उत्तरप्रदेश में एक और कश्मीर
उत्तरप्रदेश में एक और कश्मीर
हमारे देश में पुरातन काल से अनेकता में एकता के गीत गाए जाते रहे हैं। समस्त विश्व के लिए आदर्श उदाहरण बनने वाली हमारी एकता गौरव का अनुभव कराती है। हम जानते हैं कि हमारे राष्ट्रीय गीतों के माध्यम से हमारे देश के हिन्दू समाज ने अपने जीवन का संचालन किया है, और आज भी कर रहे हैं। इसका प्रमाण यह है कि देश का हिन्दू समाज सभी धर्मों के आस्था केन्द्रों पर असीम श्रद्धा के साथ अपनी भक्ति का प्रदर्शन करता है। उसकी दृष्टि में सारे धर्म और सम्प्रदाय एक ही विचार का प्राकट्य करते हैं। लेकिन देश में राजनीतिक दलों ने जिस प्रकार से तुष्टीकरण का विष बोया है, उससे हिन्दू धर्म के अनुयायियों के अलावा सारे लोग केवल अपने धर्म को ही प्रधानता देते हुए दिखाई देते हैं।
उत्तरप्रदेश के कैराना में जो कुछ भी हुआ, उसकी जितनी निन्दा की जाए वह कम ही होगी। कैराना में रह रहे 346 हिन्दू परिवारों को पलायन करना पड़ा। अब सवाल इस बात का आता है कि क्या उत्तरप्रदेश में एक और कश्मीर बनाने की बुनियाद रखी जा रही है। हम जानते हैं कि आज केसर की क्यारी के नाम से जानी जाने वाली कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो चुकी है। देश भर में रह रहे विस्थापित कश्मीरी हिन्दू आज भी अपनी वापसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यहां सवाल तो यह भी आता है कि कश्मीर में ऐसे हालात किसने पैदा किए। निश्चित रुप से इसका जवाब यही होगा कि यह सब पाकिस्तान के संकेत पर किया गया होगा।
भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही पाकिस्तान ने अपने द्वारा पोषित आतंकवादियों के माध्यम से कश्मीर के नागरिकों में भारत के हिन्दुओं के खिलाफ वैमनस्यता का वातावरण बनाया और उस समय की केन्द्र सरकार ने कश्मीर को विशेष दर्जा दे दिया। वर्तमान में कई जगह यह लिखा हुआ मिल जाता है कि कश्मीर की समस्या प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की देन है। कश्मीर को विशेष दर्जा देने के बाद कश्मीर की क्या स्थिति बनी,यह आज सबके सामने है। भारत में राजनीति कर रहे कई राजनीतिक दलों में मुसलमानों का हितैषी बनने की प्रतिस्पर्धा चल रही है। हर कोई मुसलमानों के प्रति तुष्टीकरण की नीति को अपनाकर उनके वोट लेने की राजनीति कर रहे हैं। इसमें कांगे्रस तो है ही, लेकिन उत्तरप्रदेश में सत्ता संचालन कर रही समाजवादी पार्टी भी किसी मामले में पीछे नहीं है। उत्तरप्रदेश के कैराना में कई हिन्दू परिवार अपना घर छोड़कर चले गए। कैराना में हिन्दुओं के व्यापारिक प्रतिष्ठानों को विशेष समुदाय के लोगों ने निशाना बनाया। यह सारा कृत्य अनेकता में एकता की परिभाषा को मिटाने का षड्यंत्र है। कैराना में बने दहशत के वातावरण को नियंत्रित करने की पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है। अगर प्रदेश सरकार इस पर नियंत्रण नहीं कर पाई तो स्वाभाविक रुप से यह सवाल उठेगा कि कहीं यह प्रदेश सरकार के इशारे पर की गई कार्यवाही तो नहीं?