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इस बार नहीं बढ़ेंगे जमीनों के दाम!

अब तक सम्पत्ति के दामों में वृद्धि का विचार नहीं

ग्वालियर। इस बार शहर और ग्रामीण क्षेत्र की जमीनों के दाम यथावत रह सकते हैं। इस कारण से सम्पत्ति खरीदने वालों की जेब पर असर नहीं पड़ेगा। हालांकि जिला प्रशासन जमीनों की नई गाइड लाइन अप्रैल माह की शुरुआत में ही जारी करेगा, लेकिन सम्पत्ति का व्यापार करने वालों का अनुमान है कि इस बार कृषि, आवासीय एवं वाणिज्यिक वर्ग की भूमि दरों में मामूली बढ़ोतरी होगी।

यहां बता दें कि जमीन के दाम बढ़ाने का पहला अधिकार जिला प्रशासन को दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अब तक जिला प्रशासन ने जो गाइड लाइन तैयार की है, उसमें दाम बढऩे की संभावना नगण्य बताई जा रही है। इधर जानकार बताते हैं कि 31 मार्च से पहले जिला प्रशासन ने दाम नहीं बढ़ाए तो एक अप्रैल से स्वत: ही दाम बढ़ जाएंगे। हालांकि बताया जाता है कि राज्य सरकार ने बजट में वर्ष 2016-17 में भूमि दरों में वृद्धि नहीं करने की घोषणा की है।

जिले में कृषि, आवासीय एवं वाणिज्यिक वर्ग की भूमि दरों को डीएलसी की ओर से पुनरीक्षित करने का कार्य पहले हुआ था। इसके बाद अभी तक जमीन के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। नियमानुसार हर छह माह में जिला प्रशासन की ओर से बाजार भाव के अनुसार दाम तय करने का प्रावधान है। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के सूत्रों की मानें तो जिन जिलों में अभी तक जमीन के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं, वहां 31 मार्च से पहले डीएलसी की बैठक आयोजित कर दामों में वृद्धि की जा सकती है। इसके बावजूद यदि बैठकों का आयोजन नहीं हो पाता है तो एक अप्रैल को विद्यमान दरों में 10 फीसदी की वृद्धि स्वत: ही मानी जाएगी।

शहर में सम्पत्ति का कारोबार थमा
वर्ष 2008 में ग्वालियर और उसके आसपास के क्षेत्र मुरार, घाटीगांव, डबरा और इनसे सटे गांवों से लगी राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़कों के निर्माण के कारण जमीनों और कृषि भूमि के भावों में एकाएक वृद्धि होने से इनके भाव आसमान की तरह बढ़ गए थे, लेकिन पिछले दो साल से शहर में सम्पत्ति के भाव बहुत कम हो गए। इस कारण सम्पत्ति का कारोबार करने वाले लोगों की आफत हो गई थी। प्रत्येक साल कलेक्टर द्वारा जारी गाइड लाइन में भी मामूली बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।

अप्रैल नजदीक, प्रशासन गंभीर नहीं
जमीनों के भाव तय करने के लिए प्रत्येक वर्ष जिला स्तरीय मूल्यांकन समिति की बैठक अप्रैल माह से पहले आयोजित होती है। मार्च समाप्त होने में सिर्फ चार दिन शेष हैं, लेकिन अब तक जिला प्रशासन की लेतलाली के कारण बैठक आयोजित नहीं हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के विकास कार्य और उनके क्रियान्वयन में वरिष्ठ अधिकारी कितने गंभीर हैं। जिला स्तरीय मूल्यांकन समिति की बैठक तो सिर्फ एक उदाहरण मात्र है। शहर में होने वाले विकास कार्यों की फाइलें खुलने से पहले ही जिलाधीश कार्यालय में धूल खा रही हैं, लेकिन अधिकारी न तो इन फाइलों की तरफ ध्यान दे रहे हैं और न ही क्षेत्र का निरीक्षण कर लोगों की समस्याओं की तरफ ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सुशासन का सपना शहर के जिम्मेदार नौकरशाह अपनी मनमानी से धूमिल कर रहे हैं।

Updated : 28 March 2016 12:00 AM GMT
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