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उदय योजना में राज्यों के शामिल होने की समय सीमा बढ़ी

उदय योजना में राज्यों के शामिल होने की समय सीमा बढ़ी
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उदय योजना में राज्यों के शामिल होने की समय सीमा बढ़ी


नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बुधवार को कर्ज में फंसी राज्यों की बिजली कंपनियों को पुर्नजीवित करने की योजना ‘उदय : उज्जवल डिस्कॉम एसोयेरेंस योजना’ में राज्यों के शामिल होने की तय समयसीमा बढ़ा दी है। अब राज्य मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान अपना बकाए कर्ज के भुगतान के लिए बांड जारी कर सकेंगे। अभी यह सीमा 31 मार्च 2016 थी जिसे एक साल आगे बढ़ा दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त निर्णय लिया गया। बैठक के बाद वित्तमंत्री अरूण जेटली ने बताया कि मंत्रिमंडल ने उदय योजना में राज्यों के शामिल होने की समयसीमा में विस्तार करने के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है।

उदय योजना को पिछले साल नवंबर में देश की संकटग्रस्त कंपनियों को कर्ज के बोझ से उबारने के लिये शुरू की गई थी। वर्ष 2011-12 में संकटग्रस्त बिजली कंपनियों की बकाया राशि 2.4 लाख करोड़ रूपये थी जो 2014-15 में 14 से 15 प्रतिशत ब्याज के साथ बढ़कर 4.3 लाख करोड़ रुपये हो गई।

इस फैसले से उन सभी राज्यों को फायदा मिलेगा जो इस योजना का लाभ उठाना चाहते है और चुनाव एवं नियामक मंजूरी के चलते योजना में शामिल नहीं हो पाये।

उदय योजना के तहत राज्यों को पिछले वित्तवर्ष में शामिल होकर वर्ष 2015-16 में बिजली कंपनियों के ऋण का 50 प्रतिशत भुगतान करने के लिये बांड जारी करना था। उन्हें मौजूदा वित्तवर्ष में बिजली कंपनियों के ऋण का अतिरिक्त 25 प्रतिशत भुगतान करने के लिये बांड जारी करने थे। पिछले वित्तवर्ष के दौरान राज्यों ने अपनी संकटग्रस्त कंपनियों का कर्ज चुकाने के लिये एक लाख करोड़ रूपये के बांड जारी किये थे।

ऐसा अनुमान है कि राज्य की बिजली कंपनियों को हर साल 60 हजार करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान होता है। उदय योजना में शामिल होने के लिये अभी तक 19 राज्य अपनी सहमति प्रदान कर चुके है। इनमें से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड,पंजाब, बिहार, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड और जम्मू एवं कश्मीर जैसे 10 राज्य केन्द्र सरकार के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके है।

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Updated : 22 Jun 2016 12:00 AM GMT
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