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सीने की जलन के लिए बदलें भोजन

सीने की जलन के लिए बदलें भोजन

मेनका गांधी

लाखों लोगों को कभी न कभी सीने में जलन का अनुभव होता है। पेट में एकाएक तथा भयावह जलन की अनुभूति। इस बेचैनी में अक्सर डकार आते हैं या पेट के फूलने अथवा गैस के लक्षण सामने आते हैं। कभी-कभी मुंह में एसिड का स्वाद आता है। सीने में जलन के लक्षण अक्सर किसी अधिक तेल वाले या फ्राई किए गए भोजन को खाने, तंबाकू, या शराब अथवा कैफीन का सेवन करने पर अधिक गंभीर हो जाते हंै तथा एंटासिड लेने के पश्चात उनमें सुधार होने लगता है। यहां तक कि मिंट को खाने से भी यह क्रिया शुरू हो सकती है।

पेट में काफी तीखे एसिड होते है। सीने में जलन या रिफलक्स एक प्रकार का अपाचन है जो एसिड तथा पाचक जूसों के पेट से भोजन नली में वापिस जाने पर होता है। यह वह नली होती है जिसमें से भोजन आपके मुंह से पेट में पहुंचता है। इसमें कोई रक्षात्मक लाइनिंग नहीं होती, इसलिए जब एसिड वाला भोजन वापिस आता है तो उससे सूजन और दर्द होता है। समस्या एक मांसपेशी से उत्पन्न होती है जो कमजोर हो सकती है या अनुचित समय पर आराम करने लग जाए। इसे लोअर भोजन नली दबाने वाला कहा जाता है और यह आपके पेट तथा भोजन नली के मध्य अवस्थित होता है। यदि यह जल्दी से बंद न हो, तो एसिड को वापिस आने से नहीं रोक सकता। यह सीने में जलन तथा जल्दी-जल्दी एसिड के वापिस आने में परिणत होता है जिसका अर्थ हुआ कि आपको गैस्ट्रोफीगल रिफलक्स रोग हो सकता है। गर्भवती महिला को सीने में जलन हो सकती है। हार्मोन प्रोगेस्टेरोन के बढ़े हुए स्तर मांसपेशियों में अस्थायी कमजोरी करते हैं।

सीने में जलन सामान्य नहीं है और यह नींद सहित आपकी हरेक चीज को प्रभावित करती है। उपचार न किए जाने पर सीने में होने वाली स्थायी जलन भोजन नली में अलसर तथा कैंसर तक में परिणत हो सकती है। सीने में जलन के लक्षणों में छाती की हड्डी के पीछे सीने के ऊपरी हिस्से में जलन या दर्दनाक अनुभूति, मुंह का खराब स्वाद, डकार, खांसी और छींक आना, भोजन करने के बाद सोने में समस्या, उल्टी आना, लगातार गला बैठना या गले में खराश शामिल है। सबसे आम उपचार में एल्यूमीनियम या मैग्नीशियम (मिल्क ऑफ मैग्नेशिया) शामिल होता है और राहत मिलने में 5 से 15 मिनट लगते हैं, परंतु प्रभाव एक घंटे से अधिक तक नहीं रहते। यह पेट के एसिड को तो निष्प्रभावी कर देता है, परंतु सीने की जलन को नहीं रोकता।

सीने में अधिकांश जलन आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन पर निर्भर करती है। अपने भोजन को बदलें, वजन कम करें, धूम्रपान छोड़ दें (भरे पेट में धूम्रपान करने से सीने में जलन का जोखिम बढ़ जाता है), शराब, कॉफी और कार्बोनेटिड पेयों से बचें, अधिक सब्जियां खाएं। व्यायाम करें पर कमर से झुकने से बचें। एसिड को कम करने वालों को खाएं जिन्हें एच2 ब्लॉकर कहा जाता है और सीधे बैठ कर खाएं। कैफीन, एल्कॉहल, लहसुन, चॉकलेट, सिट्रस फल, टमाटर वाले पेयों से बचें।

