भारत ने मसूद अजहर का मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया
भारत ने मसूद अजहर का मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया
नई दिल्ली। जैश-ए-मोहम्मद के संरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित किए जाने के भारत के प्रस्ताव पर वीटो प्रयोग किए जाने के चीन के कदम पर आपत्ति जताते हुए भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने चीन का उल्लेख किए बिना कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर रोक लगाने की पीछे का कारण नहीं बताया गया है। भारत ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र से जवाब मांगा है।
सैयद अकबरूद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर चर्चा के दौरान दिए अपने भाषण में कहा कि अलकायदा और आईएसआईएस प्रतिबंध समितियों की सर्वसम्मति और नाम गुप्त रखने की प्रक्रियाओं की समीक्षा की जरूरत है। इनके चलते जवाबदेही का अभाव होता है। जानकारी हो कि भारत ने पाकिस्तान के आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 लोगों की सूची में शामिल कराने के लिए फरवरी में संयुक्त राष्ट्र से संपर्क किया था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य होने के नाते चीन ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र को मसूद अजहर को प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया था।
चीन ने दूसरी बार ऐसा किया है। इस पर कड़ा रूख अपनाते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति आंतकवाद से निपटने में चयनात्मक दृष्टिकोण अपना रही है। इसके काम करने के तरीके, जो सर्वसम्म्ति और पहचान गुप्त रखने के सिद्धांतों पर आधारित हैं, समिति को आतंकवाद से लड़ने में चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की ओर ले जा रही है। इसपर चीन ने सफाई देते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध झेलने के लिए जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख ‘आतंकवादी’ घोषित होने का पात्र नहीं है, क्योंकि उसका मामला सुरक्षा परिषद् के मानदंडों को पूरा नहीं करता।