच्चों को प्रेरित करते हैं एवं उन्हें शपथ दिलाते हैं। पर्यावरण सुरक्षा ग्रामीण क्षेत्रों की दीवारों पर चित्रकारी, वृक्षारोपण उनके सामाजिक सरोकारों को दर्शाता है। वे कहते हैं कि ईश्वर साक्षी है कि विशिष्ट व्यवहार उन्हें असहज करता है। हम जैसे है, वैसे ही बने रहें, यही ईश्वर से प्रार्थना है। सांसद के रूप में मिला सरकारी आवास क्च-19-74 बंगला एक गौ मंदिर या यूं कहें आश्रम की शक्ल ले चुका है। आलोक संजर कहते हैं मेरा अपना निजी घर स्थाई है, उसे मैं क्यों छोड़ू। सांसद के रूप में मिला आवास अस्थाई है, अत: वे वहां नहीं रहते। यह निवास पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए है। दिल्ली आवास की भी चाबी वे अपने पास नहीं रखते।
सांसद के रूप में भोपाल को एम्स शीघ्रता से पूर्ण रूप से दिलाना उनकी प्राथमिकता में है। श्री संजर ने कहा कि हवाई सुविधा बढ़े इसके लिए वे प्रयासरत हैं। स्मार्ट सिटी की शुरुआत हो चुकी है। औद्योगीकरण पर भी वे ध्यान दे रहे हैं।
श्री संजर ने कहा कि देश को नरेन्द्र मोदी के रूप में एक आदर्श जननायक मिला है। दो साल के काम ऐतिहासिक हैं जमीन पर परिणाम आने के लिए थोड़ा वक्त दीजिए, अच्छे दिनों की नींव डल चुकी है। प्रदेश में श्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में अभूतपूर्व विकास हुआ है उनकी संवेदनशीलता हम सबके लिए अनुकरणीय है।
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