नियमित पेयजल आपूर्ति में उलझी परिषद
विवाद के बाद महापौर परिषद के निर्णय की पुष्टि
ग्वालियर, वरिष्ठ संवाददाता। निगम परिषद की बैठक में शनिवार को एक बार फिर शहर में नियमित पेयजल आपूर्ति का मुद्दा छाया रहा। हंगामे और विवाद के बाद में महापौर परिषद द्वारा प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति के निर्णय की सर्वसम्मति से पुष्टि कर दी गई।
इससे पूर्व इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित का कहना था कि जिस समय एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई का निर्णय लिय गया था, तब विपक्ष ने अपना विरोध दर्ज कराया था लेकिन इसके बावजूद न्यायालय में हमारे नाम भी प्रस्ताव की सहमति दिए जाने वाले पार्षदों में जोड़ दिए गए और ठहराव को बदल दिया गया। इस पर भाजपा पार्षद सतीश बोहरे का कहना था, चूंकि यह मामला न्यायालय में है इसलिए इस पर बहस ठीक नहीं है। इसे लेकर सत्ता पक्ष के ही पार्षद सतीश सिकरवार ने कहा कि हमने उस समय ही कहा था कि जब कोर्ट ने नियमित सप्लाई के लिए कहा है तो हम क्यों पलट रहे हैं, लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई, अब वही करना पड़ रहा है। बलवीर तोमर ने कहा कि हमने भी उस समय यही कहा था कि मामला न्यायालय का है और वहां से नियमित सप्लाई के आदेश दिए गए हैं इसलिए उस पर कोई विवाद या बहस नहीं की जाए।
इस पर जलकार्य प्रभारी धर्मेन्द्र राणा ने कहा कि हम सभी को मिलकर पानी की चिंता करना है। इसके लिए न्यायालय में यह पुष्टि करना है कि हम नियमित सप्लाई कर रहे हैं। इसके साथ ही पानी का स्टोरेज भी देखना है कि क्या स्थिति बनती है। लेकिन पहले कोर्ट में स्थिति बताना जरूरी है। महापौर विवेक शेजवलकर का कहना था कि प्रतिदिन सप्लाई के बाद 31 जुलाई तक क्या स्थिति रहेगी। इस बात का शपथ पत्र जलसंसाधन विभाग से भी ले लिया जाए। इसका समर्थन सतीश बोहरे ने भी किया । इसके बाद सर्वसम्मति से एजेण्डे के इस बिन्दु को पास कर दिया गया।
शहीद भगत सिंह की प्रतिमा ठीक कराई जाए
इससे पहले माकपा पार्षद ऊषा गोस्वामी ने यह स्थगन लगाया कि मुरार स्थित सात नम्बर चौराहे पर शहीद भगतसिंह की प्रतिमा का अंगभंग कर दिया गया है, उसे सुधारा जाए। उन्होंने कहा कि परिषद के एजेण्डे पर चर्चा से पहले इस पर निर्णय लिया जाए। सभापति राकेश माहौर ने इस स्थगन पर अपना निर्णय देते हुए कहा कि शहीदे आजम की प्रतिमा को शीघ्र ठीक कराया जाए।
ये निर्णय भी हुए
वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए सम्पत्तिकर की दरें, वार्षिक भाड़ा मूल्यांकन की दरें एवं परिक्षेत्रों में कोई बदलाव न करते हुए इन्हें पूर्ववत ही रखा जाएगा।