दूसरों का सुख देख दुखी मत होना: संगममति माता
ग्वालियर। इंसान दूसरों के सुख से दुखी होता है। अर्थात उसमें जलन होती है। यह नहीं होना चाहिए। अरे दूसरों के सुख में शामिल होंगे तो भगवान तुम्हें भी सुखी रखेगा। यह विचार रविवार को जैन आचार्य सिंद्धात सागर महाराज की शिष्य गणिनी आर्यिका संगममति माता ने नई सड़क स्थित तेरापंथी धर्मशाला में मंगल प्रवेश यात्रा के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए। बुरे कर्म को कल पर छोड़ देना चाहिए, तभी मनुष्य का विकास होगा। कभी दुखी और उदास नहीं रहना चाहिए। मनुष्य के अंदर परमात्मा का वास होता है। हमेशा खुश रहने से परमात्मा भी प्रसन्न रहते हैं। अच्छे कार्य को कल पर नहीं छोडऩा चाहिए। मनुष्य हमेशा ज्यादा पाने के लिए भटकता है। स्वयं के पास जो होता है, उसका सम्मान करने की बजाय तिरस्कार करता है। साधु संतों के सत्संग में जब भी जाएं तो साफ सुथरा होकर जाना चाहिए और संत्सग से लौटने के बाद पुराने आचरण को छोड़कर साफ मन का चोला पहनना चाहिए। इस अवसर पर मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष अमित जैन, सचिव राजेश जैन, दिलीप जैन, राजीव जैन, हरीश जैन, सचिन आदर्श कलम आदि उपस्थित थे।
ससंघ का हुआ भव्य मंगल प्रवेश
गणिनी आर्यिका संगममति माता एवं संयोगमति माता ससंघ का रविवार को मुनि सेवा समिति के पदाधिकारी और सदस्यों ने पुरानी छावनी से पदविहार करते हुए ग्वालियर में भव्य मंगल प्रवेश किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने आरती कर आशीर्वाद लिया।