कब चीन का अनुसरण करेगा हमारा शासनतंत्र
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समाजवाद के खिलाफ खबर दिखाने वालों को पहुँचाया जेल
विशेष प्रतिनिधि
एक हमारा मीडिया तंत्र है जहाँ कन्हैया, गिलानी राजदीप, बरखा दत्त जैसे लोग खुलेआम राजतंत्र खासकर प्रधानमंत्री के खिलाफ न केवल जहर उगलते हैं बल्कि अपने जैसे ही तथाकथित बुद्धिजीवियों छद्म राजनीतिज्ञों को एकत्रित करके सरकार की रीतियों नीतियों का डिबेट के नाम पर मखौल उड़ाते हैं। दूसरी ओर हमारे पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान हैं जहाँ सरकारी तंत्र अथवा शासनाध्यक्ष के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर उस समाचार संस्थान के संपादक सहित ऐसा करने वाले लोगों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है क्या हमारी सरकार को ऐसे ही कड़े कदम उठाने की जरूरत नहीं है? खैर यह तो सरकार के चिंतन मनन का विषय है ।
अब हम आपको उस पूरी घटना से अवगत करा रहे हैं जिसमें चीन की एक वेब साइट बूजी न्यूज पर कुछ विरोधियों ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग का इस्तीफा मांगने वाला पत्र जारी करवा दिया। इस कारनामे में वेबसाइट के वरिष्ठ संपादक और मैनेजर का भी हाथ था। यह पत्र सरकार की तमाम नीतियों के विरूद्ध था इसे बड़ी चतुराई से लॉयल कम्युनिस्ट पार्टी सपोटर्स के नाम पर लिखा गया। इसमें राष्ट्रपति शी पर व्यक्तिगत मत को बढ़ावा देने केन्द्रीय नेतृत्व की राय को नहीं मानने और सामूहिक नेतृत्व के सिद्धांत को नजर अंदाज करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। हालांकि इसमें शी की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए गए अभियान की तारीफभी की गई।
समाचार एजेंसी बीबीसी के अनुसार जैसे ही यह पत्र वेब साइट पर प्रसारित हुआ चीन की राजनीति में हंगामा खड़ा हो गया। इसके तुरंत बाद सरकार हरकत में आई और वेबसाइट के संपादक, सीनियर मैनेजर सहित स्तंभकार जिया जिया के अलावा 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया । यहां तक कि अमेरिका में रह रहे सरकार विरोधी जानेमाने बेन युवाओं के परिवार के तीन सदस्यों को भी गुआंग्डोंग प्रांत से धर दबोचा गया। हालांकि इस बड़ी कार्यवाही के बाद ठीक उसी तरह जैसा कि भारत में होता है, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर कुठाराघात का आरोप सरकार पर लगाया जा रहा है लेकिन सरकार ने अपनी कार्यवाही को पूरी तरह सही बताया है ।