बलिया में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आया हूं: नरेंद्र मोदी

बलिया में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आया हूं: नरेंद्र मोदी
बलिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलिया में उज्जवला योजना की शुरूआत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह बलिया में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आये हैं। बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्जवला योजना से 5 करोड़ परिवारों को फायदा होगा। नरेंद्र मोदी ने भोजपुरी में अपने भाषण की शुरुआत की और फिर कहा कि मैं मंगल पांडे की भूमि को नमन करता हूं। उन्होंने कहा कि अब मजदूरों की आवश्यकताएं बदल गई हैं और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस उज्जवला योजना से देश को बहुत फायदा होगा और गरीब महिलाएं भी रसोई गैस का इस्तेमाल कर पाएंगी। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के प्रेम का कर्ज यहां का विकास कर चुकाऊंगा। मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने श्रमिकों के हित में श्रम कानूनों में आमूल चूल परिवर्तन किया। जिन श्रमिकों को 15-20 रुपये तक पेंशन मिलती थी, उन्हें अब न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन की व्यवस्था की है।
प्रधानमंत्री ने गाजीपुर के पूर्व सांसद विश्वनाथ गहमरी को याद किया जिन्होंने नेहरू के प्रधानमंत्रित्वकाल में पूर्वांचल की पीड़ा संसद में रखी थी। तब तमाम सांसदों की आंखों में आंसू आ गए थे। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। मंच पर राज्यपाल राम नाईक, उप्र सरकार के मंत्री रामगोविन्द चैधरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य मौजूद थे।
इससे पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि बलिया जिले से बीपीएल परिवारों के लिये ‘उज्जवला योजना‘ का शुभारम्भ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के प्रयासों के चलते ही श्रम कानून में बदलाव सम्भव हो पाया है। आगे भी केंद्र सरकार श्रमिकों के हितों के लिये कारगर कदम उठाती रहेगी। बलिया में एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों के बीच गैस कनेक्शन वितरित किया। उज्जवला योजना के तहत पांच करोड लोगों को गैस कनेक्शन वितरित किया जायेगा।
मोदी ने कहा कि बलिया का हमेशा से ही गौरवशाली इतिहास रहा है। आज यहां आकर काफी गौरव की अनुभूति हो रही है। आज वर्तमान सरकार मजदूरो की भलाई के लिये काम हो रहा है। सरकार के प्रयासों से श्रम कानून में बदलाव हो पाया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ पहले मजदूरों के पीएफ अकाउंट का कोई हिसाब नही होता था। सरकार बनने के बाद मजदूरों की मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जायेगा। सरकार के खाते में इन मजूदरों के 27 हजार करोड़ रूपये पड़े थे। हमने एक पीएफ के लिए एक एैसा तरीका बनाया है कि अब कर्मचारी जहां-जहां काम करेगा उसके साथ-साथ उसका पैसा भी जायेगा।‘‘