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हर्ष फायर पर कठोर दंड क्यों नहीं?

हर्ष फायर पर कठोर दंड क्यों नहीं?

-आर.सी. खंदार


सृष्टि का प्रत्येक जीव सुखी होकर प्रसन्नता, आनंद प्राप्त करना चाहता है। मनुष्य जगत अपनी प्रसन्नता के साथ वर्षों से चली आ रही धनाड्य समूहों की कु-प्रथाओं से शादी-ब्याह जैसे पवित्रतम संस्कार का हंसी-ठिठोली, मौजमस्ती करने की जगह को श्मशान बना देते हैं पलभर में हर्ष फायर के नाम पर बारह बोर आधुनिक पिस्टल जैसे हथियार चलाकर वैवाहिक कार्यक्रमों में सहर्ष भाग लेने वाले मासूम बेगुनाहों की जान ले लेते हैं। सम्पूर्ण समाज जानना चाहता है कि आखिर क्यों? बने मासूम बेगुनाहों की मौत का कारण यह दिखावा दर्शाता हर्ष फायर? यूँ तो पूरे वर्षभर ऐसे ही हर्षोल्लास के चलते कार्यक्रमों में मौत का ठप्पा लगाता रहता है, यह हर्ष फायर। मगर मात्र गत एक पखवाड़े के दौरान ही देशभर के कोने-कोने से ऐसे हर्ष फायरों की वजह से नन्हें मासूम सहित दर्जनों युवक-युवतियों को असमय काल का ग्रास बना दिया है। क्रिकेटर रविन्द्र जडेजा की शादी जुलूस में भी उनके बहुत करीब से होता हुआ फायर कर अपनी झूठी शान दिखाई गई थी। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों से इस तरह के किसी भी जलसों में बंदूकें, पिस्टल को लेकर चलने और फायर करने पर रोक लगाने का कठोरतम कानून शीघ्र ही बनाकर उसे उतनी ही गंभीरता से लागू करना चाहिए।

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Updated : 4 May 2016 12:00 AM GMT
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