पैसा वापसी के लिए अब मुम्बई, राजस्थान, उप्र से भी आ रहे हैं लोग

पैसा वापसी के लिए अब मुम्बई, राजस्थान, उप्र से भी आ रहे हैं लोग
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मामला चिटफंड कंपनियों का, हर माह हजारों आवेदन आने से प्रशासनिक अधिकारियों का सिरदर्द बढ़ा

राजेश शुक्ला/ग्वालियर। लगभग छह साल बाद भी चिटफंड कम्पनी के सताए लोगों को उनकी मेहनत की कमाई का पैसा अब तक नहीं मिल सका है। हर माह जिला प्रशासन के पास चिटफंड कम्पनी में डूृबे लोगों के पैसा वापसी के साढ़े चार हजार आवेदन जमा हो रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोग राज्य से बाहर के हैं। हैरत की बात तो यह है कि पहले ग्वालियर चम्बल संभाग के पीडि़त लोग ही मंगलवार की जनसुनवाई में आवेदन जमा करने के लिए आ रहे थे, लेकिन अब राजस्थान, उत्तरप्रदेश मुम्बई, दिल्ली और हरियाणा से लोग पैसा वापसी के लिए आने लगे हैं। इन्हें तो भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सबसे ज्यादा परेशानी प्रशासनिक अधिकारियों को उठाना पड़ रही हैं। कारण साफ है कि पहले तो जिला प्रशासन संभाग के निवेशकों के आवेदन की जांच-पड़ताल कर न्यायालय से पैसा दिला रहा था। अब बाहर के निवेशकों के आवेदन आने से इनकी जांच करने में अधिकारियों को बड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

पैसा मिलना शुरू हुआ तो अन्य राज्य के लोग आने लगे
न्यायालय के आदेश के बाद चिटफंड संचालकों की बेनामी सम्पत्ति की नीलामी कर पीडि़तों का पैसा जब वितरित होने लगा तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मुम्बई, दिल्ली और हरियाणा के हजारों लोगों ने अपने डूबे पैसे मिलने की चाहत में यहां आवेदन देना शुरू कर दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि जिलाधीश कार्यालय में ऐसे आवदेनों का ढेर लगा हुआ है। कर्मचारी पहले स्थानीय लोगों के आवेदन ले रहे थे। अब बाहर से आए लोगों के आवदेन और इनका लेखा-जोखा करने में इनको भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बाहर के इन निवेशकों का लगभग ढाई सौ करोड़ रुपया तीन चिटफंड कम्पनी परिवार डेयरी, सन इंडिया रियल स्टेट एण्ड एलाइड और सक्षम डेयरी प्रायवेट लिमिटेड में फंसा है। इनके मुख्यालय ग्वालियर में होने के कारण यहां आवेदन जमा हो रहे हैं।

आकाश त्रिपाठी ने की थी कड़ी कार्रवाई
उल्लेखनीय है कि तत्कालीक जिलाधीश आकाश त्रिपाठी ने पचास से ज्यादा चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। इस कारण सभी कम्पनियों के मालिक गायब हो गए थे। इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के साथ इनाम भी घोषित है। उनके बाद से किसी भी जिलाधीश ने फरार चिटफंड आरोपियों को पकडऩे में गंभीरता नहीं दिखाई है। उनके बाद पी. नरहरि ने भी इस दिशा में ज्यादा प्रयास नहीं किए। अब डॉ. संजय गोयल जिलाधीश हैं, लेकिन बताया जाता है कि वे भी इस मामले में ज्यादा कुछ निर्णय ले नहीं रहे हैं।
न्यायालय वितरित कर रहा है पैसा
हजारों लोग पैसा वापसी के लिए जिलाधीश कार्यालय में आवेदन जमा कर रहे हैं। प्रशासन आवेदन की जांच-पड़ताल कर उन्हें न्यायालय में दे रहा है। इसके बाद न्यायालय कमिश्नर आवेदनों पर सुनवाई कर पैसा वापस करा रहे हैं। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा आवेदन परिवार डेयरी के हैं। इसके लिए न्यायालय कमिश्नर ओ.पी. शर्मा की अदालत पैसा वापसी के लिए आवेदनों पर सुनवाई कर रही है।

इन्होंनेकहा

मैंने परिवार डेयरी में 2010 में दस हजार रुपए जमा किए थे। मुझे क्या पता था कि कम्पनी भाग जाएगी। पूरे छह साल बाद मुझे मालूम हुआ कि पैसे मिल रहे हैं। इस कारण में रकम वापसी के लिए आवेदन जमा करने आई हूं।
जशोदा बाई
गांव कोछागांबर, लवेरापुरा जिला झांसी
मैंने मुश्किल से अपनी मेहनत की कमाई सक्षम डेयरी में जमा कराई थी कि चार साल बाद पैसे दोगुना हो जाएंगे, लेकिन चिटफंड कम्पनी भाग गई। हम बहुत परेशान हैं। यहां आवेदन जमा कर दिया है।
रेखा देवी
बाड़ी, जिला धौलपुर
हर माह साढ़े चार हजार की संख्या में बाहर के निवेशक पैसा वापसी के लिए आवेदन जमा करने आ रहे हैं। कौन सा आवदेन किस चिटफंड कम्पनी का है। हम जांच कर सूची बना रहे हैं।
शिवराज वर्मा
एडीएम, ग्वालियर

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