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राजनीति समाज की नि:स्वार्थ सेवा का माध्यम: ठा. श्यौराज सिंह

जिले में भाजपा की धुरी माने जाते हैं प्रमुख रियल स्टेट कारोबारी

अलीगढ़। समाजसेवा और गंगा को स्वच्छ बनाने के मिशन पर काम कर रहे जिले के प्रमुख समाजसेवी ठा. श्यौराज सिंह राजनीति को समाजसेवा और विकास कार्य कराने का माध्यम भर मानते हैं। और राजनैतिज्ञों की तरह स्टेट्स सिम्बल या किसी प्रकार के लाभ का जरिया नहीं। कांग्रेसी पृष्ठभूमि के परिवार में आरएसएस के माध्यम से राजनीति का ककहरा सीखने वाले भारी भरकम जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले ठा. श्यौराज सिंह गंगा सेवा समिति के माध्यम से गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के मिशन पर अपने निजी संसाधनों से भागीरथी प्रयासों में जुटे हुए हैं।

एनडीए नीत केन्द्र सरकार में गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए प्रथक मंत्रालय और उसकी मंत्री उमा भारती के प्रयासों से वह संतुष्ट हैं लेकिन प्रदेश सरकार की काम करने वाली मशीनरी की धीमी गति उन्हें रास नहीं आ रही है। केन्द्र द्वारा भेजे गये करोडों रुपये से अभी तक गंगा के सौंदर्यीकरण न होने को वह प्रदेश सरकार की नाकामी मानते हैं और इसके लिए प्रदेश में भी भाजपा की सरकार बनने की महती जरूरत मानते हैं। दैनिक 'स्वदेश अखबार से खास बातचीत में ठा. श्यौराज सिंह ने अपने शुरूआती जीवन, वर्तमान और भविष्य की योजनाओं पर खुलकर बोले। 10 अगस्त 1961 को भरे-पूरे जमींदार परिवार में ठा. खजान सिंह के घर जन्मे श्यौराज बचपन से ही महत्वाकांक्षी तो थे, लेकिन पिताजी की ख्याति और जमींदारी का उन्हें कतई घमंड नहीं था। प्रारम्भिक शिक्षा के बाद मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी कृषि करने के बाद कृषि विभाग के रिसर्च डिपार्टमेंट में साल 1986 में गन्ना विकास अधिकारी बनकर अपने पैरों पर खड़े हो गये मगर 12 साल ही नौकरी की तथा पिताजी और माताजी के आग्रह पर अपने गृह जिले में अपना काम करने के लिए लौट आये।

2017 में कोल से दावेदारी
राजनीति में काफी उतार-चढ़ाव देख चुके ठा. श्यौराज सिंह जिले की भाजपा में काफी दबदबा रखते हैं। बाबूजी कल्याण सिंह के खास सिपसलाहारों में शामिल श्यौराज सिंह कहते हैं कि उनका उद्देष्य है कि समाजसेवा और राजनीति में जनता की ताकत किसी रूप में मिलती है तो उस ताकत का सही इस्तेमाल करना चाहिए। धन का विकास कार्यों में दुरुपयोग न हो और जनता ने जिस पद पर पहुंचाया है उसके साथ पूरा न्याय ईमानदारी के साथ करना चाहिए। वह कहते हैं कि ईश्वर का दिया उनकेे पास बहुत कुछ है वह राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं और पूरे विवेकाधीन कोश की पाई-पाई विकास कार्यों में लगाने की मंशा रखते हैं।

दूध डेयरी और रियल स्टेट में रखा कदम
गन्ना विकास अधिकारी की नौकरी को रिजाइन करने के बाद पैतृक गांव लौटने पर श्यौराज सिंह ने दूध की डेरी खोली और रियल स्टेट में किस्मत आजमाई। ईश्वर ने नेक नीयति से शुरू किये कारोबार को दिन-दूनी तरक्की दी और आज रियल स्टेट में ठा. श्यौराज सिंह का नाम अग्रिम पंक्ति में शुमार होता है। इन दोनों व्यवसायों के अलावा वह शिक्षा के क्षेत्र से भी जुड़े रहे और एक स्कूल के प्रबन्धक रहे।

गरीब कन्याओं की शादियों, सामाजिक कार्यों में योगदान
कहते हैं कि परिवार के संस्कार संतान में जरूर आते हैं इसलिए श्यौराज सिंह में भी अपने पिता के गरीबों की मद्द करने के संस्कार आना स्वाभाविक था। इसके चलते उन्होंने अनेक गरीब परिवार की कन्याओं की शादियों में यथासम्भव मद्द की और अभी भी करते हैं। गांव व आसपास के गांवों के गरीब लोग आज भी बेहिचक मद्द मांगने आ जाते हैं क्योंकि उन्हें पूरा विश्वास है कि श्यौराज के दर से खाली हाथ नहीं लौटेंगे। अन्य सामाजिक संगठनों को सहयोग के लिए उनके दरवाजे 24 घंटे खुले रहते हैं। विद्यार्थी परिषद और एनसीसी के दौरान नि:स्वार्थ समाजसेवा और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा आज भी हिलोरें मारता है।

राजनीति में पदार्पण
बढ़ती कारोबारी व्यस्तता के बावजूद समाज के लिए कुछ ठोस करने का जुनून श्यौराज सिंह को राजनीति में खींच लाया। जनता में पकड़ और लोकप्रियता का आलम ही था कि साल 2009 में भाजपा से लोकसभा टिकिट के दावेदारी की तो स्थानीय और प्रदेश नेतृत्व के अलावा केन्द्रीय नेतृत्व ने भी उन्हें गंभीरता से लिया। पूर्व सांसद शीला गौतम को भी अपनी राजनैतिक जमीन खिसकती दिखाई दी लेकिन ऐन वक्त पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के भाजपा छोडऩे पर उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई और टिकिट के मामले में बाजी शीला गौतम के हाथ लगी, लेकिन श्यौराज सिंह की टिकिट कटवा कर वह जीत नहीं पाईं। साल 2012 में कोल विधानसभा सीट से उनकी दावेदारी ने शीला गौतम की पेशानी पर बल ला दिये। यहां भी उनकी फायनल टिकिट आखिर में कट गई।
विवेक की दोस्ती कांग्रेस में लाई
जनता में पकड़ का ही नतीजा था कि विवेक बंसल जैसा दिग्गज कांग्रेसी उन्हें दोस्ती का हवाला देकर चुनाव जीतने और टिकिट दिलाने का वादा कर कांग्रेस में ले आया लेकिन किस्मत ने यहां भी साथ नहीं दिया और कांग्रेस में भी उनकी टिकिट कट गई तो 18 माह कांग्रेस में रहने के बाद मोदी और अमित शाह से प्रभावित श्यौराज अपने परिवार (भाजपा) में वापस आ गये।
-प्रस्तुति : वीरेन्द्र माहौर

Updated : 3 March 2016 12:00 AM GMT
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