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हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे -दिनेश राव

हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे -दिनेश राव
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हम तो डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे

दिनेश राव


एक कहावत है कि हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे। पश्चिम बंगाल व तमिलनाडू के चुनाव परिणामों पर नजर दौड़ाए तो कांग्रेस के लिए यह कहावत काफी हद तक सटीक बैठती है। पश्चिम बंगाल में जिन वामपंथियों के सहारे उसने अपनी वैतरणी पार करने की सोची थी, वहां वह न तो खुद को बचा पायी और न ही दूसरे को। पश्चिम बंगाल में ममता को पटकनी देने के लिए उसने जहां वामपंथियों से हाथ मिलाया वहीं तमिलनाडू में उसने डीएमके साथ गठबंधन किया लेकिन इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस न तो अपने को बचा पायी और न ही उन्हें जिनसे हाथ मिलाया।
वामपंथी अब तक केंद्र में कभी खुलकर-कभी छुपकर कांग्रेस का समर्थन करता रहा, लेकिन पश्चिम बंगाल में वह हमेशा से ही कांग्रेस की विरोधी रही। इस बार जब वामपंथियों ने कांग्रेस से ही हाथ मिलाया तब मतदाता समझ गए कि यह गठबंधन तो सत्ता प्राप्ति के उद्देश्य से ही किया गया और इसी का नतीजा रहा कि मतदाताओं ने दोनों के बेमेल गठबंधन को नकार दिया। चुनाव परिणाम आने के बाद वामपंथियों को भी यह समझ में आ चुका है कि कांग्रेस से उसका हाथ मिलाने का निर्णय गलत रहा। माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अनुभवी नेता गुरुदास दासगुप्ता ने खुद इसे स्वीकारते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ गठजोड़ एक गलत निर्णय था। इससे हमें फायदा नहीं मिला। गुरुदास गुप्ता भले ही यहां कुछ भी कहे लेकिन गठबंधन को बाद वामपंथी पार्टियों की इस बात के लिए काफी अलोचना हुई कि वह केरल में जहां कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे थे, वहीं पश्चिम बंगाल में उसी कांग्रेस से हाथ मिला रही है। पश्चिम बंगाल में जैसे की पहले से ही समझा जा रहा था कि भाजपा यहां ज्यादा कुछ कमाल नहीं कर पायेगी, वैसा ही हुआ। भाजपा के लिए संतोषजनक बात यह है कि यहां वह जहां अपनी सीटें बढ़ाने में कामयाब रही, वहीं वोट प्रतिशत में इजाफा कर उसने पश्चिम बंगाल में अपना भविष्य सुरक्षित कर लिया है। बंगाल में भाजपा अपने सीटों की संख्या में इजाफा करने में सफल रही है। यहां भाजपा की केवल एक सीट थी, लेकिन इस चुनाव में भाजपा को फायदा हुआ और उसकी यहां छह सीटें हो गई हैं। भाजपा की ओर से पंश्चिम बंगाल की जीत के लिए दावे तो बहुत किए गए लेकिन कई मामलों में भाजपा यहां विफल रही। बंगाल में दीदी के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए एक-दूसरे के परंपरागत दुश्मन रहे लेफ्टफ्रंट और कांग्रेस ने भी अपनी नीतियों से समझौता करते हुए हाथ मिलाया था। उन्होंने शारदा चिटफंड घोटाले से लेकर नारद स्टिंग वीडियो और कोलकाता में हुए फ्लाईओवर हादसे के जरिए ममता सरकार पर जम कर हमला बोला था। लेकिन लोगों ने विपक्ष के इस गठजोड़ को नकारते हुए एक बार फिर दीदी पर ही भरोसा जताया है।

Updated : 20 May 2016 12:00 AM GMT
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