धूमधाम से मना निराला स्मृति समारोह

कवयित्री शशिवाला निराला अभिनंदन से अलंकृत

भिण्ड। निराला जयंती वसंत पंचमी के अवसर पर निराला स्मृति समारोह का अयोजन किया गया। इस अवसर उनकी प्रतिमा स्थल पर विभिन्न चरणों मं निराला स्मृति समारोह आयोजित हुआ। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रामसिया शर्मा 'करुण ने की। मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती कलावती वीरेन्द्र मिहोलिया रहीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में रौन के गीतकार डॉ. शिवेन्द्र सिंह 'शिवेन्द्र एवं गीतकार अजय चौधरी एडवोकेट रहे। कवयित्री शशिवाला राजपूत अभिनन्दनीय रहीं।
सर्वप्रथम अतिथियों ने मां सरस्वती के भव्य चित्र को पुष्पहार पहनाए, फिर सभी ने निराला प्रतिमा को पंचामृत स्नान कराया और सभी ने पुष्पहार पहिनाए, दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कवयित्री शशिवाला राजपूत ने मां सरस्वती की वंदना की।
द्वितीय सत्र में सदन के अध्यक्ष विजय सिंह संगर ने कवयित्री शशिवाला के जीवन परिचय का वाचन किया तथा सुषमा रानी ने अभिनन्दन का वाचन किया। सभी अतिथियों ने शाल श्रीफल व अभिनंदन पत्र प्रदान करके कवयित्री शशिवाला राजपूत का सम्मान किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नपा अध्यक्ष श्रीमती कलावती वीरेन्द्र मिहोलिया ने निराला जी के कृतित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के समारोही अध्यक्ष रामसिया शर्मा ने आज की हकीकत यूं बताई- बिगड़ गया सब खेल, प्रेम के नए जमाने। रहा न कोई खास, हो गए सभी विराने।
तृतीय सत्र में कवि सम्मेलन शुरू हुआ। कवयित्री सुषमा रानी ने यूं कहा- अश्रु पीते-पीते विष ये बन जाते हैं। घाव छूते-छूते वे दर्द बन जाते हैं। संचालन कर रहे कवि प्रमोद शुक्ल 'मंगल ने धनिकों को यूं चेतावनी दी- ओ धनिकों भला इसी में हैं तज महलों को नीचे आओ। निर्धन, वेवश का बन आसरा तुम सारे जग में छा जाओ। आगे कवि विजय सिंह सेंगर ने निराला जी पर काव्य पाठ किया। केवल कविता नहीं निराला खुद भी निराले थे। जो कहते थे वही निराला करके दिखाते थे।
इसी क्रम में कवि अंजुम मनोहर, कवि प्रदीप बाजपेयी, आशुतोष शर्मा आशु, भीकम भैय्या आदि ने काव्य पाठ किया। कवयित्री शशिवाला राजपूत ने निराला जी पर यूं कहा- साहित्य के गगन में फिर से रवि चाहिए। सुगंधी को विखेरे ऐसा हवि चाहिए। देश और समाज की विषमता से लदे निराला सा विद्रोही कवि फिर चाहिए। कवि देवीदयाल स्वर्णकार ने शहीदों पर यूं कविता पढ़ी- हिम गिरि से लग रही पुकार, पूरब-पश्चिम भू नभ में अपार, सब पूछ रहे हैं। दिगदिगंत सीमा पर कब हो बसंत। कवि गगन शर्मा 'गगन ने निराला जी पर यूं कहा- सामाजिक रूढिय़ों का विद्रोह कर बात यथार्थ की सदा करते थे। कार्यक्रम के विशिष्ट कवि शिवेन्द्र सिंह 'शिवेन्द्र ने मां-बाप पर गीत पढ़ा- अगर आकाश छूना हो तो पिता की छांव छू लो, दुआ की जब जरूरत हो तो मां के पांच छू लो।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अजय चौधरी ने कुछ यूं कहा मत चुराना गंध इस पावन धरा की, मौन ऋषियों की ऋचाएं बोलती हैं। अंत में सदन के जिला संयोजक प्रमोद शुक्ल 'मंगल ने सभी का आभार व्यक्त किया।

Next Story