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अब थर्मो सेंसर कैमरों से दिखेगी सोन चिरैया

अब थर्मो सेंसर कैमरों से दिखेगी सोन चिरैया
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ग्वालियर। वन विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी सोन चिरैया अभयारण्य घाटीगांव में कई वर्षों से सोन चिरैया नजर नहीं आई है। यहां से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी सोन चिरैया को खोजने के लिए वन विभाग अभयारण्य में अब थर्मो सेंसर कैमरे लगाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभयारण्य में थर्मो सेंसर कैमरे लगाने के पीछे विभाग की मंशा विभिन्न प्रजाति के वन्यजीवों की पहचान और उनकी गिनती करना है। इन कैमरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित वीट के वनरक्षकों को सौंपी जाएगी।

जानकारी के अनुसार ग्वालियर वन मंडल के अंतर्गत सोन चिरैया अभयारण्य घाटीगांव में जनवरी के प्रथम सप्ताह में की गई वन्यजीवों की गणना के बाद अब वन्यजीवों की पहचान और उनकी सटीक संख्या का आंकलन तथा उनकी तस्वीरों और गतिविधियों को कैद करने के लिए अभयारण्य में करीब 15-16 प्रमुख स्थानों पर थर्मो सेंसर कैमरे लगाए जाएंगे। इससे जंगल के अंदर विचरण करने वाले वन्यजीवों की हर गतिविधि को आसानी से कैद किया जा सकेगा। थर्मो सेंसर कैमरे की विशेषता यह है कि इसके सामने से गुजरने वाले वन्यजीवों की तस्वीरें कैमरे की चिप में अपने आप स्टोर हो जाती हैं। बताया गया है कि वन्यजीवों की गणना का कार्य पूरा होने के बाद कैमरों में लगी चिप निकालकर अध्ययन के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून या कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भेजी जाएंगी। इन चिपों में स्टोर होने वाले डाटा का अध्ययन करने के बाद वन्यजीव विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट पर्यावरण मंत्रालय को प्रेषित करेंगे।

बताया गया है कि वन विभाग वन्यजीवों की पहचान के लिए चिन्हित किए गए कैमरा स्टेशनों पर कैमरे लगाए जाने से लेकर कैमरों के मूवमेंट और कैमरों की चिपों में एकत्रित होने वाले डाटा को संरक्षित करने तक के कार्य में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के विशेषज्ञों की मदद लेगा। इस संबंध में विगत आठ मार्च को अभयारण्य के अधिकारी व कर्मचारियों का प्रशिक्षण भी होना था, जो अपरिहार्य कारणों से नहीं हो सका।

केवल गेमरेंज घाटीगांव में लगेंगे कैमरे
सोन चिरैया अभयारण्य में गेमरेंज घाटीगांव और गेमरेंज तिघरा दो वन परिक्षेत्र शामिल हैं और दोनों में ही विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव देखने को मिलते हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार थर्मो सेंसर कैमरे लगाने के लिए केवल गेमरेंज घाटीगांव स्थित भटपुरा और उसके आसपास के उन क्षेत्रों का ही चयन किया गया है, जहां पूर्व में सोन चिरैया का रहवास था। यही नहीं, सोन चिरैया को फिर से बसाने की मंशा से वन विभाग द्वारा भटपुरा और मद्दा खो में घास के मैदान भी तैयार किए जा रहे हैं। इससे यही माना जा रहा है कि वन्यजीवों की पहचान करने के नाम पर थर्मो सेंसर कैमरे यहां विलुप्त हो चुकी सोन चिरैया को खोजने की मंशा से ही लगाए जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी दबी जुबान स्वीकार कर रहे हैं कि सोन चिरैया चूंकि अल सुबह ही भोजन की तलाश में निकलती है, जिससे वह आसानी से दिखती नहीं है, इसलिए संभव है कि सोन चिरैया थर्मो सेंसर कैमरों में कैद हो जाए, तो बात बन जाएगी।

इनका कहना है
सोन चिरैया अभयारण्य के घाटीगांव गेमरेंज के अंतर्गत भटपुरा और उसके आसपास प्रमुख स्थानों पर थर्मो सेंसर कैमरे लगाने की योजना है। कैमरे लगाने का उद्देश्य अभयारण्य में विचरण करने वाले वन्यजीवों की पहचान करना है।

राजेश कुमार
मुख्य वन संरक्षक, ग्वालियर

Updated : 26 March 2016 12:00 AM GMT
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