दुश्मनों पर विश्वास आखिर कब तक?

दुश्मनों पर विश्वास आखिर कब तक?


भारत का सबसे बड़ा दुश्मन चीन और उसका पिछलग्गू पाकिस्तान कुत्ते की दुम की तरह टेढ़े हैं, जिन्हें कभी सीधा नहीं किया जा सकता। भारत ने जब-जब इन दोनों देशों पर विश्वास करते हुए संबंध मधुर बनानेे का प्रयास किया है, भारत को मुंह की खानी पड़ी है। भारत के वोट से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बना चीन भारत के साथ हमेशा धोखा करता रहा है। जब-जब भारत की स्थाई सदस्यता की बात आई है, चीन ने अपनी टांग अड़ाई है। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू के आश्वासन पर 1962 में जब भारत में हिन्दू-चीनी भाई-भाई गीत गुनगुनाया जा रहा था, ठीक उसी समय चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपा। अब अरुणाचल, तिब्बत और समुद्री सीमा को लेकर भारत को भयभीत करने के प्रयास करता रहता है। विभाजन के बाद से ही जम्मू-कश्मीर के लिए लार टपकाते रहे पाकिस्तान ने चीन के ही सहयोग से दो बार भारत पर प्रत्यक्ष रूप से हमला किया। वहीं तीसरी बार कारगिल के रास्ते आतंकियों को भारत में भेजा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आदेश पर जैसे ही भारत के वीरों ने इन आतंकियों को ढेर किया तो पाकिस्तान ने पीछे से अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित अपनी सेना उतार दी। हालांकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी युद्धों में पाकिस्तान को ही मुंह की खानी पड़ी है। फिर भी पाकिस्तान हरकतों से कभी बाज नहीं आया। पठानकोट हमले में पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ होने के सबूतों की सत्यता जाननेे भारत आए पाकिस्तानी जांच दल ने पाकिस्तान वापस पहुंचने के बाद जिस तरह की झूठ-फरेब की भाषा बोली, भारत को उससे अधिक आशा भी नहीं करनी चाहिए थी। आज जब पूरा विश्व विकास पथ पर बढ़ते भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। भारत का युवा विश्व में अपनी प्रतिभा का झंडा गाड़ रहा है। भारतीय वैज्ञानिक नित नया कीर्तिमान स्थापित कर हिन्दुस्तान को गौरवान्वित कर रहे हैं और अंतरिक्ष वैज्ञानिक अंतरिक्ष में तिरंगे का मान बढ़ा रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विश्व बंधुत्व की श्रेष्ठ सोच, कुशल कार्यशैली और संगठन कौशल की प्रतिष्ठा दुनिया में फैल रही है। इस बात से घबराया चीन अब भारत से सीधे टकराने की बजाय पाकिस्तान को उकसा रहा है। वह चाहता है कि पाकिस्तानी आतंकी और सेना भारत में अस्थिरता का माहौल पैदा करें, जिससे भारत के विकास का पहिया ठहर जाए और चीन का लूट बाजार बिना अवरोध के भारत में बिकता रहे। चीन के बौखलाने का एक कारण और भी है, मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि चीन के घटिया उत्पादों के प्रति भारतीय उपभोक्ता सजग हुए और चीनी उत्पादों की खरीदी तेजी से घटी। चीनी उत्पाद नहीं खरीदने का एक माहौल भारत में तैयार हुआ और चीन का लघु उद्योग कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारत में पूरी तरह से चीनी उत्पादों की खरीद-बिक्री पर रोक लग जाए तो यह पक्का है कि चीन की विकास दर को मजबूत आधार देने वाली चीनी लघु उद्योग इकाइयों की कमर टूट जाएगी। ऐसी स्थिति से आशंकित चीन हिन्दुस्तानी सरकार और नीतिकारों का ध्यान इस ओर से भटकाना चाहता है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा सूची में पठानकोट हमले के आरोपी आतंकी मसूद अजहर को डाले जाने की भारत की मांग पर चीन की खुली आपत्ति ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के रास्ते आतंकवाद को चीन से शह मिल रही है। अब हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व को यह समझ लेना होगा कि जहां भी चीन या पाकिस्तान से संबंधों की बात आए तो हमें न केवल सचेत रहना होगा बल्कि दोस्ती का विचार त्यागकर दुश्मनों को दुश्मन ही समझना होगा और दुश्मनों को दुश्मनी की भाषा में जवाब देने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना होगा।

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