इसलिए मोदी सरकार

इसलिए मोदी सरकार
याद कीजिए वर्ष २०११ का सितम्बर का महीना जब देश के पूर्व राष्ट्रपति की जेएफके हवाई अड्डे पर दो बार तलाशी ली गई। उनके जूते और जैकेट उतरवा लिए गए थे। हालांकि बाद में सरकार के दबाव में अमरीका ने इस प्रकरण पर माफी मांगी। भारतीयों के साथ हुए अपमान की यह पहली घटना नहीं थी। इससे पहले 2004 में तत्कालीन रक्षामंत्री की ड्यूल्स हवाई अड्डे पर कपड़े उतार कर दो बार जांच की गई। वह भी वाशिंगटन की आधिकारिक यात्रा के दौरान। उनके साथ कई अधिकारी भी थे। ये राष्ट्रीय अपमान था जिसका हमें कड़वा घूंट पीना पड़ा। अपमानित भारतीयों की सूची में आमिर खान, शाहरुख खान भी हैं जिन्हें सुरक्षा के नाम पर कथित जांच से गुजरना पड़ा। कई और भारतीयों के नाम हैं जिन्हें सुरक्षा जांच के नाम पर हिरासत में लिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं की गिनती करने वालों को शायद ही इस अपमान से राष्ट्रीय शर्म का बोध हुआ हो। या उन्होंने इसे लेकर गंभीर स्तर पर भारतीयता के अपमान के खिलाफ आवाज उठाई हो।
वैश्विक परिदृश्य पर भारत की जो छवि दुनिया के सामने बनी है उसी का नतीजा है कि अब अमेरिका जाने वाले वीआईपी भारतीयों को सुरक्षा जांच के कड़े मापदंडों से नहीं गुजरना पड़ेगा। दुनिया भर में भारत के बढ़ते वर्चस्व और नरेन्द्र मोदी सरकार के अमेरिका पर बनाए दबाव का ही परिणाम है अमेरिका अब भारतीयों को विशेष दर्जा देने पर सहमत हो गया है। इसके तहत प्रमुख भारतीयों को इमीग्रेशन के दौरान विशेष बूथ पर जाना होगा। जुलाई में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में अमरीका में होने वाली होमलैंड सिक्योरिटी की वार्ता के दौरान इस पर मुहर लगना बाकी है। अभी तक अमेरिका ने यह दर्जा केवल सात देशों के नागरिकों को दे रखा है। भारत अब आठवां देश हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं पर उंगली उठाने वालों को अब यह समझ जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं सिर्फ सैरसपाटा नहीं हैं। यही वह अमेरिका है जिसने एक समय नरेन्द्र मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था। अमेरिकी रवैए में आए इस बदलाव से समझा जा सकता है कि दस सालों की संप्रग और दो साल की राजग सरकार में क्या फर्क है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे में अमेरिका से आतंकियों के बारे में रियल टाइम सूचना के आदान-प्रदान पर समझौते की भी उम्मीद है। इसके तहत एफबीआई और आईबी एक-दूसरे के नेटवर्क पर उपलब्ध आतंकियों की सूचना का आदान-प्रदान कर सकेंगे। अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को कूटनीतिक मामले हों या घरेलू मोर्चे पर आम आदमी से जुड़े विषय, बदलाव की बयार महसूस की जा रही है। उपलब्धियों से भरे नरेन्द्र मोदी सरकार के दो सालों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को मोदी भले ही शहंशाह नजर आएं, लेकिन इन दो सालों में सरकार जनता के भरोसे को जीतने में सफल रही है। और उसे सोनिया गांधी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।