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सही है बासित का बहिष्कार

सही है बासित का बहिष्कार

देश से बड़ा कुछ नहीं, देश की आन-बान और शान पर यदि आंच आती है तो क्या हिन्दू क्या मुसलमान सबको एक जुटता का परिचय देना ही चाहिए। देश की एकता, अखंडता और सद्भावना का संदेश लेकर काम कर रहे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को अपनी इफ्तार पार्टी में आमंत्रित न करके यह सिद्ध किया है कि हिन्दुस्तान से बड़ा कोई नहीं। यहां बताना उपयुक्त होगा कि हाल ही में पंपोर में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए भारत के आठ सैनिकों के बारे में जब मीडिया ने सवाल पूछा था तो उन्होंने बेतुका जवाब देते हुए कहा था कि यह रमजान का महीना है और अभी इफ्तार की पार्टी है इस पर बात कीजिए और पार्टी का आनंद लीजिए। साफ है बासित का अंदाजा भारतीय सैनिकों की शहादत का मजाक बनाना है। ऐसे राजनयिक का बहिष्कार करके मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भी यह भली प्रकार जता दिया है कि कोई भी राष्ट्रवादी मुसलमान पाकिस्तान द्वारा किए गए अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा। अपना नजरिया साफ करते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक ने कहा कि हमारा लक्ष्य इसके जरिए दुनिया को भारतीयता का संदेश देना है। सभी समुदायों के लोगों को आपस में सद्भाव और भाईचारे से रहने में मदद करना है। उनका कहना है कि दुनियाभर के मुसलमानों के लिए भारत उम्मीद की किरण है। उन्होंने कहा कि सभी को इस देश को दंगा मुक्त बनाने और भारत सहित विश्व को आतंकवाद और हिंसा से मुक्त बनाने में मदद करने के लिए सौहार्दपूर्ण तरीके से रहना चाहिए। बिलकुल सही बात है हमारा पड़ोसी मुस्लिम देश हमारे घर में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता जाए और हमारे ही देश में छुपे बैठे कुछ आस्तीन के सांप मुंह पर धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा लगाकर परोक्ष और अपरोक्ष रूप से इन गतिविधियों का समर्थन करते जाएं तो यह कतई ठीक नहीं है। इसका तो मुंह तोड़ जवाब मिलना ही चाहिए। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बासित को इफ्तार में न बुलाकर कुछ यही संदेश दिया है। इसके लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की प्रशंसा की जाना चाहिए। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे तमाम देशभक्त संगठन और राष्ट्रवादी शक्तियां अपने स्तर पर जब पाकिस्तान को इस तरह से मुंहतोड़ जवाब देती हैं तो सहसा यह प्रश्न खड़ा होता है कि भारत सरकार को भी पाकिस्तान के खिलाफ इस तरह की आतंकी घटनाओं को लेकर और अधिक कड़ा रुख अपनाने की जरुरत नहीं है क्या? इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि 2014 के बाद जबसे देश में व्यवस्था परिवर्तन हुआ है केन्द्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश का मान-सम्मान पूरी दुनिया में बढ़ाया है, सैनिकों का मनोबल भी ऊंचा उठाया है। लेकिन इतना होने के बावजूद हमारा पड़ोसी पाकिस्तान लगातार हमारे सैनिकों की बलि ले रहा है। कभी एक कभी दो तो कभी आठ, आखिर कहां जाकर थमेगा उसका यह खूनी खेल। आखिर हम कब तक इंतजार करते रहेंगे। पाकिस्तान अपने यहां खुलेआम भारत विरोधी आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्र संचालित कर रहा है, वह खुलेआम हमारे दुश्मनों दाऊद, हाफिज जैसों को सैनिक संरक्षण दिए हुए है, उसके आतंकी रोजाना हमारे देश में घुसपैठ कर सैनिकों को शहीद कर रहे हैं और अब तो हद हो गई भारत में ही बैठकर उनका राजनयिक हमले में शहीद भारत के सैनिकों के सवाल पर अपमानजनक जवाब देता है। साफ है पाकिस्तान भारत से दोस्ती नहीं दुश्मनी के संबंध रखना चाहता है। अब समय आ गया है जिस प्रकार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बासित का बहिष्कार किया है उसी प्रकार राजनयिक स्तर पर भारत सरकार को पाकिस्तान का बहिष्कार करना चाहिए।

Updated : 30 Jun 2016 12:00 AM GMT
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