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हम नहीं चेते तो प्रकृति जवाब देगी : सोबती

जलवायुु परिवर्तन पर बुविवि में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरु

झांसी। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति और पद्मश्री प्रो. आर.सी. सोबती ने कहा कि पूरे समाज को आपस में मिल जुलकर प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करनी होगी। यदि हम नहीं चेते तो इसके भयंकर परिणाम आने वाली पीढ़ी को झेलने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने कर्मों से प्रकृति को एक थप्पड जड़ेंगे तो निश्चित तौर पर प्रकृति इसका जवाब हमें घूसे जड़कर देगी।

प्रो. सोबती बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं विकास अध्ययन संस्थान तथा जंतु विज्ञान विभाग एवं इंडियन एकेडेमी ऑफ इनवायरनमेंटल साइंस, हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में जलवायुु परिवर्तन का जैव विविधता पर प्रभाव और बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास एवं नारी सशक्तीकरण में विज्ञान का योगदान विषय पर गांधी सभागार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में जुटे विशेषज्ञों और शोधार्थियों संबोधित कर रहे थे। यह संगोष्ठी छह मार्च तक चलेगी।

प्रो. सोबती ने कहा कि मानव बहुत लोभी बन गया। इसी कारण उसने प्रकृति का नाश किया। उसने प्राकृतिक संसाधनों का अपने फायदे के लिए अंधाधुंध दोहन करने की ठान ली। इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है। तरह तरह के रोग बढ़ रहे हैं। ग्लेशियर खत्म हो रहे। नदियां सूख रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल की समस्या भी गहराती जा रही है। पौधों और जीवों की कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों और शिक्षकों का आहवान किया कि वे लोगों को प्रकृति के संरक्षण के उपायों के बारे में समझाएं। जैव विविधता के लाभों के बारे में सबको जागरूक किया जाए ताकि प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा की जा सके। प्रो. सोबती ने चिंता भरे लहजे में कहा कि हम अपनी संस्कृति को भूल बैठे हैं अन्यथा प्रकृति से मनमानी नहीं करते। उन्होंने भगवान शिव के परिवार का उदाहरण सामने रखते हुए कहा कि हमें उनसे सीख लेनी चाहिए। शिव परिवार के सभी सदस्यों का वाहन कोई न कोई जीव है। वे सभी परस्पर विरोधी स्वभाव के होने के बाद भी सामंजस्य बिठाकर रहते रहे। ठीक वैसा ही सामंजस्य हमें बैठाना होगा।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता केंद्र सरकार के अर्थ साइंस मंत्रालय के निदेशक डा. एन. खरे ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन अवश्यंभावी है। लेकिन आज उसकी दिशा नकारात्मक है। हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। अब केवल उपदेश से काम नहीं चलेगा। मानवता के सिर पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी। प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने पड़ेंगे।

विशिष्ट अतिथि भारतीय चारा एवं चारागाह शोध संस्थान, झांसी के निदेशक डा. पीके घोष ने भी जलवायु परिवर्तन के संभावित खतरों का जिक्र किया। उन्होंने अपनी संस्था की ओर से भदावरी भैंस और घासों की विभिन्न प्रजातियों के संवर्धन और संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी विस्तार से दी। उन्होंने विभिन्न प्रजातियों के लुप्त होने से मानव जीवन के समक्ष उत्पन्न हो रही विविध समस्याओं का भी उल्लेख किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति और हिंदी के दिग्गज विद्वान प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि सुविधाओं से केवल सुख मिलता है। पूरी दुनिया एक सदी से पश्चिमी सभ्यता से उत्पन्न हुए इसी भ्रम में जी रही है। इसी कारण प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम दोहन किया जाता रहा है। ऐसे में हम खुद ही समस्याओं को आमंत्रण देते रहे। भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को रेखांकित करते हूए प्रो. दुबे ने कहा कि पृथ्वी पूरे विश्व का भरण पोषण करने वाली है। हमें भारतीय संस्कृति के मूल्यों को ध्यान में रखकर पयावरण संरक्षण के लिए प्रभावी प्रयास करने होंगे।

शुरुआत में सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप जलाया और माल्यार्पण किया। बाद में विद्यार्थियों ने विवि का कुलगीत पेश किया। सभी अतिथियों को बुके देकर सम्मानित किया गया। इन सभी ने संगोष्ठी की स्मारिका का भी विमोचन किया। सभी अतिथियों को स्मृति चिहन भी भेंट किए गए। संगोष्ठी के निदेशक प्रो. बीडी जोशी ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रो जोशी ने बताया कि इस संगोष्ठी में देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के 150 विशेषज्ञ और वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। संचालन डा. इकबाल खान और स्मृति त्रिपाठी ने किया। इस संगोष्ठी में कई लोगों को एवार्ड भी प्रदान किए गए। इनमें डा. प्रियंका शर्मा, डा. जावेद, डा. विनीत कुमार, डा. पीके शर्मा शामिल रहे। प्रो. अश्विनी, डा. अमित कुमार, डा. शैलेंद्र शर्मा, डा. एन. खरे, प्रो. ऋषि सिंह चौहान, डा. आरके सिंह आदि भी सम्मानित किए गए। प्रो बीसी झा को लाइफ टाइम अचीवमेंट एवार्ड से नवाजा गया।

संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में मगध विश्वविद्यालय के प्रो. बीएन पाण्डेय, नागपुर विवि के डा. डी.के. बलसारे, लखनऊ के डा. कमल जायसवाल तथा भारतीय चारा एवं चारागाह शोध संस्थान, झांसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पुरूषोत्तम शर्मा, कश्मीर विवि से डा. आजरा कामली एवं भोपाल विवि के डा.एस.के. वागनू, कुलानुशासक प्रो एम एल मौर्य, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो सुनील काबिया, प्रो. एसपी सिंह, प्रो वीपी खरे, प्रो जीएल शर्मा, डा. रामवीर सिंह, डा. सीपी पैन्यूली, डा. डीके भटट, डा. मो. नईम, डा. संदीप आर्या, उमेश शुक्ल, सतीश साहनी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।

Updated : 5 March 2016 12:00 AM GMT
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