ईपीएफ पेंशन भोगियों का कल दिल्ली में संसद मार्च

भोपाल। देश के ईपीएफ पेंशन भोगी एवं अंशदाता, आगामी सात दिसम्बर को देश की राजधानी दिल्ली स्थित जंतर—मंतर पर डेरा जमाकर सरकार के खिलाफ विरोध—प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान पेंशनभोगियों की एक रैली भी निकाली जाएगी, जो संसद पहुंचकर समाप्त होगी। यह जानकारी निवृत्त कर्मचारी 1995 समन्वय समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सात दिसम्बर को जंतर—मंतर पर आयोजित होने वाली रैली में मध्यप्रदेश के कर्मचारी भी बढ़—चढक़र हिस्सा लेंगे।

रैली में देश के 17 राज्यों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। अजय श्रीवास्तव का कहना है कि ताजा आंकड़ों के अनुसार ईपीएफ के अंशदाताओं का 31 मार्च 2016 तक 2 लाख 77 हजार करोड़ रुपए जमा हुआ है। सरकार ने बीते वर्ष 2014—15 में 19 हजार 97 करोड़ रुपए ईपीएफ के फंड से ब्याज के रूप में अर्जित किया था। वर्ष 2014—15 में पेंशन के रूप में करीब सात हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। इस प्रकार करीब 12 हजार करोड़ रुपए के ईपीएफ फंड के ब्याज सरकार के पास बचा रहा। अजय श्रीवास्तव का कहना है कि फैमिली पेंशन योजना 1971 के अनुसार कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसकी विधवा को दो सौ रुपए की पेंशन दी जाती थी। आज 45 वर्ष के बाद भी सरकार ने ईपीएस 95 में अपने अंशदान को नहीं बढ़ाया गया। वर्ष 1995 में फैमिली पेंशन योजना को ईपीएस 95 में विलय कर दिया गया एवं योजना के आठ हजार करोड़ रुपए भी ईपीएस 95 में मिला दिए गए। ईपीएफ के अंशदाता एवं पेंशनभोगियों को न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए एवं अधिकतम पेंशन ढाई हजार रुपए दी जा रही है। अभी भी कई पेंशनभोगियों को एक हजार से कम पेंशन दी जा रही है।

अजय श्रीवास्तव के मुताबिक ईपीएस 1995 योजना देशभर के सार्वजनिक उपक्रमों, निजी संस्थानों, कारखानों, स्कूल, कालेज, प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया पर भी लागू होती है। आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार देशभर में इस योजना में 31 मार्च 2015 तक 15 करोड़ 84 लाख 70 हजार 437 सदस्य पंजीकृत थे। वर्तमान में पेंशनभोगियों की संख्या करीब 54 लाख तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि ईपीएफ के पेंशनभोगियों को आज भी नाममात्र पेंशन दी जा रही है। वर्ष 2012 में राज्यसभा सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में याचिका लगाकर ईपीएस 95 पेंशन योजना के पुनरीक्षण की मांग की थी। राज्यसभा द्वारा इस संबंध में दस सांसदों की समिति बनाई गई थी, जिसका अध्यक्ष भगत सिंह कोशियारी को नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि निवृत्त कर्मचारी 1995 समन्वय समिति ने साढ़े सात हजार रुपए प्रतिमाह तथा उस पर प्रचलित दर से मंहगाई भत्ते की मांग की है।

भविष्य निधि एक्स 1952 में सशोधन की भी मांग रखी है। इसके अलावा 21 वर्ष में सिर्फ एक बार योजना का पुनरीक्षण हुआ है और 500 रुपए न्यूनतम के स्थान पर एक हजार रुपए न्यूनतम पेंशन की गई है, जो कि पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। कि मांगों के समर्थन में देश के पेंशभोगी एवं अंशदाता, आगामी सात दिसंबर को दिल्ली स्थित जंतर—मंतर में एकत्रित होकर धरने पर बैठेंगे।

Next Story