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अब गुलाब नहीं, सिल्क रोज बढ़ा रहा है विवाह मण्डपों की शोभा

अब गुलाब नहीं, सिल्क रोज बढ़ा रहा है विवाह मण्डपों की शोभा
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नोटबंदी के कारण कृत्रिम फूलों का हो रहा है उपयोग

ग्वालियर। विवाह मण्डपों में की जाने वाली साज-सज्जा में अब अधिकतर कृत्रिम फूलों का उपयोग किया जा रहा है। खूबसूरत गुलाब का स्थान ‘सिल्क रोज’ ने ले लिया है।
वहीं मंच (स्टेज)की खूबसूरती संवारने वाले लिलि और डेजी की जगह पॉलीमर फूल नजर आ रहे हैं। नोटबंदी के बाद पैसों की तंगी के चलते विवाहों में भी लोग हर काम के लिए विकल्प तलाश रहे हैं। इसके चलते ही विवाह समारोह में सजावट के लिए कृत्रिम फूलों से ही काम चलाया जा रहा है।
पैसों की तंगी विवाह-समारोह सहित अन्य मांगलिक कार्यों में बढ़ी परेशानी का सबब बनी हुई है। इस सीजन में पहले जहां फूल विक्रेताओं की चांदी हुआ करती थी। वहीं अब दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। स्थिति यह है कि बेहद कम कीमत में फूलों की बिक्री करने पर भी ग्राहक नहीं मिल पा रहे हैं। उधर सजावट के लिए लोग असली फूलों की जगह कृत्रिम फूलों से ही काम चला रहे हैं। ये फूल भले ही समारोह स्थल की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं, लेकिन महक के मामले में ये फीके साबित हो रहे हैं।

खर्च कम करने कृत्रिम फूलों का उपयोग
हजार और पांच सौ के नोट बंद होने के बाद लोग पैसों की किल्लत के चलते लोग सजावट के लिए महंगे फूलों की जगह कृत्रिम फूलों को महत्व दे रहे हैं। लाल, पीले, नीले, गुलाबी, रंगों में मिलने वाले ये खूबसूरत फूल महकते तो नहीं, लेकिन कम कीमत में पार्टी की रौनक जरूर बढ़ा देते हैं।

ये फूल आते हैं काम
गेंदा, गुलाब, ऑर्किड, रजनीगंधा, लिलि, चम्पा, चमेली, गुड़हल, डहेलिया, गुलबहार, डेजी, सूरजमुखी।

ये हैं कृत्रिम फूल
सिल्क फ्लॉवर, वैक्स कोटिड फूल, सिल्क प्लास्टिक रोज, लेटेक्स, पॉलीमर, पेपर फ्लॉवर हैंडमेड फ्लॉवर।

धंधा चौपट हो गया साहब
महाराज बाड़े पर स्थित फूल विक्रेता पिन्टू शाक्य ने अपना दुखड़ा सुनातेे हुए कहा कि हर सीजन में पहले फूलों की खूब बिक्री हुआ करती थी, लेकिन 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद हमारा तो धंधा ही चौपट हो गया।

Updated : 4 Dec 2016 12:00 AM GMT
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