अब मेरी प्रिय सलाह पर आते हैं- दूध बिल्कुल मत पीजिए। डेयरी भोजन का समूचा समूह अथवा किसी भी रूप में डेयरी शामिल होने वाला भोजन - केक, पेस्ट्री, कढ़ी, दही, पनीर, छाछ, चीज़ - न खाएं, इनमें से सभी एसिड रिफलक्स लक्षण उत्पन्न करते हैं। संकेत पीएच का उपयोग एसीडिटी को दर्शाने के लिए किया जाता है; दूध का पीएच 6.7 है और इसलिए यह थोड़ा एसीडिक है।
और विशेष रूप से यदि आप सीने की जलन के दौर से गुजर रहे हो तो। पुराने चिकित्सक अभी भी दूध की सिफारिश करते हैं - जो किसी सांप के काटे से बचने के लिए कोबरा के जहर की सिफारिश करने जैसा है। लोग अक्सर सीने की जलन से बचने और पेट में एसिड उत्पादन को कम करने के लिए ठंडा दूध पीते हैैं। दूध अच्छा लग सकता है और पेट में जाते समय ठंडा लगता है, परंतु इसमें वास्तव में वसा तथा प्रोटीन होते है जो आपके पेट में और एसिड बनाते हैं तथा आपके सीने की जलन को और बढ़ा देते है।

इसके पीछे का विज्ञान समझिए- सीने में जलन के लक्षणों को शांत करके शुरू में अच्छा क्यों महसूस होता है? दूध एक एसिड बनाने वाला पशु प्रोटीन है। पशु से प्राप्त होने वाले अन्य किसी प्रोटीन प्रचुर भोजन के समान ही दूध अपने एसिड के भार से गुर्दों को क्षति पहुंचा सकता है। यह गुर्दों में पहुंचने से पूर्व सभी क्षतिकारक एसीडिक प्रोटीन को निष्प्रभावी करने के लिए एक रक्षात्मक जैवकीय अभिक्रिया करता है।

शरीर को जीवित रहने के लिए बनाया गया है। इसे गुर्दों तथा मूत्राशय का बचाव करना होता है क्योंकि यह जीवित रहने के लिए आवश्यक है। और एसिड को निष्प्रभावी करने के लिए सबसे तैयार स्रोत हड्डियों में उपलब्ध होता है। यह हड्डियों से कैल्शियम को निकाल कर आपके पेट में ले जाता है और अपने महत्वपूर्ण अंगों को बचाने के लिए आपकी हड्डियों के घनत्व को समाप्त करता है। दूध में अपना खुद का कैल्शियम होता है। उनके बीच कैल्शियम कुछेक मिनट के लिए पेट में एसिड को निष्प्रभावी कर देता है। परंतु क्योंकि दूध में एसिड होता है इसलिए यह ऊपरी प्रभाव के समाप्त होने के बाद सीने में जलन को बढ़ाता है। दूध जैसे वसा अधिक होने से भोजन अक्सर पेट में एसिड उत्पादन को बढ़ा कर एसिड रिफलक्स को बढ़ा देते है।

यद्यपि सीने में जलन भिन्न हो सकती है, कुछ भोजन और पेय पेट तथा भोजन नली के मध्य मांसपेशियों में आराम पहुंचाते है/कमजोर करते है। इसमें सेचुरेटिड वसा वाले भोजन जैसे कि संपूर्ण दूध, दही, पनीर, क्रीम, आइसक्रीम शामिल है। इसमें प्रसंस्करण किया गया मांस, बीफ और मटन, खाल के साथ चिकन, मांस की कोई भी करी, चॉकलेट सहित तेल तथा मीठा, मक्का तथा आलू के चिप्स, क्रीम वाली तथा तैलीय सलाद ड्रेसिंग, आम तौर पर फ्राई किया गया या वसा वाला भोजन शामिल है। यह मत सोचिए कि संपूर्ण दूध के बजाए स्किमड दूध में परिवर्तन से आपको कोई राहत मिलेगी। अथवा मटन के बजाए मछली खाने से। संभवत: फिर से बहुत थोड़ी, और वह भी थोड़ी देर के लिए।

सोने से पहले दूध पीना उन लोगों के लिए एक पुराना तरीका है जो रात के दौरान एसिड रिफलक्स तथा सीने की जलन से पीडि़त हैं। ऐसा न करें। खाली पेट सोना या सोने से पहले थोड़े बहुत गेंहू के बिस्कुट खा लेना बेहतर है और जितना हो सके अधिक से अधिक पानी पीजिए। उठते वक्त और सोने से पहले।
जब कभी आपको सीने में जलन हो या आप उससे बचना चाहें, तो दो चीजें करें- खड़े होकर चुइंगगम चबाएं। वैज्ञानिक कहते है कि यह थूक और बाइकार्बोनेट के स्तर को बढ़ा देता है - जो पाचन तंत्र में क्षतिकारक एसिडों को निष्प्रभावी करने वाला थूक में उत्पन्न होने वाला एक प्राकृतिक एंटासिड है। रात को बिस्तर में सिरहाने को थोड़ा ऊंचा रखें।

लेखिका केन्द्रीय मंत्री व पशु कल्याण आंदोलन से संबद्ध हैं।

Updated : 8 Jun 2016 12:00 AM GMT
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