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पर्यटन केन्द्र बनेगा भिण्ड का बरई गांव

बजट के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है वन विभाग

ग्वालियर। उत्तर प्रदेश की सीमा पर चम्बल नदी के किनारे बसे भिण्ड जिले के बरई गांव को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए वन विभाग एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जो म.प्र. ईको पर्यटन विकास बोर्ड को भेजा जाएगा।

जानकारी के अनुसार प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा सभी वन मंडलों से 'म.प्र. वन मनोरंजन एवं वन्यप्राणी अनुभव नियम 2015Ó के अंतर्गत पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण आरक्षित वन क्षेत्रों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसके लिए वन मंडल भिण्ड द्वारा बरई गांव का चयन किया गया है। चूंकि इस गांव के पास स्थित चम्बल नदी में जहां मगरमच्छ, घडिय़ाल, डाल्फिन सहित विभिन्न प्रकार के जलचर जीव बड़ी संख्या में मौजूद हैं वहीं देशी व प्रवासी पक्षी भी यहां काफी संख्या में देखने को मिलते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की लॉयन सफारी भी बरई गांव के नजदीक ही है, इसलिए वन विभाग का मानना है कि बरई गांव के आसपास के वन क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर यहां देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।

बताया गया है कि बरई गांव को पर्यटन केन्द्र बनाने की कड़ी में सबसे पहले इस गांव के पास स्थित वन क्षेत्र में बांस का एक प्लांट तैयार किया जाएगा। इसकी स्वीकृति मुख्यालय से मिल गई है। इस प्लांट में अगल-अलग 17 प्रजातियों के बांस के पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही आसपास के गांवों के लोगों को भी अपनी निजी जमीन में बांस के प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार निकट भविष्य में भेजे जाने वाले प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद बरई गांव के पास के वन क्षेत्र को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की दृष्टि से करीब एक करोड़ की लागत से विभिन्न विकास कार्य कराए जाएंगे। यदि पर्यटकों को आकर्षित करने में उम्मीद के मुताबिक सफलता मिली तो चम्बल नदी में नौकायन की व्यवस्था भी की जाएगी।

ओहदपुर का जंगल भी बनेगा पर्यटन केन्द्र
ग्वालियर शहर के नजदीक झांसी रोड स्थित ओहदपुर गांव के आसपास के वन क्षेत्र को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि वर्ष 2014 में ग्वालियर वन मंडल ने जब सोन चिरैया अभयारण्य के अंतर्गत तिघरा से सिद्ध स्थल नलकेश्वर तक के वन क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भेजा था। उसी समय ओहदपुर और तपोवन को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन रेलवे प्रशासन की आपत्ति के कारण यह प्रस्ताव अधर में लटक गया था। चंूकि ओहदपुर वन क्षेत्र से होकर रेलवे लाइन गुजर रही है और रेलवे ने झांसी रोड स्थित तपोवन से ओहदपुर के जंगल की ओर जाने वाला रास्ता बंद कर दिया है, जिससे यह प्रस्ताव लटक गया था। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ओहदपुर वन क्षेत्र के लिए कोई दूसरा वैकल्पिक रास्ता निकालकर इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए नए सिरे से प्रस्ताव भेजा जाएगा।

यह काम होंगे
भिण्ड जिले के बरई और ग्वालियर शहर के नजदीक ओहदपुर गांव के आसपास के वन क्षेत्र में पर्यटकों के लिए पैदल पथ, साइकिल पथ, पार्क, पक्षी दर्शन, तालाब, मचान, वाहन पार्किंग, नलकूप, चाय-कॉफी स्टाल, बगीचा आदि का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर गुलमोहर, कचनार, नीम, बांस, अमलताश सहित अन्य आकर्षक पौधे भी लगाए जाएंगे।

नलकेश्वर के लिए नहीं मिला बजट
तिघरा जलाशय से लेकर नलकेश्वर तक के वन क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाना था, जिसके तहत तिघरा में पार्क का निर्माण और तिघरा जलाशय में बोटिंग शुरू की गई है। पार्क में पहले से ही एक वॉच टावर लगा हुआ है, जिसमें दूरबीन लगाई गई है, जिससे पर्यटक जंगलों का प्राकृतिक नजारा देख सकते हैं। इसके अलावा तिघरा से नलकेश्वर तक पैदल ट्रेक व सड़क निर्माण और सैलानियों को जंगलों की सैर कराने के लिए वाहन खरीदने सहित पर्यटकों को आकर्षित करने की दृष्टि से अन्य कार्य भी प्रस्तावित हैं, लेकिन बजट नहीं मिलने से यहां कोई काम नहीं हो पाया है। इसके चलते यहां पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं।

इनका कहना है

''भिण्ड जिले के बरई और ग्वालियर जिले के ओहदपुर के वन क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए करीब एक-एक करोड़ के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं, जो म.प्र. ईको पर्यटन विकास बोर्ड को भेजे जाएंगे। स्वीकृति मिलने के बाद दोनों स्थानों पर कार्य प्रारंभ किया जाएगा।''

कंचन देवी
मुख्य वन संरक्षक, ग्वालियर

Updated : 20 Jun 2016 12:00 AM GMT
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