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सितार की मधुर स्वर लहरियों से सभागृह में छाया बसंत

*पद्मभूषण पं. देवव्रत चौधरी ने दी छात्रों को बताए रागों के वैविध्य
*डीईआई संगीत विभाग की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरु

आगरा। भारत के सबसे लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य सितार की सुमधुर स्वर लहरियों से दयालबाग शिक्षण संस्थान का सभागार झंकृत हो उठा और तबले पर उनके साथ संगति की जानी मानी तबला वादक प्रो. नीलू शर्मा ने। अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितार वादक पद्मभूषण पं. देवव्रत देबू चौधरी ने विभिन्न रागों में घुड़च, तरब के तार तथा सारिकाओं का प्रयोग करते हुए छात्रों को सितार वादन की शिक्षा प्रदान की।

शुक्रवार को संस्थान के संगीत शिक्षण विभाग द्वारा दो दिवसीय संगीत की अखिल भारतीय कार्यशाला का मां बागेश्वरी की स्वर-साधना के साथ शुरुआत हुई। कार्यशाला में दिल्ली से पधारे पं. देबू चौधरी ने संगीत के छात्रों को बताया कि सितार पूर्ण भारतीय वाद्य है और भारतीय तन्त्री वाद्यों का सर्वाधिक विकसित रूप सितार में मौजूद है। उन्होंने छात्रों को वर्तमान में सितार के घराने व शैलियों के वैविध्य के बारे में भी बताया। इससे पूर्व संस्थान की छात्रा अंशिका चौधरी, चारुरानी, इशिता नागर, शुभकीर्ति, सोनम, कीर्ति तिवारी ने अमीर खुसरों की कव्वाली प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन धुनिक काल में सितार के तीन घराने अथवा शैलियाँ इस के वैविध्य को प्रकाशित करते रहे हैं। छात्रों के साथ तबला संगति बनारस घराने के प्रभात वशिष्ठ ने की। कार्यक्रम में संगीत विभाग्ध्यक्ष सुभ्रदा सत्संगी, कार्यशाला समन्वयक आरके भटनागर, प्रो. लवली शर्मा, प्रो. शिवेंद्र प्रताप सिंह व पं. गिरधारीलाल शर्मा उपस्थित रहे। सहयोग प्रो. रीमा जौहरी व प्रो. गौतम तिवारी का रहा। संचालन डॉ. रश्मि सक्सैना ने किया।

Updated : 19 March 2016 12:00 AM GMT
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